सृष्टि द्वारा रचित ब्रह्मांड को जितना हम प्रत्यक्ष रूप में देख पाते हैं उससे लगभग 24 गुना अधिक अप्रत्यक्ष रूप से रहस्य और जटिलताओं से भरा हुआ है। जो-जो चीजें हम प्रत्यक्ष रूप में देखते हैं उनमें जड़ और जीव के साथ-साथ जल, थल और नभ के जीवाणु भी शामिल हैं। जीवों की श्रेणी में वनस्पति एवं समस्त विचरण करने वाली सूक्ष्म से सूक्ष्म पतंगे और जन्तु भी आते हैं जबकि अप्रत्यक्ष रूप से मात्र अनुभव करने योग्य यानी जिन्हें हम देख नहीं सकते, ऐसी शक्तियां हैं- प्राणवायु, तापमान, गुरुत्वाकर्षण, चुंबकीय शक्ति, विद्युत शक्ति इत्यादि व इन सभी की तीव्रता को हम वैज्ञानिक उपकरणों से नाप भी सकते हैं एवं स्वयं महसूस भी कर सकते हैं। यह माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि जीवों में दो स्वरूप होते हैं स्थूल एवं सूक्ष्म। स्थूल अवस्था वह है जिन-जिन चीजों को देख पाते हैं जो लगभग 4 प्रतिशत हैं और बाकी उपरोक्त संचालन करने वाली सूक्ष्म शक्तियां जो लगभग 96 प्रतिशत हैं और वे स्थूल शरीर का संचालन भी करती हैं। तभी तो कहा जाता है कि जब जीव मर जाता है तो प्राणवायु जो सूक्ष्म शरीर में उपस्थित रहती है, वह निकल जाती है।
योगी, संत पुरुष, महात्मा, तपस्वी सभी इन सूक्ष्म शक्तियों को जिन्होंने अपनी चुम्बकीय शक्तियों से पूरे ब्रह्मांड को बांधा हुआ है, जागृत करते हैं और धन्य एवं पूज्यनीय हो जाते हैं। यही वे शक्तियां हैं जो इस ब्रह्मांड की गतिविधियों का संचालन और नियंत्रण भी करती हैं। सभी तपस्वीगण इन्हीं गुप्त व अप्रत्यक्ष शक्तियांे को अपने शरीर के चक्रों को जागृत करते हुए पूर्णता की तरफ अग्रसर रहते हैं।
ये जितनी भी अप्रत्यक्ष शक्तियां हैं, उनका तरंगों और लहरों के आधार पर व्याख्या और नामकरण होता है। ये तरंगें ही तो हैं जिनसे पूरा ब्रह्मांड जीवंत और चलायमान रहता है। जब हम किसी को सुनते हैं, प्रवचन के रूप में या गायक के रूप में या फिर उपदेशक के रूप में तो उनके द्वारा निकली हुई ध्वनि तरंगें ही अपना-अपना प्रभाव छोड़ती हैं जिन्हें हम सुनकर यह महसूस करते हैं कि यह प्रिय है या अप्रिय है, यही प्रियपन और अपनापन जब पनपता है तब व्यक्ति चुम्बकीय व्यक्त्तिव के बल से युक्त होता है और अपना प्रभाव छोड़ देता है जिसके कारण वह प्रिय, दर्शनीय और स्वीकार्य हो जाता है या यूं कहें कि वह सम्मोहित करने की क्षमता के साथ-साथ चुम्बकीय शक्ति का धनी हो जाता है।
दुनिया में जितने भी महान एवं अनुकरणीय लोग हुए हैं निश्चित रूप से उन्होंने अपने आप को दैवीय एवं चुंबकीय ताकतों की साधना के साथ तपाया एवं खपाया है। आज पूरे विश्व में ऐसे लोगों की श्रेणी में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का नाम बहुत आदर के साथ लिया जाता है।
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के बारे में यदि बात की जाये तो ऐसा लगता है कि वह अपने तपोबल, ज्ञान बल एवं कर्म बल से इस सम्मोहित करने वाली चुंबकीय शक्ति को सिद्व कर अंगीकार किये हुए हैं। यही कारण है कि उनके द्वारा कहा गया एक-एक शब्द, एक-एक योजना न केवल अकल्पनीय होती है बल्कि ऐसा लगता है कि जैसे कोई जीवंत फिल्म चल रही है। शायद यही कारण है कि पूरे विश्व की महाशक्तियां और विश्व के गणमान्य नेतागण मोदी जी के समक्ष बौने से हो जाते हैं और उनकी हर बात को वजन के हिसाब से तोलकर स्वीकार करते हैं।
श्री नरेंद्र मोदी जी के पूरे जीवन की बात की जाये तो उनका जीवन त्याग, तपस्या एवं साधना से परिपूर्ण रहा है। उन्होंने दैवीय एवं चुंबकीय शक्तियों के माध्यम से जो भी सिद्धी प्राप्त की है, उसका मकसद मात्र राष्ट्र की सेवा एवं साधना ही है। यह बात आज पूरी दुनिया में जग जाहिर हो चुकी है। सत्ता में रहते हुए 20 वर्ष से अधिक समय उन्होंने व्यतीत कर लिया है किन्तु इतने दिन सत्ता में रहने के बावजूद उनके व्यक्तित्व पर कहीं से कोई दाग नहीं लगा है बल्कि उनके व्यक्तित्व के प्रति लोगों में आकर्षण निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। यह सब ऐसा इसलिए हो रहा है कि वे जो कुछ भी सोचते एवं करते हैं, मात्र राष्ट्र एवं समाज के कल्याण के लिए।
राष्ट्र एवं समाज के लिए श्री नरेंद्र मोदी जी ने जो कुछ भी कहा है, उसे करके दिखाया भी है। राष्ट्र एवं समाज के प्रति उनकी नीयत एकदम साफ है, इसीलिए वह भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में राजनीतिक शख्सियत के रूप में सर्वोच्च आसन पर विराजमान हैं। निष्पक्षता से यदि विश्लेषण किया जाये तो स्पष्ट होता है कि 2014 से पहले देश में एक ऐसा वातावरण बना हुआ था कि इस देश का कुछ नहीं होने वाला है। देश में सिर्फ घोटालों एवं भ्रष्टाचार की चर्चा होती थी यानी यूं कहा जा सकता है कि पूरी तरह नकारात्मकता का वातावरण था किन्तु मोदी जी ने सत्ता में आने के बाद न सिर्फ नकारात्मक वातावरण को सकारात्मक बनाने का काम किया अपितु पूरी दुनिया में देश का मान-सम्मान बढ़ाया। वर्ष 2014 में अपने शपथ ग्रहण समारोह में पड़ोसी देशों को आमंत्रित कर मोदी जी ने पूरे विश्व को यह संदेश दे दिया था कि वैश्विक स्तर पर भारत सिर्फ पिछलग्गू की भूमिका नहीं निभायेगा बल्कि एजेंडा सेट करके पूरी दुनिया को राह दिखाने का काम करेगा। वैसे भी यह काम कोई असाधारण व्यक्तित्व एवं क्षमता का धनी व्यक्ति ही कर सकता है।
हिंदुस्तान के राजनीतिक इतिहास में जिन कामों के बारे में राजनेता एवं सरकारें बात करने से घबराती हैं, मोदी जी ने उसे कर दिखाया यानी मोदी जी के माध्यम से असंभव को संभव होते देखने का काम लगातार हो रहा है। धारा 370 का हटना, सड़क एवं नेशनल हाइवे का विकास, जनधन योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, उज्जवला योजना, जीवन बीमा योजना, स्टार्टअप योजना, राम मंदिर का निर्माण, कोरोनाकाल में पूरी दुनिया का नेतृत्व करना, गलवान घाटी से लेकर विभिन्न मामलों में चीन को सबक सिखाना, पाकिस्तान में घुसकर आतंकी कैंपों को ध्वस्त करना, पूरे देशवासियों का मुफ्त में कोरोनारोधी वैक्सीनेशन, भ्रष्टाचार पर रोक लगाने हेतु नोट बदली, स्वच्छता अभियान सहित तमाम ऐसे राष्ट्र एवं समाज हित में काम हुए हैं जिनसे देश की दिशा ही बदल गई।
सनातन संस्कृति के विकास एवं सामाजिक समरसता को और अधिक मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री जी ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है। देश की महान विभूतियों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं आदर्शवादी लोगों को मोदी जी ने सरकारी स्तर से न सिर्फ सम्मानित-गौरवान्वित करने का काम किया है बल्कि स्वयं उनके बताये रास्तों पर चलने का भी काम किया है। स्वतंत्रता आंदोलनकारी एवं भारतीय संविधान के शिल्पी डाॅ. भीमराव अंबेडकर से जुड़े पांच स्थानों का विकास मोदी जी के माध्यम से इतने भव्य रूप से हुआ है कि लोग उसे अब पंचतीर्थ कहने लगे हैं।
भगवान भोलेनाथ की नगरी एवं देश के प्राचीन सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं धार्मिक शहर वाराणसी में कोरिडोर का निर्माण, माता विध्यवासिनी मंदिर कोरिडोर का विकास, महाकाल की नगरी उज्जैन में कोरिडोर का निर्माण आदि ऐसे काम हैं जिन्हें असंभव माना जा रहा था किन्तु मोदी जी ने दैवीय शक्तियों की कृपा एवं अपने चुंबकीय व्यक्त्तिव के आधार पर संभव बना दिया है। इसी को तो कहा जाता है कि यदि मन में कोई सकारात्मक एवं समाज हित में काम करने की भावना होे तो ब्रह्मांड की समस्त शक्तियां उस काम को पूरा करने में लग जाती हैं।
विज्ञान भी इस बात को स्वीकार करता है कि यदि किसी अच्छे काम को लेकर वार्तालाप होता है तो उस वार्तालाप की तरंगें पूरे ब्रह्मांड में फैलने लगती हैं और उसके सकारात्मक परिणाम दिखने लगते हैं। वाराणसी में बाबा विश्वनाथ मंदिर कोरिडोर के उद्घाटन के समय जिस सात्विक भाव से प्रधानमंत्री जी ने पूजा-अर्चना की, उससे भारतीय सनातन संस्कृति को और अधिक पुष्पित-पल्लवित होने का अवसर मिला। देवभूमि उत्तराखंड के केदारनाथ की गुफाओं में उन्होंने साधना कर इस बात का संदेश दिया कि विकास सिर्फ शहरों का ही नहीं बल्कि दुर्गम क्षेत्रों का भी होना चाहिए।
रूस-युक्रेन युद्ध के समय वहां फंसे भारतीय नागरिकों एवं छात्रों को सुरक्षित निकालने में दोनों देशों ने जिस तरह सहयोग एवं समर्थन किया, उससे यह साबित हो गया कि भारत की पूरी दुनिया में साख एवं प्रतिष्ठा कितनी बढ़ चुकी है। वैश्विक महामारी कोरोना के प्रकोप से जब विकसित देश घुटनों के बल लेट गये तो उस कठिन समय में भी मोदी जी ने न सिर्फ अपने देश को कुशलतापूर्वक संभाला बल्कि अपनी सनातन संस्कृति, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति, योग आदि के माध्यम से पूरे विश्व को राह दिखाने का काम किया।
कोरोनाकाल में जब पूरा विश्व घुट-घुट कर दहशत में जी रहा था, उस समय भारत के लोग घंटा बजाकर, दीप, मोमबत्ती एवं टार्च जलाकर अपने देश के कोरोना योद्धाओं का हौसला बढ़ा रहे थे। यह सब प्रधानमंत्री जी के प्रेरणादायी नेतृत्व के कारण ही संभव हो सका था। अब यह बात आसानी से समझी जा सकती है कि मोदी जी को इतनी प्रेरणा एवं ताकत कहां से मिली होगी और आज भी मिल रही है? निश्चित रूप से उन्हें यह ताकत राष्ट्र एवं समाज का निःस्वार्थ रूप से काम करने के लिए दैवीय शक्तियों से मिली। मुझे यह बात कहने में कोई संकोच नहीं है कि ताकत तो उन्हें दैवीय सत्ता से मिली किन्तु उसे वे पूरा कर पाये अपने चुंबकीय एवं आकर्षक व्यक्तित्व के कारण। अपने देश में एक बहुत पुरानी कहावत प्रचलित है कि दैवीय शक्तियां भी उसी की मदद करती हैं जो राष्ट्र एवं समाज के लिए निःस्वार्थ भाव से कुछ करना चाहता है। वास्तव में देखा जाये तो मोदी जी की मदद ब्रह्मांड की सारी शक्तियां कर रही हैं।
अमेरिका सहित दुनिया की तमाम महाशक्तियां कोरोनाकाल में इस बात का इंतजार कर रही थीं कि कोरोनारोधी वैक्सीन बेचकर वे भारत से मोटा माल कमायेंगी किन्तु मोदी जी ने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति का परिचय देकर भारत में ही वैक्सीन का निर्माण करवाया। वैक्सीन का निर्माण इस स्तर पर हुआ कि न सिर्फ पूरे देशवासियों को मुफ्त में वैक्सीन लगी बल्कि भारत ने अन्य देशों को भी वैक्सीन दी। इसी को कहते हैं, ‘जहां चाह-वहां राह’ यानी यदि किसी काम को करने की चाहत हो तो रास्ते अपने आप बनते जाते हैं। इस बात से पूरी दुनिया हैरान हो गई कि आखिर भारत ने यह सब कैसे कर दिखाया, क्योंकि मोदी जी के सत्ता में आने से पहले भारत की छवि ऐसी बनी हुई थी कि जैसे यहां कोई बड़ा कार्य हो पाना संभव ही नहीं है किन्तु ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री जी की डायरी में असंभव नाम का कोई शब्द ही नहीं है। नैतिक आधार पर यदि देखा जाये तो मोदी जी ने यह साबित कर दिया है कि उनका जीवन पूर्ण रूप से राष्ट्र, समाज एवं मानव जाति के कल्याण के लिए ही समर्पित है। उनके लिए पूरा देश ही उनका परिवार है। यदि इसी रास्ते पर सभी लोग चलें तो राष्ट्र एवं समाज का कल्याण होने से कोई रोक नहीं पायेगा।
इस बात को सोचने में भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि प्रधानमंत्री मोदी जी की कार्यशैली, क्षमता व चुम्बकीय व्यक्तित्व के कारण एक न एक दिन हमें यह सुनने को मिले कि पीओके (च्व्ज्ञ), सीओके (ब्व्ज्ञ) व समान नागरिक संहिता जैसे पूर्व में दिये गये कोढ़ व जख्मों को भी मिटाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कार्यकाल में ही सुनने को अचानक हो गया है।
प्रधानमंत्री जी के पूरे जीवन को देखते हुए मुझे यह लिखने में कोई संकोच नहीं है कि प्रकृति ने धरती पर कुछ महान कार्यों को करने के लिए उन्हें माध्यम बनाया है और उस मार्ग पर वे निरंतर आगे बढ़ते ही जा रहे हैं। प्रकृति मोदी जी से जो भी कार्य करवाना चाहती है, निश्चित रूप से वे कार्य पूरे होकर रहेंगे। प्रकृति की इच्छा एवं योजना के अनुसार किये गये कार्य ही जनता की नजर में मोदी जी को महान एवं अनुकरणीय बनाते हैं। इसे ही तो चुंबकीय शक्तियों का प्रभाव कहा जाता है। यह भी अपने आप में सत्य है कि चुंबकीय शक्तियां उसी व्यक्ति को प्राप्त होती हैं जिस पर दैवीय शक्तियां मेहरबान होती हैं।
– अरूण कुमार जैन (इंजीनियर) (पूर्व ट्रस्टी श्रीराम-जन्मभूमि न्यास एवं पूर्व केन्द्रीय कार्यालय सचिव, भा.ज.पा.)