धूर्त गोविन्दानन्द ने फर्जी कागज प्रस्तुत कर किया था बैंक को गुमराह
12 जुलाई 2024 | जगत्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरनन्द सरस्वती जी महाराज के सोशल मीडिया अकाउंट से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार – गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी नामधारी एक चीटर, बहुरूपिया, छली, कपटी, धूर्त, ढोंगी मानुष है जो यह भलीभाँति जानते हुए भी कि वह ब्रह्मलीन गद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का दंडी संन्यासी नहीं हैं, फर्जी दस्तावेजों को निर्मित करके अपने आधार पत्र संख्या 840652303973 में स्वयं को उनका पुत्र लिखवाकर उनके दंडी संन्यासी शिष्य होने का तिरूपण करता है।
उक्त प्रतिरूपक ने कपटपूर्वक छल एवं प्रवंचना करते हुए कनारा बैंक के अधिकारियों को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश को तोड़ मरोड़ कर पेश करते हुए ऑपराधिक न्यासभंग करने हेतु दुष्प्रेरित करके उनसे जगत्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द् सरस्वती जी महाराज के द्वारा संचालित उनके ‘ज्योतिर्मठ बद्रीकाश्रम हिमालय’ न्यास के केनरा बैंक के खाते को ५ जून को फ्रीज करवा दिया था।
इस बैंक खाते से संबंधित अति गोपनीय आंतरिक पत्राचारों को प्राप्त कर उसने बद्री विशाल – गढ़वाल समाचार, अमर उजाला, जनवार्ता आदि हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों के 5 जून 2024 के ऑनलाइन संस्करणों / मुद्रित संस्करणों तथा स्वामी गोविंदनंद सरस्वती नामक फेसबुक हैन्डल से यह प्रचारित प्रसारित किया कि केनरा बैंक की चौक शाखा में “ज्योर्तिमठ बदरिकाश्रम हिमालय” के नाम से “ज्योर्तिमठ बदरिकाश्रम हिमालय न्यास का जगत्गुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर बदरिकाश्रम हिमालय का जो खाता था उसे हिन्दू कानूनी अधिकार सरक्षण मंच के स्वामी गोविंदनंद सरस्वती के द्वारा 14 मई 2024 को की गई शिकायत के आधार पर 5 जून को फ्रीज कर दिया गया।’
प्रतिरूपक ठग स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने जगत्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरनन्द सरस्वती जी महाराज के लिए अपमानजनक सम्बोधन का प्रयोग करते हुए समाचार पत्रों के संवाददाताओं को बताया कि “फर्जी दस्तावेजों के साथ स्वघोषित फर्जी बाबा अविमुक्तेश्वरनन्द द्वारा ज्योर्तिमठ बदरिकाश्रम हिमालय के आधिकारिक खाते को धोखाधड़ी से अपने नाम पर स्थानांतरित कर उसमें से 60 लाख रुपये निकाल कर गबन कर लिया है। वाराणसी बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक ने खाते को फ्रीज कर दिया और हस्ताक्षरित दस्तावेज मोहर के साथ स्वामी गोविंदनंद सरस्वती को सौप दिया है।” यही नहीं उसके बाद उस बहुरूपिये ढोंगी गोविंदानंद ने केनरा बैंक के पत्राचार को प्रस्तुत करते हुए बैंक ऑफ इण्डिया के सोनारपुर शाखा के शाखा प्रबंधक एवं उनके उच्च अधिकारियों को भी छल, प्रवंचना और कपटपूर्ण कथनों और फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से दुष्प्रेरित करते हुए जगत्गुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम हिमालय महा स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी द्वारा संचालित उनके एक अन्य ट्रस्ट ‘स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती न्यास के खाते को भी फ्रीज करवा दिया था और उनके लिए अपमानजनक सम्बोधन का प्रयोग करते मानहानिकारक समाचार को समाचार पत्रों में प्रकाशित करवा दिया था ।
बहुरूपिये ढोंगी गोविंदानंद के इन आपराधिक कृत्यों को उजागर करते हुए जगत्गुरु शंकराचार्य के सर्वोच्च न्यायालय के ए. ओ. आर. श्री अंजनी कुमार मिश्र ने दिनांक १७.०६.२०२४ को कैनरा बैंक व बैंक ऑफ इण्डिया के संबंधित शाखा प्रबंधकों तथा उच्चाधिकारियों समेत छली कपटी चीटर जालसाज स्वामी गोविंदनंद सरस्वती को तथा उसके द्वारा स्थापित फर्जी संस्था ‘हिन्दू लीगल राइट प्रोटेक्शन फोरम’ वजरिए सुश्री अनुराग राणा को
कानूनी नोटिस दिया।
उस नोटिस को पाने के बाद दोनों ही बैंकों ने सत्य की गहन छानबीन और जाँच पड़ताल करने के बाद यह स्वीकार करते हुए कि फेक / फर्जी स्वामी गोविंदानंद की संस्था द्वारा दिए गए पत्रों जिनमें गरिमापूर्ण स्पष्टवादिता का सर्वथा अभाव है अर्थात जो नीचतापूर्ण और झूठ से भरपूर हैं के कारण धोखाधड़ी की आशंका से उन्होंने खातों को फ्रीज कर दिया था परंतु अब सत्य का ज्ञान होने पर उन खातों को अनफ्रीज़ कर दिया है।
यह सब उन बैंकों के विद्वान अधिवक्ता श्री अमित सोनकर, एल एल. एम, इलाहाबाद उच्च न्यायालय जिनका वाराणसी में भी विधि प्रकोष्ठ है ने अपने पत्रों दिनांक ०३.०७ २०२४ व १०.०७.२०२४ के दवरा जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरनन्द सरस्वती जी को उनके विद्वान अधिवक्ता के माध्यम से सूचित किया है।
अपने पत्र १०.०७.२०२४ के द्वारा जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी विमुक्तेश्वरनन्द सरस्वती जी को जो असुविधा हुई उसके लिए बैंक की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अमित सोनकर जी ने खेद भी व्यक्त किया है। हम सभी समाचार पत्रों के माध्यम से सर्वसाधारण को सूचित करते हैं कि हमारे उक्त खातों में जमा – निकाशी प्रारंभ हो गई है । धोखेबाज स्वामी गोविंदानंद के विरुद्ध दिनांक ८ जून २०२४ को जो एफ आई आर किया गया था उसमें उसके विरुद्ध जांच प्रारंभ हो गई है। हमारी लीगल बैटरी उक्त चीटर के विरुद्ध मानहानि के विरुद्ध दीवानी और फौजदारी प्रकृति के मामलों को शीघ्र ही सक्षम न्यायालयों में संस्थित और प्रस्तुत करने जा रही है। जिन समाचार पत्रों ने उक्त मानहानिकारक समाचारों को प्रकाशित किया था उनसे माँग की जाती है कि वे इस समाचार को प्रमुखता से प्रकाशित करते हुए खेद व्यक्त करें अन्यथा उनको भी मानहानि के दीवानी और फौजदारी प्रकृति के मामलों में अभियुक्त और पक्षकार बनाया जाएगा।
विशेष विवरण: संलग्नक-
- विद्वान अधिवक्ता श्री अमित सोनकर, एल एल. एम, इलाहाबाद उच्च न्यायालय का बैंक ऑफ इण्डिया, सोनारपुर शाखा की ओर से दिया गया पत्र दिनांकित १०.०७.२०२४.
- बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक का ई मेल
- विद्वान अधिवक्ता श्री अमित सोनकर, एल एल. एम, इलाहाबाद उच्च न्यायालय का केनरा बैंक की चौक
- शाखा की ओर से दिया गया पत्र दिनांकित ०३.०७.२०२४.
- केनरा बैंक की एम डी रोड कोलकाता के शाखा प्रबंधक का दिनांक ०३.०७. २०२४ को प्रेषितपत्र
भवदीय
राजेन्द्र प्रसाद मिश्र
आधार क्रमांक 493831768758
मुख्तार आम जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज वजरिए पंजीकृत
मुख्तारनामा, ई पंजीकरण संख्या MP268152022 A 41097931 दिनांक 03.11.2022 कार्यालय उप पंजीयक
कार्यालय, गोटेगांव, नरसिंहपुर, मध्यप्रदेश, भारत ।
एवं
हितरक्षक ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम हिमालय, उत्तराखंड, भारत
वर्तमान निवासी : बी 6/97, श्री विद्यामठ पीतामबरपुरा, केदारघाट, वाराणसी
गिरीश तिवारी
प्रमुख, न्यायसेवालय
दीपेंद्र सिंह रघुवंशी
प्रबंधक, श्री विद्यामठ केदारघाट, वाराणसी
दिनांक : १२.०७.२०२४