Skip to content
13 July 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • आधुनिक इतिहास
  • देश

युवा बलिदानी अनन्त कान्हेरे की अमर कथा

admin 20 April 2024
Anant-Kanhere__Youth-Sacrifice
Spread the love

बलिदान दिवस – 19 अप्रैल

भारत माँ की कोख कभी सपूतों से खाली नहीं रही। ऐसा ही एक सपूत थे अनन्त लक्ष्मण कान्हेरे, जिन्होंने देश की स्वतन्त्रता के लिए केवल 19 साल की युवावस्था में ही फाँसी के फन्दे को चूम लिया।

महाराष्ट्र के नासिक नगर में उन दिनों जैक्सन नामक अंग्रेज जिलाधीश कार्यरत था। उसने मराठी और संस्कृत सीखकर अनेक लोगों को प्रभावित कर लिया था; पर उसके मन में भारत के प्रति घृणा भरी थी। वह नासिक के पवित्र रामकुंड में घोड़े पर चढ़कर घूमता था; पर भयवश कोई बोलता नहीं था।

उन दिनों नासिक में वीर सावरकर की ‘अभिनव भारत’ नामक संस्था सक्रिय थी। लोकमान्य तिलक के प्रभाव के कारण गणेशोत्सव और शिवाजी जयन्ती आदि कार्यक्रम भी पूरे उत्साह से मनाये जाते थे। इन सबमें स्थानीय युवक बढ़-चढ़कर भाग लेते थे।

विजयादशमी पर नासिक के लोग नगर की सीमा से बाहर कालिका मन्दिर पर पूजा करने जाते थे। युवकों ने योजना बनायी कि सब लोग इस बार वन्देमातरम् का उद्घोष करते हुए मन्दिर चलेंगे। जब जैक्सन को यह पता लगा, तो उसने इस पर प्रतिबन्ध लगा दिया।

नासिक के वकील वामन सखाराम खेर स्वतन्त्रता सेनानियों के मुकदमे निःशुल्क लड़ते थे। जैक्सन ने उनकी डिग्री जब्त कर उन्हें जेल में डाल दिया। उसने ताम्बे शास्त्री नामक विद्वान के प्रवचनों पर रोक लगा दी; क्योंकि वे कथा में अंग्रेजों की तुलना रावण और कंस जैसे अत्याचारी शासकों से करते थे। बाबाराव सावरकर ने वीरतापूर्ण गीतों की एक पुस्तक प्रकाशित की थी। इस पर उन्हें कालेपानी की सजा देकर अन्दमान भेज दिया गया।

जैक्सन की इन करतूतों से युवकों का खून खौलने लगा। वे उसे ठिकाने लगाने की सोचने लगे। अनन्त कान्हेरे भी इन्हीं में से एक थे। कोंकण निवासी अनन्त अपने मामा के पास औरंगाबाद में रहकर पढ़ रहे थे। वह और उनका मित्र गंगाराम देश के लिए मरने की बात करते रहते थे। एक बार गंगाराम ने उनकी परीक्षा लेने के लिए लैम्प की गरम चिमनी पकड़ने को कहा। अनन्त की उँगलियाँ जल गयीं; पर उन्होंने चिमनी को नहीं छोड़ा।

यह देखकर गंगाराम ने अनन्त को विनायक देशपांडे, गणू वैद्य, दत्तू जोशी, अण्णा कर्वे आदि से मिलवाया। देशपांडे ने अनन्त को एक पिस्तौल दी। अनन्त ने कई दिन जंगल में जाकर निशानेबाजी का अभ्यास किया। अब उन्हें तलाश थी, तो सही अवसर की। वह जानते थे कि जैक्सन के वध के बाद उन्हें निश्चित ही फाँसी होगी। उन्होंने बलिपथ पर जाने की तैयारी कर ली और एक चित्र खिंचवाकर स्मृति स्वरूप अपने घर भेज दिया।

अन्ततः वह शुभ दिन आ गया। जैक्सन का स्थानान्तरण मुम्बई के लिए हो गया था। उसके समर्थकों ने विजयानन्द नाटकशाला में विदाई कार्यक्रम का आयोजन किया। अनन्त भी वहाँ पहुँच गये। जैसे ही जैक्सन ने प्रवेश किया, अनन्त ने चार गोली उसके सीने में दाग दी। जैक्सन हाय कह कर वहीं ढेर हो गया। उस दिन देशपांडे और कर्वे भी पिस्तौल लेकर वहाँ आये थे, जिससे अनन्त से बच जाने पर वे जैक्सन को ढेर कर सकें।

अनन्त को पकड़ लिया गया। उन्होंने किसी वकील की सहायता लेने से मना कर दिया। इस कांड में अनेक लोग पकड़े गये। अनन्त के साथ ही विनायक देशपांडे और अण्णा कर्वे को 19 अप्रैल, 1910 को प्रातः ठाणे के कारागार में फाँसी दे दी गयी। – साभार

About The Author

admin

See author's posts

464

Related

Continue Reading

Previous: जेल का जवाब वोट से देगी जनता : विधायक राजेश ऋषि
Next: पूजन वंदन श्लोक

Related Stories

Nave Word Medal
  • देश
  • विशेष

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

admin 26 May 2025
Najfgad Jansunwai00
  • देश
  • विशेष

नजफगढ़ थाने में पुलिस जनसुनवाई : एसीपी महेश नारायण जनता की शिकायतों को सुना

admin 8 March 2025
sars mella20250
  • देश
  • विशेष

सरस आजीविका मेला 2025 : “लखपति एसएचजी दीदी की निर्यात क्षमता का विकास”

admin 19 February 2025

Trending News

पुराणों के अनुसार ही चल रहे हैं आज के म्लेच्छ Indian-Polatics-Polaticians and party workers 1
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष

पुराणों के अनुसार ही चल रहे हैं आज के म्लेच्छ

13 July 2025
वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 2
  • विशेष
  • षड़यंत्र

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 3
  • विशेष
  • षड़यंत्र

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025
आसान है इस षडयंत्र को समझना Teasing to Girl 4
  • विशेष
  • षड़यंत्र

आसान है इस षडयंत्र को समझना

27 May 2025
नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह Nave Word Medal 5
  • देश
  • विशेष

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

26 May 2025

Total Visitor

078532
Total views : 143324

Recent Posts

  • पुराणों के अनुसार ही चल रहे हैं आज के म्लेच्छ
  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?
  • आसान है इस षडयंत्र को समझना
  • नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved