महादेव की पावन नगरी काशी में उनके पुत्र गणेश जी के छप्पन मन्दिर हैं जो काशी के ही अलग-अलग स्थानों पर निवास करते हैं और पौराणिक युग में स्थापित ये सभी मंदिर और इनमें विराजित भगवान् गणेश जी अपने भक्तों को अभय दान दे कर उनके कष्टों का निवारण करते हैं।
आइए जानते हैं उन छप्पन मंदिरों के नाम और वे काशी में जहाँ-जहाँ स्थापित हैं उनके पते के साथ हैं –
- अभय विनायक- दशाश्वमेध घाट
- आर्क विनायक – लोलार्क कुंड के पास
- आशा विनायक – मीर घाट
- अविमुक्त विनायक – विश्वनाथ मंदिर
- भीम चंडी विनायक – पंचकोशी मार्ग
- चक्रदंत विनायक – नयी सड़क
- चिंतामणि विनायक – ईश्वर गंगी तालाब लहूराबीर के पास
- चित्रघंट विनायक – चौक
- दंतहस्त विनायक – बड़ा गणेश मंदिर के पास
- देहली विनायक – बनारस के पास गांव में
- दुर्ग विनायक – दुर्गा कुंड मंदिर के पीछे
- दूर्मूख विनायक – काशी करवट
- द्वार विनायक – स्वर्ग द्वारेश्वर मणिकर्णिका घाट के पास
- द्विमुख विनायक – द्विमुख विनायक का मंदिर, संबा आदित्य के पश्चिम सूरज कुण्ड के पास स्थित है।
- एक दंत विनायक – एक दंत विनायक का मंदिर पुष्प दंतेश्वर बंगाली टोला में स्थित है।
- गजकर्ण विनायक का मंदिर – कोतवालपुरा ईशानेश्वर में स्थित हैं
- गजविनायक – गज विनायक का मंदिर राजा दरवाजा बड़ा भूतेश्वर मंदिर के पास स्थित है
- गणनाथ मंदिर – गणनाथ विनायक का मंदिर ढंढ़ी राज गली विश्वेश्वर मंदिर के पास स्थित है।
- ज्ञान विनायक – ज्ञान विनायक का मंदिर खोवा गली चौराहा लंगीलेश्वर मंदिर
- ज्येष्ठ विनायक – ज्येष्ठ विनायक का मंदिर सप्तसागर मोहल्ला मैदागिन के पास स्थित है।
- काल विनायक – काल विनायक राम घाट पर स्थित है। चौक से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
- कलिप्रिय विनायक – कलिप्रिय विनायक का मंदिर साक्षी विनायक के पीछे मनप्रकमेश्वर मंदिर के पास स्थित है।
- खर्व विनायक – खर्व विनायक का मंदिर राजघाट किले के बगल में स्थित है।
- दुर्ग विनायक – दुर्ग विनायक का मंदिर दुर्गाकुण्ड में स्थित है।
- उद्दण्ड विनायक – उद्दण्ड विनायक का मंदिर भुइली रामेश्वर में विद्यमान है।
- पाशपाणी विनायक – इनका मंदिर सदर बाजार क्षेत्र में स्थित है।
- सिद्धि विनायक – सिद्धि विनायक का मंदिर मणिकर्णिका कुण्ड के पास है।
- लम्बोदर विनायक – लम्बोदर विनायक का मंदिर केदारघाट पर स्थित है।
- कूटदन्त विनायक का मंदिर – क्रींकुण्ड पर है।
- शालकण्ड विनायक – इनका मन्दिर मण्डुवाडीह पर है।
- कुण्डाण्ड विनायक – कुण्डाण्ड विनायक का मंदिर फुलवरिया में है।
- मुण्ड विनायक – इनका मंदिर सदर बाजार में स्थित है।
- विकटद्विज विनायक – इनका मंदिर धूपचंडी क्षेत्र में है।
- राजपुत्र विनायक – इनका मंदिर राजघाट किले के पास स्थित है।
- प्रणव विनायक – प्रणव विनायक का मंदिर त्रिलोचन घाट पर स्थित है।
- वक्रतुण्ड विनायक – वक्रतुण्ड विनायक का मंदिर लोहटिया में है।
- त्रिमुख विनायक – इनका मंदिर सिगरा टीले के पास है।
- पंचास्य विनायक – पंचास्य विनायक का मंदिर पिशाचमोचन स्थित है।
- हेरम्ब विनायक – हेरम्ब विनायक का मन्दिर मलदहिया इलाके में है।
- विघ्न हरण विनायक – इनका मन्दिर चित्रकूट इलाके में स्थित है।
- वरद विनायक – वरद विनायक का मन्दिर प्रह्लाद घाट पर है।
- मोदक प्रिय विनायक – इनका मन्दिर त्रिलोचन मन्दिर के पास है।
- सिंहकुण्ड विनायक – इनका मन्दिर खालिसपुरा में है।
- कूणिताक्ष विनायक – इनका मन्दिर लक्ष्मीकुण्ड में है।
- प्रसाद विनायक – प्रसाद विनायक का मन्दिर पितरकुण्डा पर है।
- पिचडिला विनायक – इनका मन्दिर प्रह्लाद घाट पर है।
- उद्दण्ड विनायक – इनका मन्दिर त्रिलोचन बाजार में स्थित है।
- स्थूलदण्ड विनायक – इनका मन्दिर मानमंदिर के पास है।
- नागेश विनायक – इनका मन्दिर भोंसला घाट पर है।
- सृष्टि विनायक – इनका मन्दिर कालिका गली में है।
- यक्ष विनायक – इनका मंदिर कोतवालपुरा में है।
- मंगल विनायक – मंगल विनायक बालाघाट में स्थित है।
- मित्र विनायक – इनका मन्दिर सिंधिया घाट पर विद्यमान है।
- मोदक विनायक – इनका मन्दिर काशी करवट मन्दिर के पास है।
- प्रमोद विनायक – प्रमोद विनायक का मन्दिर काशी में है।
- सुमुख विनायक – विनायक का मन्दिर मोतीघाट पर स्थित है।
काशी में स्थित इन पौराणिक काल के छप्पन विनायकों की यात्रा महाफलप्रद मानी जाती हैं। मान्यता के अनुसार एकादश विनायक यात्रा उन लोगों के लिए विकल्प है जो शारीरिक अस्थिरता के कारण देश के अन्य क्षेत्रों में स्थित छप्पन विनायक दर्शन यात्रा नहीं कर सकते हैं। यह काशी के प्रमुख मंदिरों में गिने जाते हैं तथा सिद्धपीठ माने जाते हैं। इन सभी मंदिर में गणपति-मंत्र की सिद्धि पूरी श्रद्धा के साथ की जाती है।
इनके अलावा एकादश यानी ग्यारह विनायक निम्न प्रकार हैं:-
- ढुण्ढिराज विनायक
- हरिश्चन्द्र विनायक
- एकदन्त विनायक
- बिन्दु विनायक
- सेना विनायक
- सीमा विनायक
- चिंतामणि विनायक
- महाराज विनायक( बड़ा गणेश)
- मित्र विनायक
- कुडिताक्ष विनायक
- भीम चंडी विनायक