मुझमें दो बुरी आदतें थी, एक थी दांत से नाखुन चबाना और दूसरी सुबह उठते ही बेड-टी की मांग। इन दोनों को छोड़ने का बार-बार प्रयास करता, परंतु असफल रहता!
भगवान का नाम लेकर पहले संकल्प लिया नाखुन चबाने की आदत छोड़ने का। बचपन की आदत थी, छोड़नी मुश्किल थी, परंतु साक्षी भाव ध्यान दशा के कारण आज इस बुरी आदत को छोड़े कई साल हो चुके हैं।
करना बस इतना पड़ा कि, जब भी हाथ मुंह में जाने को उद्यत होता, अंदर बैठा ‘द्रष्टा संदीप’ उसे देखने लगता और हाथ रुक जाता। यही साक्षीभाव दशा है। स्वयं को एक ‘कर्ता’ और दूसरे ‘द्रष्टा’ के रूप में विभाजित कर दें। ‘द्रष्टा मैं’ यदि ‘कर्ता मैं’ को देखने लग जाए तो आप अपने हर कृत्य के साक्षी हो जाएंगे। यही साक्षी भाव ध्यान दशा है।
बेड-टी की बीमारी भी अब समाप्त हो चुकी है। अब तो चाय की आदत भी पूरी तरह से छूट चुकी है। चाय अभी कुछ माह पहले ही छोड़ी है। अब एक बार भी चाय नहीं पीता। इसमें भी साक्षी भाव दशा ने ही कार्य किया। चाय छोड़ने के कारण सर्वाइकल के दर्द में भी काफी आराम आ गया।
स्वयं का साक्षी होना सीखिए, इसमें विष्णु सहस्रनाम का जाप बड़ा सहायक होगा। करना यह है कि पाठ करते हुए मन यहां वहां जब भी भटके, मंत्र के ‘द्रष्टा’ बन जाइए और भगवान विष्णु के उन नामों पर ठहर कर उनके अर्थ गुणिए। धीरे-धीरे मन विदा होता जाएगा और बचेगा सिर्फ मंत्र!
तो चलिए विष्णु जी का नाम लेकर साक्षी भाव दशा में उतरना आरंभ कीजिए। मंत्र में बड़ी शक्ति होती है। भगवान विष्णु आपको आपसे अवश्य मिला देंगे। जय जगन्नाथ
वंदे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।
#sandeepdeo