इजरायल, अमेरिका और आस्ट्रेलिया से कुछ सनातन-प्रेमी लगातार “श्रीविष्णु धर्मोत्तर महापुराण” की मांग करते रहते हैं। हालाँकि, गीता प्रेस इसे नहीं छापता। केवल चौखंबा प्रकाशन छापता है, वह भी बहुत ही कम मात्रा में। इसके तीन खंड हैं, जिस कारण यह महंगा भी हो जाता है। फिर भी विदेश से कुछ सनातनी हिंदू इसे मांग रहे थे तो चौखंबा से बात कर इसे Kapot Prakashan & e-commerce पर उपलब्ध कराने का प्रयास किया है।
असल में “विष्णुधर्मोत्तर पुराण” (Shri Vishnu Dharmottara Mahapuran) एक उपपुराण है। यह एक तरह से सनातन धर्म का विश्वकोष है। इसमें कथाओं के अतिरिक्त ब्रह्माण्ड, भूगोल, खगोलशास्त्र, ज्योतिष, काल-विभाजन, कूपित ग्रहों एवं नक्षत्रों को शान्त करना, कानून एवं राजनीति, युद्धनीति, मानव एवं पशुओं के रोगों की चिकित्सा, खानपान आदि का विस्तृत विवरण इसमें मिलता है। यहां तक कि इसमें तंत्र की युक्तियां भी दी गई है। इस विश्वकोशीय रूप के कारण ही इस उपपुराण को महापुराण की संज्ञा दी गई है।
अतः यह आम पाठकों के लिए नहीं है। केवल सनातन धर्म के प्रति जिज्ञासु, जाग्रत, गंभीर विचारक, अध्यात्म का ज्ञान रखने वाला, ज्योतिष, तंत्र के ज्ञाता, वैद्य, व्याकरणाचार्य, साहित्यकार, कला व संगीत मर्मज्ञ, पुरोहित आदि के लिए ही यह अधिक उपयोगी है। इसलिए आम पाठक इसे तभी खरीदें जब वे इसको मन लगाकर पढ़ना चाहते हों।
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