आजकल देखा जा रहा है कि सोशल मीडिया में कई लोग अपने नाम के साथ जाति के बजाय “सनातनी” लिखने लगे हैं। ऐसे लोगों से मेरा अनुरोध है कि कृपया अपनी जाति को न छुपाएं। जाति ही आपकी पहचान है, जिस प्रकार से हमारा धर्म सनातन है और जाति उसकी एक शाखा है।
यदि किसी फल का नाम बताना होता है तो किसी डाली का नहीं बल्कि उस पेड़ का नाम बताना होता है, लेकिन जब रंग, गुण और कच्चा -पका आदि की विशेषता बतानी होती है तो उस फल के बारे में ही बताना होता है न कि उसके सम्पूर्ण वृक्ष की।
इसलिए जहां धर्म की आवश्यकता हो धर्म बताएं या धर्म का बखान अवश्य करें लेकिन अपनी जाति को भी न छुपाएं। जाति का भी अपना एक महत्व है। अनादिकाल से इसकी आवश्यकता महसूस होती आ रही है।
जिस प्रकार से पक्षी और पशु की पहचान के लिए उनको जाति रूपी “पक्षी” और “पशु” श्रेणी में रखा जाता है लेकिन क्योंकि वे सब हैं तो “जीव” ही और जीव ही उनका धर्म है।
असल में यहां ये भी जान लेना चाहिए कि आजकल “सनातनी” लिखने का चलन एक विशेष राजनीतिक पार्टी के आईटी सेल द्वारा हिंदुओं को मूर्ख समझकर उन्हें तोड़ने के लिए शुरू किया गया है। यह भी हिंदुओ के विरुद्ध एक जिहाद का ही हिस्सा है और इससे हिंदुओं की असली पहचान छुपा दी जाती है ताकि आवश्यकता पड़ने पर वे उनकी उचित सहायता न कर सके और उनसे मुंह फेर लें।
हमें ध्यान रखना चाहिए कि वे लोग हिंदू धर्म की छोटी-छोटी बातों को भी बहुत ध्यान से देखते हैं और उसी के आधार पर हमारे खिलाफ जिहाद को फैलाते हैं। और फिर उसे अंधविश्वास कहना शुरू कर देते हैं।
छुआछूत विषय हमारे धर्म में नहीं था आज भी नहीं है। लेकिन ये भी सच है कि छुआछूत को किसी खास समय पर इस्तमाल किया जाता था, लेकिन उसको भी इन लोगों ने जातियों से जोड़ दिया।