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‘स्व-कल्याण’ की भावना से ऊपर उठने की जरूरत…

admin 24 October 2021
Self-confidence is the key to success
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भारतीय समाज में एक बहुत ही पुरानी कहावत प्रचलित है कि यदि पड़ोस में आग लगी हो तो उसकी लपटें आप तक भी आ सकती हैं। यह बात लिखने एवं कहने का आशय मेरा यही है कि ईश्वर की कृपा से समाज में जो भी लोग सुखी एवं संपन्न हैं, उन्हें अपने आस-पास किसी न किसी रूप में यह पता लगाते रहने की नितांत आवश्यकता है कि कहीं किसी के घर का चूल्हा तो नहीं बुझा पड़ा है या किसी भी रूप में आस-पास कोई व्यक्ति दुखी एवं परेशान तो नहीं है। हमारी सनातन संस्कृति में इन बातों का बहुत महत्व रहा है।

सनातन संस्कृति में इस बात की स्पष्ट रूप से व्याख्या की गई है कि यदि आप किसी भी रूप में किसी लाचार-मजबूर व्यक्ति की किसी भी प्रकार से मदद करते हैं तो ईश्वर आपकी किसी भी मोड़ पर किसी भी रूप में मदद अवश्य करेगा। व्यक्ति के जीवन में मुसीबतों का आना-जाना लगा रहता है और यह स्वाभाविक भी है, इसीलिए हमारी सनातन संस्कृति में स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि अपने साथ अच्छा होना अच्छी बात है, किन्तु सबके साथ अच्छा होना और अच्छी बात है यानी समाज में सुख-शांति एवं अमन-चैन बना रहे, इसके लिए यह जरूरी है कि सबकी दाल-रोटी चलती रहे। समाज में ऐसी स्थिति बरकरार रहे, इसके लिए उन लोगों को महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करना होगा, जो दूसरों की मदद करने में सक्षम एवं समर्थ हैं।

हालांकि, समाज में ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं है जो दीन-दुखियों की सेवा एवं मदद में लगे रहते हैं और बदले में किसी प्रकार का उनका कोई स्वार्थ भी नहीं होता किन्तु ऐसे भी समाजसेवियों की संख्या कम नहीं है जो सेवा के बदले कुछ चाहत भी रखते हैं यानी सेवा के बदले उनके मन में कोई न कोई स्वार्थ भी छिपा रहता है।

वैसे, हमारे समाज एवं हमारी सनातन संस्कृति में प्राचीन काल से ही एक कहावत प्रचलित है कि ‘नेकी कर दरिया में डाल’ यानी किसी के साथ यदि किसी प्रकार की मदद की जाये तो उसके बदले किसी प्रकार की इच्छा नहीं पालनी चाहिए। समाज में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका मानना है कि ‘आप भला तो जग भला’ किन्तु इस प्रकार की भावना से समाज में सुख-शांति कायम नहीं हो सकती है।

समाज में सुख-शांति के लिए यह अनिवार्य है कि प्रत्येक व्यक्ति को दो वक्त की रोटी मिलती रहे। कुल मिलाकर कहने का आशय यही है कि यदि ‘स्व-कल्याण’ की भावना से थोड़ा सा ऊपर उठकर सबके कल्याण हेतु विचार कर लिया जाये तो समाज में सदा के लिए सुख-शांति बनी रहेगी यानी दूसरों को प्रसन्न देखने की इच्छा यदि सभी लोगों में आ जाये तो समाज में सर्वत्र प्रसन्नता ही नजर आने लगेगी और इसी में सभी समस्याओं का समाधान भी निहित है।

– जगदम्बा सिंह 

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