स्वर्गीय पी वी नरसिम्हा राव जी (पूर्व प्रधानमंत्री) द्वारा 1992 के बाबरी विध्वंस के मुख्य नायक और CBI के मुख्य आरोपी संतोष दूबे जी के लिए न केवल 50,000₹ देकर सहायता की गई थी, बल्कि यह भी आश्वासन दिया था कि ढांचा तोड़ने के लिए 5 घंटे का समय भी मिलेगा, इस बीच तुम्हें कोई सुरक्षाबल हाथ नहीं लगाएगा, और उसके बाद उनके द्वारा यह भी सुनिश्चित किया गया था कि अगले 36 घंटों में उन सभी कार सेवकों को अयोध्या से बाहर निकालने के लिए सुरक्षित रेल सेवा देना था।
यह जानकारी यूट्यूब पर उपलब्ध एक वीडियो के आधार पर है जो सरकारी मीडिया या सरकारी यूटूबारों की भीड़ से अलग है और इस जानकारी को हर एक हिन्दू को याद रहनी चाहिए, इसका लिंक यहां हम दे रहे हैं:
हालाँकि उस कार सेवा में हमारे चारों शंकरचार्य जी भी इन सभी पुरस्कारों से ऊपर हैं किन्तु उन्हें भी इस अवसर पर याद किया ही जाना चाहिए, क्योंकि उनका भी राम काज में सबसे महत्वपूर्ण योगदान था। शंकराचार्यों की सहायता और संतोष दूबे जी के श्रम से ही पी वी नरसिम्हा राव जी ने बाबरी विध्वंस को अन्ज़ाम दिया था। ज्योतिर्मठ के वर्तमान शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द जी और उनके गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का योगदान भी 1992 के उस बाबरी विध्वंस में याद रखना चाहिए।
स्वरूपानंद सरस्वती जी ने मस्जिद दो ढहाने के लिए मुख्य आरोपी संतोष दूबे जी की टीम और कार सेवा में लगे उन सभी 5,000 शिव सैनिकों को न सिर्फ विभिन्न हथियार दिए बल्कि प्रशिक्षण भी दिलवाया था कि किस प्रका से और कैसे उस ढाँचे को ढहाना है और कौन किस प्रकार से वहाँ बाधा बन सकता है और उनसे निपटने के लिए तलवारों के दम पर कैसे रोका जा सकता है।
जो लोग धर्म को समझते हैं वे ये भी समझते ही होंगे कि भारत रत्न के पुरस्कार के लिए किसका चयन कब होना चाहिए और एकसाथ या अलग-अलग और आवश्यकता के अनुसार होना चाहिए। फिलहाल तो लगता है कि मात्र राजनीतिक लाभ और व्यक्तिविशेष के लिए सारे नियम तोड़े जा रहे हैं।
कभी-कभी कुछ अच्छे कार्य ईश्वर किसी से भी करवा सकता है। और इस बार #BharatRatna के लिए पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय पी वी नरसिम्हा राव जी के नाम की घोषणा की गई। पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को भारतरत्न देने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद।