हम सभी हिन्दुओं के लिए यह सम्मान की बात है कि सनातन धर्म का आधुनिक युग का सबसे प्रमुख आधार स्तम्भ माने जाने वाले पवित्र गीता प्रेस को सरकार के द्वारा “गांधी शांति पुरस्कार” से सम्मानित किया गया है. लेकिन उससे भी बड़ी बात जो आम हिन्दुओं को जान लेनी चाहिए वो ये है कि आज तक जिस गीता प्रेस को धन के अभाव को लेकर अब तक जो प्रेस को बंद करने की खबरें उड़ाई जा रहीं थीं उनको लेकर हिन्दू धर्म का जोर-शोर से और प्रमुखता के साथ प्रचार करने वाले श्री पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा है कि यह एक दम तथ्यहीन और झूठ है और सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसी सारी खबरें ख़बरें झूठी फैलाई जा रहीं थीं.
दरअसल पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जी ने जब अपने सोशल मीडिया के फेसबुक पेज पर एक पोस्ट लिखकर गीता प्रेस को प्राप्त इस सम्मान के लिए ख़ुशी जाहिर की है जिसमें उन्होंने लिहा है कि, – “गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिया गया. प्रेस ने पुरस्कार को सम्मान पूर्वक स्वीकार किया और पुरस्कार के साथ मिलने वाली 100.000.00 (एक करोड़ रुपये) की राशि लेने से इनकार कर दिया. गीता प्रेस की स्थापना से लेकर आज तक कभी किसी से एक पैसे तक का अनुदान नहीं लिया.”
इसके बाद उनके एक फालोवर ने कमेंट में लिखा कि, -“गीता प्रेस की स्थिति तो काफी गड़बड़ हो गई थी क्योंकि सनातनीयों ने उनसे पुस्तके मंगवाना लगभग बंद कर दिया था पर पुष्पेंद्र जी आपने कमाल कर दिया. संजीवनी दे दी इस महान संस्थान को, इसके लिए सनातन समाज हमेशा आपको याद करेगा.”
जवाब में श्रीमान पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जी ने लिखा है कि, – आप एक दम ग़लत लिख रहे हैं. स्थापना से आज तक गीता प्रेस की कभी ना स्थिती ख़राब हुई, ये सब सनातन विरोधी पादरियों का षड्यंत्र था और है और कुछ बिके हुए पत्रकारों का. इसी बात को जानने के लिए मैं खुद गीता प्रेस गोरखपुर गया और पूरी प्रेस के सारे महानुभावों मिला. गीता प्रेस की आर्थिक हालात ख़राब हैं आदि आदि पर जानकारी मिली तो सब का कहना था एक बार राष्ट्रपति जी आए थे आपने भी कुछ आर्थिक दान दिया प्रेस के सारे ट्रस्टी ने उस समय राष्ट्रपति के सम्मान के कारण चुप्पी साध ली और एक हफ़्ते बाद राष्ट्रपति के सचिव के माध्यम से राष्ट्रपति की दान राशि को सम्मान के साथ राष्ट्रपति भवन वापस लोटा दिए.
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