जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने भारत के चुनाव आयोग और राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के मुख्य चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया है कि –
“एक जुट जम्मू” (पहले का नाम) द्वारा आगामी विधानसभा चुनावों के लिए चुने गए उम्मीदवारों के नामांकन प्रपत्र अपने नए नाम “एकम सनातन भारत दल” में स्वीकार करें। साथ ही एकम सनातन भारत दल के सभी उम्मीदवारों के पक्ष में सामान्य चिन्ह उपलब्ध कराये।
एकम सनातन भारत दल ने इन 4 राज्यों में कई विधायक उम्मीदवार खड़े किए हैं, हालांकि, पार्टी द्वारा अपने आवेदन के दौरान “नाम परिवर्तन प्रक्रिया” के मुद्दे पर ईसीआई की दुर्भावनापूर्ण निष्क्रियता के कारण, इस संबंध में समय पर आवेदन करने के बावजूद एक आम चिन्ह देने से इनकार करने के कारण, ये एकम सनातन भारत दल के नए नाम पर नामांकन फार्म भरने से प्रत्याशियों को किया विकलांग।
जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजेश सेखरी ने एडवोकेट अंकुर शर्मा को डब्ल्यूपी (सी) संख्या 2697 / 2023 में याचिकाकर्ता पार्टी के लिए सुनवाई के बाद भारत चुनाव आयोग को नोटिस पर रखकर पूर्वलिखित अंतरिम निर्देशों को पारित किया ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि पार्टी का नाम बदलने की प्रक्रिया और आम चिह्न का आवंटन क्यों किया गया है इसके तार्किक निष्कर्ष पर नहीं ले जाया गया है।
जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के आदेश का असर और परिणाम यह हुआ है कि एकम सनातन भारत दल अब चारों राज्यों का विधानसभा चुनाव एकम सनातन भारत दल के नाम पर ही लड़ेगी।
इसके अलावा एकम सनातन भारत दल के सभी अधिसूचित उम्मीदवारों को अब चारों राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए एक ही साझा चिन्ह मिलेगा। मुद्दे के अंतिम निपटारे के लिए ईसीआई को चार हफ्ते बाद कोर्ट के सामने पेश होने का आदेश दिया गया है।
एडवोकेट अंकुर शर्मा ने आरोप लगाया है कि- आखिर केंद्रीय चुनाव आयोग किसके दबाव में पिछले छह महीने से एकजुट जम्मू का नाम बदल कर “एकम्स नातन भारत दल” करने की प्रक्रिया को अटका रहा था? इतने समय में तो एक नयी पार्टी का गठन हो जाता है, ये नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाए? आखिर चुनाव आयोग को चला कौन रहा है?
उन्होंने कहा है कि चुनाव आयोग का साक्ष्य हमारे पास उपलब्ध है, जिसमें उनकी तरफ से पहले कहा जा रहा था कि ऊपर से दबाव है, इसलिए आपकी फाईल नहीं बढ़ रही है! उसके बाद कहने लगे कि हमारे पास फुर्सत नहीं है आपकी फाईल देखने की! अप्रैल का हमारा आवेदन आज तक चुनाव आयोग ने खोलकर नहीं देखा? आखिर लोकतंत्र की यह हत्या नहीं तो और क्या है?
उनका आरोप है कि- मात्रा यही नहीं, चुनाव आयोग में चुनाव चिह्न के लिए उन्हीं की सूची से 15 प्रतीकों के साथ हमने जो आवेदन दे रखा है, चुनाव आयोग उसे भी दबा कर बैठ गया, ताकि एकम सनातन भारत दल चार राज्यों की चुनाव प्रक्रिया में शामिल ही न हो सके! किसी पार्टी को चुनाव लड़ने से रोकने की प्रक्रिया का यह गंदा उदाहरण लोकतंत्र को कहां ले जाएगा?
एडवोकेट अंकुर शर्मा के अनुसार आज सारी संवैधानिक संस्था दम तोड़ती जा रही है, जिसका यह एक और नया तथा सटीक उदाहरण है! इससे स्पष्ट हो रहा है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष चुनाव कराने या लोकतंत्र बहाली के लिए नहीं, बल्कि कुछ सफेदपोश नेताओं और पार्टियों के लिए बंधुआ मजदूरी कर रहा है!
एकम सनातन भारत दल (Ekam Sanatan Bharat Dal) को अपने नये नाम के साथ और एक समान चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने के आज के हाईकोर्ट का आदेश चुनाव आयोग की पूरी प्रक्रिया पर एक झन्नाटेदार तमाचा है!
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