प्रायः लोग अभिवादन के लिए ‘नमस्ते’ और ‘नमस्कार’ दोनों शब्दों का प्रयोग करते हैं।
कुछ लोग मानते हैं ‘नमस्ते और नमस्कार’ दोनों का अर्थ एक ही है।
दोनों का अर्थ एक ही तब कहा जाए जब ये एक दूसरे के पर्यायवाची हों।
किंतु ये दोनों भिन्न अर्थ वाले शब्द हैं।
‘नमस्कार’ में अंत मे ‘कार’ धातु लगने से यह क्रियासूचक बन गया।
‘न’ का अर्थ ‘मैं”
और ‘असते’ का अर्थ है “आपका सम्मान करता हूँ”।
अर्थात ‘मैं आपका सम्मान करता हूँ।’
‘नमस्कार’ शब्द का प्रयोग ‘जड़ यानि निर्जीव वस्तुओं के लिए किया जाता है।
जैसे ‘सूर्य नमस्कार, चन्द्र नमस्कार, सागर नमस्कार’ इत्यादि इत्यादि।
जबकि ‘नमस्ते’ अर्थात ‘नमस्तुभ्यं’ सम्मानसूचक शब्द है। जिसका अर्थ है ‘नमन है तुमको/आपको’ जोकि ‘चेतन यानि सजीव’ के लिए प्रयोग किया जाता है।
इसलिए नमस्कार कम और नमस्ते शब्द का ही प्रयोग ज्यादा करें।