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शिरीष: सनातन में आस्था जाग्रत करने का प्रतिक

admin 30 July 2025
Shirish Flowers and Tree Albizia lebbeck in India and in Hindu Dharm (भारत और हिंदू धर्म में शिरीष के फूल और पेड़ अल्बिज़िया लेबेक)
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शिरीष एक मध्यम आकर का वृक्ष और बड़े आकार के पौधों में स्थान रखता है। इसके पुष्पों का सनातन धर्म में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व माना गया है। अंग्रेजी भाषा में शिरीष को अल्बिज़िया लेबेक (Albizia lebbeck) कहा जाता है। यह एक बहुत ही मनमोहक, सुगंधित और सुंदर फूलों वाला वृक्ष है, जिसका उल्लेख हमारे कई प्राचीन ग्रंथों और धार्मिक परंपराओं में मिलता है। शिरीष के फूलों को विशेष तौर पर उनकी सुगंध और सौंदर्य के कारण पूजा-अर्चना में भी उपयोग किया जाता है। खास तौर पर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को शिरीष के पुष्प सबसे अधिक अर्पित किए जाते हैं। इसीलिए कुछ क्षेत्रों में ये पुष्प मंदिरों के पास की दुकानों पर चढ़ावे के लिए विशेष रूप में भी बेचे जाते हैं।

शिरीष के फूलों का उपयोग इसके औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद में भी किया जाता है। इसके अलावा इन पुष्पों को शांति और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। शिरीष के फूलों की सुगंध मन को शांत करने और ध्यान में सहायता करने के लिए जानी जाती है, जिससे ये आध्यात्मिक साधना में भी महत्वपूर्ण हैं। शिरीष के फूल सौंदर्य, शांति और प्रेम के प्रतीक माने जाते हैं। शिरीष का वृक्ष सनातन की  मान्यताओं में प्रकृति के साथ सामंजस्य और संतुलन का प्रतीक बताया गया है, इसीलिए इसके फूलों को प्रेम और भक्ति के भावों से जोड़ा जाता है।

शिरीष के फूलों की सुंदरता और सुगंध की प्रशंसा संस्कृत साहित्य और अन्य कई प्रमुख प्राचीन ग्रंथों में, जैसे कालिदास की रचनाओं में बार-बार की गई है। यह वृक्ष और इसके फूल प्रमुख रूप से प्रकृति की उदारता और सौंदर्य को दर्शाते हैं, जो हिन्दू दर्शन में ईश्वर की सृष्टि का हिस्सा माने जाते हैं। इसीलिए आध्यात्मिक, पर्यावरणीय और धर्म की दृष्टि से भी शिरीष का वृक्ष और इसके पुष्प  महत्वपूर्ण है।

केवल वृक्ष की दृष्टि से भी देखें तो इसे छायादार और पर्यावरण को शुद्ध करने वाला भी माना जाता है, जिसके कारण हिन्दू धर्म में प्रकृति पूजा से स्वयं ही जुड़ जाता है। शिरीष के फूलों का उपयोग अन्य फूलों की भाँती ही क्षेत्रीय और स्थानीय परंपराओं में विशेष स्थान रखता है इसलिए कुछ समुदायों में, इन फूलों को विशेष उत्सवों या अनुष्ठानों में शामिल किया जाता है।

Shirish Flowers and Tree Albizia lebbeck in India and in Hindu Dharm (भारत और हिंदू धर्म में शिरीष के फूल और पेड़ अल्बिज़िया लेबेक)

शिरीष एक तेजी से बढ़ने वाला वृक्ष है जो मात्र कुछ ही महीनों में छोटे और मध्यम वृक्ष का आकर ले लेता है। यह वृक्ष विभिन्न प्रकार की जलवायु में उगने की क्षमता रखता है। हिन्दू धर्म में शिरीष का वृक्ष बहुत ही पवित्र माना जाता है इसलिए खासतौर पर इसे मंदिरों या पवित्र स्थानों के आसपास लगाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण और बहुपयोगी वृक्ष है, जो हिन्दू धर्म, आयुर्वेद, और पर्यावरणीय दृष्टि से विशेष स्थान रखता है। वैज्ञानिक दृष्टि से यह मिमोसॉइडी (Mimosaceae) परिवार का पर्णपाती वृक्ष है, जो भारत सहित दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया, और ऑस्ट्रेलिया के उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।

आकार की दृष्टि में शिरीष एक मध्यम से बड़े आकार का वृक्ष है, जो 15-30 मीटर तक ऊंचा हो सकता है। इसकी छाल भूरी-धूसर और खुरदरी होती है और पत्तियां छोटे-छोटे आकार की दोहरी पंखनुमा होती हैं, जो रात में बंद हो जाती हैं और सूरज निकलने पर फिर से खुल जातीं हैं। शिरीष के फूल छोटे, सुगंधित, और लाल, सफेद, हलके हरे या पीले रंग के भी होते हैं, जो गोलाकार गुच्छों जैसे खिलते हैं। इनकी सुगंध बहुत ही आकर्षक होती है। जबकि शिरीष के फल चपटे, लंबे और भूरे रंग के छींटेदार होते हैं, जिनमें बीज होते हैं। ये फल सूखने पर खड़खड़ाहट की आवाज करते हैं।

शिरीष के आयुर्वेदिक और औषधीय उपयोग –
शिरीष वृक्ष के विभिन्न भागों जैसे पत्तियां, छाल, फूल, बीज, और जड़ आदि का उपयोग आयुर्वेद में औषधीय रूप से किया जाता है। शिरीष पत्तियों का उपयोग त्वचा रोगों, घावों और सूजन को कम करने में त्वचा पर लेप के लिए किया जाता है। शिरीष की छाल का उपयोग काढ़ा बनाकर बुखार, दांत दर्द, और पाचन समस्याओं के उपचार में प्रयोग होती है।

शिरीष के फूल की सुगंध मन को शांत करती है और तनाव कम करने में सहायक है। इसके अलावा इसके फूलों का उपयोग कुछ अन्य प्रकार के औषधीय तेलों में भी होता है। दस्त लगने और अन्य पाचन समस्याओं में शिरीष के बीज बहुत लाभकारी माने जाते हैं। इसके बीजों का तेल भी औषधीय उपयोग में लाया जाता है। शिरीष के वृक्ष की जड़ का उपयोग सर्पदंश (Snake bite) और बुखार के उपचार में उपयोगी मानी जाती है। इसीलिए शिरीष के वृक्ष को आयुर्वेद में “विषघ्न” (विषनाशक) माना जाता है, क्योंकि यह विषैले प्रभावों को कम करने में सहायक है।

शिरीष वृक्ष के पर्यावरणीय महत्व –
शिरीष वृक्ष एक छायादार वृक्ष है, जिसके कारण इसे शहरों की सड़कों के किनारे, पार्कों, और बगीचों में लगाया जाता है। इसके अलावा यह मिट्टी का भी संरक्षण करता है। इसकी जड़ें मिट्टी को बांधने और कटाव रोकने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिक निभातीं हैं। इसके अलावा यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में भी सहायक है, क्योंकि शिरीष का वृक्ष नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाली प्रजाति का वृक्ष है।

शिरीष वृक्षों की खासियत है की यह सूखा और बहुत काम कम पानी वाले क्षेत्रों में भी जीवित रह सकता है, जिसके कारण यह शुष्क क्षेत्रों में बेहद उपयोगी माना जाता है। इन सब के अलावा, पर्यावरण की दृष्टि में दुनिया की वर्तमान स्थिति को देखते हुए शिरीष का वृक्ष वायु को शुद्ध करने और पर्यावरण को स्वच्छ रखने में भी बेहद महत्वपूर्ण योगदान देता है।

– अजय चौहान

#Albizia_lebbeck #शिरीष #वनस्पति #पर्यावरण #Lebbeck #Environment

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