अजय चौहान | “फ्रांस में सभी कट्टरपंथी मस्जिद बंद किए जाएंगे। जिन फ्रांसीसियों ने कट्टरपंथी इस्लामी विचार स्वीकार किया हो उसे सजा मिलनी चाहिए। कट्टरपंथी इस्लामी विचार से संबंध रखने वालों की राष्ट्रीयता भी छीनी जानी चाहिए।” ये कहना है मारिने ले पेन का जो फ्रांस में राष्ट्रपति पद की महिला उम्मीदवार हैं। फ्रांस में इस समय एमानुएल मैक्रोन राष्ट्रपति हैं और एडवर्ड फिलिप प्रधानमन्त्री हैं जो फ्रांस के पहले समलैंगिक प्रधानमंत्री भी हैं।
आश्चर्य है कि ये महिला यानी मारिने ले पेन एक घोर कट्टर वामपंथी और सेकुलरवादी हैं। यानी वे किसी भी धर्म को नहीं मानती और सारे धर्म उनके लिए सामान हैं। लेकिन राष्ट्रवाद को ही वे अपना धर्म मानती हैं, क्योंकि राष्ट्रवाद ही फ्रांस का धर्म है। इसीलिए अपने राष्ट्र को बचाने के लिए ये महिला खुलेआम कह रही है कि – “फ्रांस में सभी कट्टरपंथी मस्जिद बंद किए जाएंगे। जिन फ्रांसियों ने कट्टरपंथी इस्लामी विचार स्वीकार किया हो उसे सजा भी मिलनी चाहिए।” यानी इस घोर दक्षिणपंथी महिला के अनुसार फ्रांस की वर्तमान सरकार जो स्वयं भी एक अति घोर सेकुलर और इनसे भी बड़ी वामपंथी विचारधारा वाली है उनको भी अपने राष्ट्र को बचाने के लिए दंडित करने को तैयार है।
दूसरी तरफ हम अपने देश भारत में देखें तो यहां इस समय घोषित रूप से दक्षिणपंथी यानी स्वयं भारतीय जनता पार्टी द्वारा घोषणा की गई थी की वो एक हिन्दुओं की पार्टी है और स्वयं को हिंदूवादी मानती है। यही कारण रहा कि हिन्दुओं ने इन पर भरोसा किया और खूब वोट दिया। वर्ष 2014 में अपने चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी जी ने भी हिन्दुओं के वोट लेकर हिन्दुओं के लिए अधिक से अधिक कार्य करने और हिन्दुओं के उद्धार के लिए वचनबद्ध रहने का संकल्प ले कर ही तो हिन्दुओं के वोट लिए।
लेकिन अब जब हिन्दुओं को इनकी असलियत समझ में आई तो 2024 में मोदी सरकार फिर से सत्ता में तो आ गई लेकिन इनको पूर्ण बहुमत नहीं मिला। नतीजे अपने पक्ष में न पाकर बीजेपी और इनके कुछ समर्थक सनातन प्रेमियों यानी कट्टर हिन्दुओं पर भड़क उठे और हिन्दुओं को सोशल मीडिया के माध्यम से अनाप-शनाप गाली देने लगे। हिन्दुओं के वोट लेकर ही मोदी जी ने वर्ष 2014, 2019 में दो बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। लेकिन इस बार अधिकतर हिन्दुओं ने इनके छद्म हिंदूवादी चेहरे के नकाब को पहचान कर इनसे दूरी बना ली और यही कारण रहा कि ये छद्म हिंदूवादी लोग तिलमिला उठे और हिन्दुओं को गालियां देने लगे।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 966.3 करोड़ लोग हिंदू के रूप में पहचान करते हैं, यानी देश की कुल आबादी में हिन्दुओं की आबादी का लगभग 80% है। इस हिसाब से हिन्दुओं को सबसे अधिक प्राथमिकता मिलनी चाहिए। लेकिन हिंदुत्व तो छोड़ो, राष्ट्रवाद की बात करने पर भी हिन्दुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। और इसके लिए बीजेपी और खासकर RSS जैसे तथाकथिक हिंदूवादी संघठन हिन्दुओं के नाम पर हिन्दुओं को ही ठगते आ रहे हैं। इसका ताज़ा उदहारण देखें तो सांसद ओवैसी के “जय फिलिस्तीन” वाले बयान के बाद जब कुछ हिन्दुओं ने ओवैसी के बंगले के गेट पर भारत माता के नारे लिखे पोस्टर चिपकाए तो उनपर विभिन्न धाराओं में दिल्ली की उस पुलिस ने FIR दर्ज कर दी जो सीधे हिंदूवादी और हिन्दू ह्रदय सम्राट जी के हाथों में है। यानी भारत में तो हिन्दू धर्म नहीं बल्कि शुद्ध राष्ट्रवाद के लिए भी पुलिस ने हिन्दुओं को ही दण्डित करने के लिए उन पर कड़े कानून लाद दिए ताकि भारत का मूल हिन्दू किसी भी परिस्थित में आवाज़ न उठा सके और अन्य धर्मियों से दब कर ही रहे। जबकि फ्रांस की तर्ज पर यहां भी ओवैसी के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्यवाही करने की आवश्यकता थी।
आश्चर्य तो इस बात का है कि सत्ता में आते ही मोदी सरकार ने मुस्लिमों के लिए अनाप-शनाप कई ऐसे फैसले लिए जो न तो देशहीत में थे और न ही हिन्दुओं के पक्ष में थे। मोदी सरकार ने करीब 300 से अधिक ऐसी योजनाएं भी बना डाली जो हिन्दू विरोध और मुस्लिम आबादी को सीधे-सीधे लाभ देने के लिए हैं। हिन्दू धार्मिक स्थलों को सुधारने के नाम पर हज़ारों प्राचीन और पौराणिक मंदिरों को ध्वस्त कर उनकी मूर्तियों को कूड़े में फेंकवा दिया और इन मंदिरों से होने वाली आय को हिन्दुओं के लिए नहीं बल्कि अन्य धर्मियों के फायदे के लिए इस्तमाल किया जाने लगा। गो रक्षक दलों के सदस्यों को गुंडे कह कर उनके खिलाफ भी तरह-तरह के कानून लादकर केंद्र सरकार ने दिखा दिया है कि ये सरकार हिंदूवादी तो मात्र एक प्रतिशत भी नहीं है।
अब आते हैं फ्रांस के चुनावों पर। फ्रांस एक कट्टर और घोर सेकुलरवादी विचारधारा वाला देश है। यानी फ्रांस का अपना कोई विशेष बहुमत वाला ऐसा कोई भी धर्म नहीं है जैसे की भारत में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी और जैन आदि हैं। लेकिन, फ्रांस की आबादी में लगभग 50% रोमन कैथोलिक, 4 से 5% मुस्लिम, लगभग 3% प्रोटेस्टेंट, 1% यहूदी, 1% बौद्ध, 1% अन्य संप्रदाय और 40% गैर-धार्मिक यानी पूर्ण रूप से नास्तिक आबादी की संख्या 30% है।
यदि यहां हम फ्रांस के इन आंकड़ों से थोड़ा अलग देखें तो जमीनी सच्चाई ये है कि फ्रांस में इस समय करीब-करीब 75 से 80% आबादी का भाग घोर सेकुलरवादी विचारधारा वाला है। इसका मतलब ये है कि फ्रांस सिर्फ और सिर्फ एक घोर सेकुलरवादी देश है और फिर भी संपन्न और शक्तिशाली है। यानी फ्रांस में कम से कम राष्ट्रवाद तो अभी ज़िंदा है, लेकिन भारत में तो मूल धर्म की बात तो बहुत दूर की है, क्योंकि यहां तो राष्ट्रवाद तक भी नहीं शेष बचा है। आश्चर्य है कि फ्रांस में राजनीतिक पार्टियों और नेताओं के बीच घोर सेकुलरवादी बनने और दिखाने की होड़ रहती है। लेकिन बात जब राष्ट्रवाद पर आती है तो वहाँ भी एक होड़ रहती है कि कौन कितना अति राष्ट्रवादी है। क्योंकि मारिने ले पेन, जो फ्रांस में राष्ट्रपति पद की महिला उम्मीदवार हैं उनका कहना है कि देश को बर्बाद करने वाली किसी भी शक्ति, धर्म या विचारधारा को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे और फ्रांस में सभी कट्टरपंथी मस्जिद बंद किए जाएंगे। जिन फ्रांसियों ने कट्टरपंथी इस्लामी विचार स्वीकार किया हो उसे सजा मिलनी चाहिए। साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि कट्टरपंथी इस्लामी विचार से संबंध रखने वालों की राष्ट्रीयता भी छीनी जानी चाहिए।”