एकाएक बड़े ही संगठित तरीके से सनातन धर्म व सनातन मान्यताओं पर हमला तेज हुआ है। इसमें साफ-साफ एक पैटर्न नजर आता है। यह पैटर्न हिंदुओं की म्लेच्छों से चल रहे वाक् द्वंद्व को पटरी से उतार कर सनातनी हिंदू बनाम सांगठनिक हिंदू (किसी संगठन /संस्था/ समाज से जुड़े हिंदू) में तब्दील किया जा रहा है ताकि सारे ‘एकेश्वरवादी हिंदू संगठन’ (पश्चिम के अब्राहमिक भी एकेश्वरवादी हैं) के हिंदू म्लेच्छों के साथ मिलकर (अनजाने ही सही) एक पार्टी व संस्था के पक्ष में लामबंद हों और मुट्ठी भर मूर्तिपूजक सनातनी हिंदू देश में अलग-थलग पड़ जाएं।
पैटर्न देखिए:-
१) बड़े पैमाने पर देश भर में मंदिर-मूर्ति तोड़े गये। मुट्ठी भर सनातनियों की आवाज को दबाने के लिए उतारे भी गये तो सांगठनिक हिंदू।
२) ५० साल के लिए मूर्ति छोड़ दो जैसा बयान दिया गया।
३) जर्मनी की धरती पर कहा गया, पत्थर की मूर्तियों में इंक्रेडिबल इंडिया थोड़े न है?
४) महाभारत कालीन सगे भाई को झूठ बोलकर समलैंगिक घोषित किया गया।
५) भगवान श्रीकृष्ण को अफवाहबाज बताया गया। याद रखिए सांगठनिक हिंदू राम और कृष्ण को भगवान नहीं, महापुरुष मान कर उनके अवतार को निरस्त करने का प्रयास करते रहे हैं।
५) भारत की पहचान बुद्ध और गांधी से है।
६) हनुमान चालीसा बाजारू है।
६) सामवेद का अनुवाद एक बी ग्रेड के म्लेच्छ फिल्म निदेशक से कराया गया, जिसकी भाषा तक अश्लील और सड़क छाप है।
६) एक झटके में ‘नमस्ते’ शब्द को ही वैदिक व पौराणिक परंपरा से अलग कर पश्चिम के ‘हैंडशेक’ से हाथ मिला लिया गया। याद रखिए करोना काल में सनातनी अभिवादन का तरीका ‘नमस्ते’ का प्रचलन विश्व में तेजी से बढ़ा था।
७) इसी तरह योग को सनातन धर्म से बाहर करने के लिए बाबा से नेता तक यह बयान देते पाए गये कि इसका हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है!
मेरा विश्वास दृढ़ है कि यह छिटपुट बयान नहीं, इसके पीछे बड़ी सांगठनिक शक्ति है, जो पश्चिम के ‘डीप स्टेट’ के हित में यह सब कर रही है! आने वाले दिनों में सनातनी, पौराणिक और मूर्ति पूजक हिंदुओं की आस्था, मान्यता, संस्कार और विश्वास पर हमले और बढ़ेंगे, नोट कर लीजिए।
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