पिछले कुछ वर्षों से भारत के कई क्षेत्रों का जल संकट लगातार गहराता जा रहा है। विश्वास न हो तो यूनेस्को की ताजा रिपोर्ट को ही देख लें। यूनेस्को की इस ताजा रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 तक भारत के कई हिस्सों में जल संकट बहुत अधिक बढ़ जाएगा जो कि हम पिछले कुछ वर्षों से देख ही रहे हैं। इसके पीछे का प्रमुख कारण भी साफ बताया गया है कि बड़े शहरों में अत्यधिक भूजल का दोहन हो रहा है जबकि भारत के इन्हीं तमाम बड़े शहरों में जलसंरक्षण को लेकर किसी भी स्तर की जागरूक है ही नहीं। समस्या तो यह है कि अब तक की सभी सरकारें भी इस संकट से एकदम अनजान हैं। यहाँ हम उन तमाम शहरों में से एक उज्जैन शहर का उदहारण देकर अपनी तमाम सरकारों को यह बताना चाहते हैं कि अब भी समय है कृपया संभल जाओ –
सेवरखेड़ी डेम क्यों बनाना आवश्यक है, इसके कारणों को जानना जरूरी है..!
1. सेवरखेड़ी डेम के बनने से शिप्रा नदी सदैव प्रवाहमान रहेगी, हर रोज अगर सेवरखेड़ी डेम से 2 MCFT पानी भी छोड़ा जाये तो शिप्रा नदी में प्रवाह बना रहेगा।
2. उज्जैन की बढ़ती जनसंख्या के लिए भी इस डेम का बनना बेहद जरूरी है, केवल गम्भीर बांध से ही शहर की पेयजल आपूर्ति नहीं की जा सकती।
3. गम्भीर बांध का निमार्ण भी इस तरह से है कि अगर किसी वर्ष इन्दौर के यशवंत सागर बांध के क्षेत्र में मानसून सामान्य नहीं रहता तो यशवंत सागर के गेट नहीं खुलते, इस स्थिति में गम्भीर बांध में पर्याप्त मात्रा में पानी जमा नहीं हो पाता, और उज्जैन में जनवरी-फरवरी तक जलसंकट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
4. सेवरखेड़ी डेम जिस क्षेत्र में निर्मित होगा वहाँ से मानसून के वक्त शिप्रा में जो बाढ़ आती है उस पानी को डेम इकठ्ठा करके मानसून के बाद शहर में सप्लाय किया जा सकता है।
5. अभी तर्क ये दिया जा रहा है कि नर्मदा का पानी भविष्य में पाईप-लाईन के माध्यम से शहर को दिया जायेगा, जो पानी नर्मदा के माध्यम से शहर आयेगा, वो काफी मंहगा साबित होगा, और नर्मदा नदी के बांधों से पहले ही मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान के कई शहरों और गांवों को पानी दिया जा रहा है, और भविष्य में और भी कई इलाकों में पानी देना का एग्रीमेन्ट हो चुका है।
6. उज्जैन में दो डेम (गम्भीर बांध, सेवरखेड़ी बांध) होंगे तो पानी के मामले में शहर आत्मनिर्भर होगा, किसी डेम में पानी कम होने पर दूसरे डेम से पानी लिया जा सकेगा।
7. सेवरखेड़ी डेम के बनने से किसानों को भी पानी दिया जा सकेगा, और वो वर्ष में दो से तीन फसलें बो सकेंगे, जिनसे उनकी आमदनी भी बढ़ेगी।
8. उज्जैन में हर 12 साल में सिंहस्थ का मेला लगता है, जिसमें लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं का आगमन होता है, सिंहस्थ में शिप्रा स्नान और पेयजल आपूर्ति के लिए भी सेवरखेड़ी डेम उपयोगी साबित होगा।
9. सेवरखेड़ी डेम के बनने से उज्जैन के पास एक पर्यटन स्थल और जुड़ जायेगा, डेम के बेक-वाटर में वॉटर स्पोर्टस और अन्य गतिविधियां हो सकेंगी।
मेरा मानना है कि इन सभी बिंदूओं को ध्यान में रखते हुए प्रशासन को किसानों, शहर की जनता और श्रद्धालूओं के हित में फैसला लेते हुए, इस डेम का निर्माण जरूर करवाना चाहिए।
साभार – (लखन वाधवानी जी की पोस्ट से)