3000 वर्ष पूर्व तक भारत में संस्कृत ही बोली जाती थी तभी तो ईसा से 500 वर्ष पूर्व पाणिनि ने दुनिया का पहला व्याकरण ग्रन्थ लिखा था, जो संस्कृत का था उसका नाम ‘अष्टाध्यायी’ है। संस्कृत केवल एक मात्र भाषा नहीं है अपितु संस्कृत एक विचार है, संस्कृत एक संस्कृति है, एक संस्कार है, संस्कृत में विश्व का कल्याण है शान्ति है सहयोग है ‘‘वसुधैव कुटुंबकम्’’ की भावना है।
- संस्कृत विश्व की सबसे पुरानी पुस्तक (ऋग्वेद) की भाषा है, इसलिए इसे विश्व की प्रथम भाषा मानने में कहीं किसी संशय की संभावना नहीं है।
- इसकी सुस्पष्ट व्याकरण और वर्णमाला की वैज्ञानिकता के कारण सर्व श्रेष्ठता भी स्वयं सिद्ध है।
- संस्कृत ही एक मात्र साधन है जो क्रमशः अंगुलियों एवं जीभ को लचीला बनाते हैं।
- संस्कृत का अध्ययन करने वाले छात्रों को गणित, विज्ञान एवं अन्य भाषाएं ग्रहण करने में सबसे अधिक सहायता मिलती है।
- नासा का कहना है कि 6जी और 7जी generation super computers संस्कृत भाषा पर आधारित होंगे।
- संस्कृत के विद्वानों के अनुसार सौर परिवार के प्रमुख सूर्य के एक ओर से 9 रश्मियां (beams of light) निकलती हैं और ये चारों ओर से अलग-अलग प्रकार से निकलती हैं। इस तरह कुछ 36 रश्मियां हो गई। इन 36 रश्मियों की ध्वनियों पर संस्कृत के 36 स्वर बने।
- कहा जाता है कि अरबी भाषा को कंठ से और अंग्रेजी भाषा को केवल होठों से बोला जाता है, किन्तु संस्कृत में वर्णमाला को स्वरों की आवाज के आधार पर कवर्ग, चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, पवर्ग अंतःस्थ और ऊष्म वर्गों में बांटा गया है।
- संस्कृत उत्तराखंड की आधिकारिक राज्य भाषा है।
- अरब आक्रमण से पहले संस्कृत भारत की राष्ट्र भाषा थी।
- कर्नाटक के मट्टुर गांव के लोग आज भी संस्कृत में ही बात करते हैं।
- जर्मनी के 14 विश्व विद्यालय लोगों की बढ़ती मांग पर संस्कृत की शिक्षा उपलब्ध करवा रहे हैं लेकिन आपूर्ति से ज्यादा मांग होने के कारण वहां की सरकार संस्कृत सीखने वालों को उचित शिक्षण व्यवस्था नहीं दे पा रही है।
- हिन्दू यूनिवर्सिटी के अनुसार संस्कृत में बात करने वाला मनुष्य बीपी, मधुमेह, कोलेस्ट्राॅल जैसे रोगों से मुक्त हो जाता है।
- संस्कृत में बात करने से मानव शरीर का तंत्रिका तंत्र सक्रिय रहता है जिससे कि व्यक्ति का शरीर सकारात्मक आवेश के साथ सक्रिय हो जाता है।
- यूनेस्को ने भी मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की अपनी सूची में संस्कृत वैदिक जप को जोड़ने का निर्णय लिया गया है। यूनेस्को ने माना है कि संस्कृत भाषा में वैदिक जप से मानव मन, शरीर और आत्मा पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
- शोध में पाया गया है कि संस्कृत पढ़ने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
- संस्कृत के वाक्यों में शब्दों को किसी भी क्रम से रखा जा सकता है इसमें अर्थ का अनर्थ होने में कोई भी संभावना नहीं होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सभी शब्द विभक्ति और वचन के अनुसार होते हैं। जैसे कि- अहं गृहं गच्छामि, या फिर गच्छामि गृहं अहं दोनों ही ठीक हैं।
- नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार जब वे अन्तरिक्ष ट्रेवलर्स को मैसेज भेजते थे तो उनके वाक्य उल्टे हो जाते थे इस वजह से उनके मैसेज का अर्थ ही बदल जाता था। उन्होंने कई भाषाओं का प्रयोग किया लेकिन हर बार यही समस्या आई। अन्त में उन्होंने संस्कृत में मैसेज भेजा क्योंकि संस्कृत वाक्य उल्टे हो जाने पर भी अपना अर्थ नही बदलते।
- संस्कृत भाषा में किसी भी शब्द के समानार्थी शब्दों की संख्या सर्वाधिक है। जैसे= हाथी शब्द के लिए संस्कृत में 100 से अधिक समानार्थी शब्द हैं।
ये हमारी एक छोटी सी कोशिश थी कि आप सबको संस्कृत व अपनी संस्कृति से जोड़ा जाये। हमें उम्मीद है कि संस्कृत के बारे में पढ़कर आपको अपनी इस भाषा पर गर्व जरूर हुआ होगा।।