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इस मंदिर की सीढ़ियों से निकलता है संगीत | Magical Steps in Ganga Temple

admin 12 November 2021
गढ़ मुक्तेश्वर के प्राचीन गंगा मंदिर का इतिहास History of Ganga temple of Garh Mukteshwar
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अजय सिंह चौहान || उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के तट पर बसे अति प्राचीन और पौराणिक महत्व के नगर गढ़मुक्तेश्वर की एक पहाड़ी पर बने माता गंगा के प्राचीन मंदिर में प्राचीन इंजीनियरिंग के रहस्य किसी आश्चर्य से कम नहीं हैं। लगभग 80 फीट ऊंची पहाड़ी पर बने माता गंगा के इस मंदिर तक जाने के लिए यहां जो सीढियां बनी हुई हैं उनके बारे में यहां आने वाले श्रद्धालुजन, पर्यटक औ स्थानीय लोगों का कहना है कि यह माता गंगा का अद्भूत चमत्कार है।

दरअसल, गढ़मुक्तेश्वर में स्थित माता गंगा के इस प्राचीन मंदिर की इन सीढ़ियों में एक जो सबसे आश्चर्य वाली बात है वह यह है कि इन सीढियों के अंदर से एक अद्भूत, कर्णप्रिय और संगीतमय आवाज निकलती है और लोग जो श्रद्धालुजन यहां आते हैं वे माता के दर्शन करने के बाद सबसे अधिक समय इस मंदिर की इन्हीं संगीतमय सीढ़ियों पर बिताते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर इन सीढ़ियों में से ऐसा क्या चमत्कार या जादू है जो मधुर संगीत निकलता है?

माता गंगा के इस प्राचीन मंदिर में दर्शन करने आने वाले लगभग हर श्रद्धालुजन और पर्यटक यह मानने को तैयार नहीं हैं कि इसमें इंजीनियरिंग का कोई करिश्मा भी हो सकता है। वे तो इसमें बस माता गंगा का एक अद्भूत चमत्कार ही मानते हैं। हालांकि, गढ़मुक्तेश्वर में कुछ ऐसे लोग भी आते हैं जो यह भी कहते हैं कि आज हम जो इन सीढ़ियों में चमत्कार को देख रहे हैं और सून रहे हैं वह तो हमारे देश में आज से हजारों साल पहले से होता आ रहा है।

गढ़मुक्तेश्वर में माता गंगा के इस प्राचीन मंदिर की इन सीढ़ियों में प्राचीनकाल की इंजीनियरिंग का ही शत-प्रतिशत कमाल है कि तब से लेकर आज तक इन सीढ़ियों के अंदर से इस प्रकार की आवाज सुनाई देती है। हालांकि, इनमें से यह चमत्कारी आवाज क्यों और कैसे निकलती है इस विषय में अभी तक कोई भी कुछ खास नहीं बता पाये हैं। कुछ लोगों ने इन सीढ़ियों पर अध्ययन भी किया, लेकिन वे भी इसकी विशेष प्राचीन इंजीनियरिंग संरचनात्मक कला को नहीं समझ पाये।

गढ़मुक्तेश्वर में मौजूद इस माता गंगा के प्राचीन मंदिर की इन सीढ़ियों की खास बात यह है कि अगर कोई भी व्यक्ति इन सीढियों पर तेजी से ऊपर की ओर चढ़ते हैं या फिर तेजी से उतरते भी हैं, तो उनके पैरों की धमक से, इन सीढ़ियों के अंदर से ऐसी आवाज आती है जैसे कि एक नदी या तालाब के शांत और स्थिर पानी में पत्थर मारने पर आवाज निकलती है।

इसके अलावा अगर कोई माता गंगा के इस प्राचीन मंदिर की इन सीढ़ियों में लगे पत्थरों पर किसी हल्के-फुल्के आकार के पत्थर से चोट भी करता है तो भी इनके अंदर से वही अद्भूत, कर्णप्रीय और संगीतमय आवाज, यानी पानी में पत्थर मारने पर जो आवाजा आती है ठीक उसी तरह की आवाज सुनाई देती है।

गढ़ मुक्तेश्वर के प्राचीन गंगा मंदिर का इतिहास History of Ganga temple of Garh Mukteshwarबताया जाता है कि शुरूआती दौर में माता गंगा के इस प्राचीन मंदिर की इन सीढ़ियों की कुल संख्या जमीन से लेकर मंदिर तक 101 हुआ करती थी, लेकिन समय के साथ-साथ जमीन की ओर से इनकी संख्या कम होती गई और सन 1890 तक इनकी संख्या 86 ही रह गई थी।

और उसके बाद सन 1964 में गढ़मुक्तेश्वर के माता गंगा मंदिर के सामने की सड़क का निर्माण कार्य होने के कारण इनमें से दो और सीढ़ियों का नुकसान हो गया और अब इनकी संख्या अब 84 ही रह गई है। जबकि 17 सीढ़िया बिल्कुल ही खत्म हो चुकी है।

माता गंगा के इस प्राचीन मंदिर की इन सीढ़ियों में छीपे ऐतिहासिक रहस्य को जानने और इसके निर्माण की कला और इंजीनियरिंग की बारीकियों को समझने और इस अद्भूत चमत्कार में दिलचस्पी दिखाते हुए यहां आने वाले तमाम श्रद्धालुओं और पर्यटकों के द्वारा ऐतिहासिक महत्व की इस अमूल्य धरोहर, यानी इन सीढ़ियों में से कई सीढ़ियों को नुकसान पहुंचाया जा चुका है। जिसके कारण कई सीढ़ियों पर लगे उस ऐतिहासिक काल के पत्थर अब टूट चुके हैं और कुछ के टुकड़े इधर-उधर बिखरे पड़े हैं।

हालांकि, माता गंगा के इस प्राचीन मंदिर की अधिकतर सीढ़ियां अब भी लगभग ठीक-ठाक हालत में हैं और प्रयोग में लाई जा रहीं हैं। लेकिन स्थानीय प्रशासन या फिर भारतीय पुरात्तव विभाग को संभवतः आजादी के इतने साल बाद भी इस अमूल्य धरोहर के बारे में या तो किसी भी प्रकार की कोई जानकारी ही नहीं है या फिर वह इसको जानना ही नहीं चाहता।

क्योंकि किसी ने भी अभी तक यहां गंगा मंदिर की इन अद्भूत सीढ़ियों को किसी भी प्रकार का संरक्षण या जिर्णोद्वार जैसी आवश्यकता के लायक नहीं समझा है। आज भी यहां आने वाले लोग इन सीढ़ियों में छिपे रहस्य को जानने के लिए इनके ऊपर पत्थरों से वार करते और चोट पहुंचाते रहते हैं।

जबकि गंगा मंदिर की इन्हीं सीढियों के पास एक सूचनात्मक पत्थर भी लगा हुआ है जिस पर लिखा हुआ है कि प्रशासन के सहयोग से सन 1885 से 1890 के बीच इस मंदिर तक पहुंचने के लिये 101 सीढियों का निर्माण कराया गया। स्थानीय लोग यह भी मानते हैं कि सूचना के रूप में लगा यह पत्थर इन सीढ़ियों के इतिहास और इसकी अद्भूत इंजीनियरिंग बारीकियों के प्रति भ्रम पैदा करने के लिए लगाया गया लगता है।

इसे भी पढ़े: धरोहरों का दुर्भाग्य – एक तरफ तो जोड़ रहे हैं दूसरी तरफ तोड़ रहे हैं

दरअसल, इस पत्थर पर उस समय के जिलाधिकारी मेरठ एस.एम. राहट बहादुर व तहसीलदार हापुड़ जोसफ हैनरी का नाम खुदा हुआ है। जबकि स्थानीय लोगों का कहना है कि ये सीढ़ियां भी यहां मंदिर की तरह ही सैकड़ों साल पहले से बनी हुई हैं।

प्राचीन गंगा मंदिर की स्थापना कब और किसने की इसका कोई निश्चित जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन स्थानीय लोग इसे हजारों वर्ष पहले स्थापित मंदिर मानते हैं और इस वक्त जो मंदिर संरचना यहां खड़ी है वह भी लगभग 600 वर्ष पुरानी है।

गढ़मुक्तेश्वर में स्थित इस प्राचीन गंगा मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर एक अति प्राचीनऔर पौराणिक समय का मंदिर है और इस मंदिर का उल्लेख पुराणों में भी देखने को मिलता है। यह मंदिर शहरी आबादी के एक छोर पर लगभग 80 फीट ऊंचे टीले पर बना हुआ है। जबकि गंगा नदी यहां से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर है।

बताया जाता है कि आजादी के पहले तक भी इस प्राचीन गंगा मंदिर में गंगा स्नान के दौरान आयोजित होने वाले मेले से प्राप्त आय का एक हिस्सा यहां के सभी मंदिरों के रखरखाव में खर्च किया जाता था। लेकिन, आजादी के बाद से उस आर्थिक सहायता को बिना कोई कारण बताये बन्द करने का नोटिस जारी कर दिया गया। जिससे इस मंदिर के रखरखाव का कार्य ठप हो गया। आज इस मंदिर और इसकी इन सीढ़ियों की खस्ता हालत यह है कि इसमें कई प्रकार की मरम्मत और रखरखाव के कार्यों की सख्त आवश्यका है।

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