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अमरनाथ जी की यात्रा पर जाने की तैयारियां कैसे करें?

admin 27 May 2021
AMARNATH YATRA_10
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अजय सिंह चौहान  || जो लोग पहली बार बाबा अमरनाथ जी के दर्शनों के लिए जाना चाहते हैं उनके लिए मैं आज इस लेख के द्वारा अपने उन अनुभवों को आप लोगों के बीच बांटना चहता हूं जो मैंने खूद अपनी पहली बार की यात्रा में महसूस किये। और मैं चाहता हूं कि उन अनुभवों का लाभ आप लोगों को भी मिल सके और आप लोग भी इस रहस्य और रोमांच से भरी श्रद्धापूर्ण यात्रा को सूखद और यादगार बना सकें।

जो लोग इस यात्रा पर पहली बार जा रहे हैं वे इस बात का ध्यान रखें कि यह यात्रा उतनी कठिन नहीं है जितनी की लोग सोचते हैं। क्योंकि इसमें सबसे अहम बात सिर्फ और सिर्फ यही है कि आप वहां के नियमों और सावधानियों को ध्यान में रखकर चलेंगे तो आप को किसी भी प्रकार से परेशानी नहीं होगी और यह यात्रा ज़िन्दगीभर तक याद रहेगी।

तो सबसे पहले ध्यान रहे कि, इस यात्रा पर जाते समय आपकी सेहत बिल्कुल ठीक होनी चाहिए। और इसके लिए आपको कम से कम दो महीने पहले से ही हर दिन 5 किलोमीटर पैदल चलने की आदत डाल लेनी चाहिए, क्योंकि वहां ऊंचे-नीचे पहाड़ों में तीन से चार दिनों तक लगातार पैदल ही चलना होता है। और अगर आप वहां ठीक से चल नहीं पायेंगे तो फिर घोड़े की सवारी करनी पड़ेगी जो बहुत ही महंगी पड़ती है। अगर आप वहां घोड़े या पालकी पर बैठकर भी इस यात्रा को करनेंगे तब भी आपके लिए ये यात्रा उतनी ही कठिन और अहम रहेगी जितनी कि पैदल यात्रियों के लिए होती है।

इसके अलावा ध्यान रखें कि यात्रा का रजिस्ट्रेशन हर साल करीब एक महीने पहले से ही होना शुरू हो जाता है। इसके लिए जम्मू एण्ड कश्मीर बैंक की करीब-करीब हर ब्रांच से देश के किसी भी भाग में रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है। रजिस्ट्रेशन से जुड़ी सारी जानकारियां बैंक में जाकर मालूम की जा सकती हैं। बैंक द्वारा जारी किया गया रजिस्ट्रेशन फार्म और अपना एक फोटो लगा हुआ पहचान पत्र इस यात्रा में साथ लेकर जाना ना भूलें। क्योंकि इसके बिना आपको बेसकैंप में ही प्रवेश करने नहीं दिया जायेगा।

ध्यान रखें कि नए नियमों के अनुसार मेडिकल सर्टिफिकेट यानी स्वास्थ्य प्रमाणपत्र या डाॅक्टरी प्रमाण पत्र और यात्रा का फार्म पंजीकरण करवाना बहुत जरूरी हो गया है। और इसके लिए मेडिकल सर्टिफिकेट और यात्रा का फाॅर्म ीजजचरूध्ध्ूूूण्ेीतपंउंतदंजीरपेीतपदमण्बवउ से डाउनलाोड करके आप उस पर डाॅक्टर से मुहर लगवा सकते हैं। और यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही आप अमरनाथ यात्रा के लिए आवेदन कर सकते हैं। वरना आपको यात्रा में अनुमति ही नहीं मिलेगी।

जम्मू-कश्मीर में और खासकर यात्रा के वक्त सिर्फ बीएसएनएल का पोस्टपैड मोबाईल फोन ही काम करता है इसलिए ये भी ध्यान रखें। वैसे वहां के हर बैसकैंप के अंदर ही सरकार द्वारा फोन बूथ का इंतजाम किया हुआ होता है।

यात्रा पर निकलने से पहले सभी के लिए यह जान लेना जरूरी है कि आपके पास सामान कम से कम और जरूरी सामान ही होना चाहिए। और जो सामान जरूरी है उनमें वहां की बे-मौसम बरसात से बचने के लिए अच्छी क्वालिटी की बरसाती, एक टार्च, आराम दायक जूते सबसे अहम हैं।

ध्यान रखें कि लगातार पैदल चलने के कारण नये जूते आपके पैरों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। दूसरी बात जूते ऐसे हों जिनके अंदर पानी ना जा सके। क्योंकि वहां कई जगह बर्फ पर चलना पड़ता है और कई सारी छोटी-छोटी बर्फिली नदियों और नालों को भी पार करना पड़ता है। इसलिए ध्यान रखें कि जूते एक दम नए भी न हों और ज्यादा पूराने भी न हों।

इसके अलावा सर्दी से बचने के लिए कुछ गरम कपड़े भी जरूर रख लें – जैसे कि गरम टोपी, जुराबें, स्वेटर, हाथों के दस्ताने। इन सबके अलावा कुछ ऐसी दवाईयां भी अपने साथ रखना बहुत जरूरी होता है जिनको आप थकान, बदन दर्द या बुखार होने पर तुरंत ले सके।

आपका सामान रखने का बैग ऐसा हो जो बरसात होने पर गीला न हो और जिसको आप अपनी पीठ पर लाद कर चलते वक्त दोनों हाथों को फ्री रख सकें।

इस यात्रा में जाने वाले श्रद्धालुओं की उम्र और सेहत बहुत मायने रखती है। क्योंकि इस पहाड़ी यात्रा में लगातार पैदल चलना होता है और यहां का अचानक बिगड़ने वाला मौसम बच्चों या बुजुर्गों के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। इसलिए 10 या 12 साल की उम्र से छोटे बच्चों को लेकर ना जाएं। इसके अलावा बुजुर्ग लोगों को भी इस यात्रा से दूर ही रहना चाहिए। रही बात महिलाओं की तो वे भी ध्यान रखें कि उनके कपड़े भी ऐसे हों जो चलने में परेशानी खड़ी न करें, यानी साड़ी पहनकर पहाड़ों में चलना खतरनाक हो सकता है इसलिए वहां इसकी इजाजत भी नहीं मिलेगी।

वैसे तो वहां खाने और पीने की कोई कमी नहीं होती है लेकिन फिर भी आप चाहें तो थोड़ा बहुत सुविधा के अनुसार कुछ बिस्किट या नमकीन या फिर कोई और सामान ले जा सकते हैं ताकि यात्रा में पैदल चलते वक्त भूख लगने पर खा सकें। क्योंकि वहां कई जगहों पर इन सामानों की कीमत दो से तीन गुना ज्यादा देनी पड़ जाती है।
इसके अलावा याद रखें कि यात्रा में पैदल चलते वक्त आप ना तो एक दम खाली पेट रहें और ना ही भरपेट खाना खाएं, क्योंकि ऊंचे-नीचे पहाड़ी रास्तों में आपको खाली पेट रहने से ठंड भी लग सकती है या फिर भरपेट खाने से चलने में परेशानी भी हो सकती है। पीने के पानी की बोतल हमेशा अपने पास ही रखें, क्योंकि वहां बार-बार गला सूखता रहता है इसलिए एक-एक, दो घूंट पानी पीना पड़ता है।

यात्रा में पैदल चलते वक्त ध्यान रखें कि तेज-तेज ना चलें और रास्ते में जहां भी आराम करने के लिए रूकें वहां ज्यादा देर तक नहीं बैठना है, क्योंकि वहां रास्ता लंबा और थकान वाला होता है और सुरक्षा के लिहाज से एक निश्चित समय में ही आपको वह रास्ता पार भी करना पड़ता है।

अगर आप अंधेरा होने से पहले बैसकैंप तक नहीं पहुंच पायेंगे तो रात के वक्त उन पहाड़ी रास्तों में पैदल चलने में आपको टार्च का ही सहारा होगा, जोकि बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। इसके अलावा पैदल चलते वक्त यात्रियों की सांस फूलने लगती है, ऐसे में अधिकतर यात्री मूंह में टाॅफी या सुपारी डाल कर चलते हैं। इसलिए कुछ टाॅफियां भी साथ ले जा सकते हैं।

यात्रा में पैदल चलते वक्त यदि आप गु्रप के साथ, यानी अपने साथियों के साथ जा रहे हैं तो याद रखें कि रास्ते में बिछड़ना नहीं चाहिए। और अगर ऐसा लगता है तो याद रखें कि आप का बैग और उसका सारा सामान जो आप ने अपने लिए ही रखा है वह आपके पास ही होना चाहिए। क्योंकि इस यात्रा में श्रद्धालुओं की भीड़ लगातार बढ़ती ही जाती है और उन्हें वहां ढूंडना मुश्किल हो जाता है।

किसी भी यात्री को इस पैदल यात्रा में खाने और पीने के लिए कहीं भी पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती है। हर बेसकैंप पर यात्रियों के लिए देश भर से दानकर्ताओं ने पूरी श्रद्धा से अपने-अपने खर्चों के अनुसार अच्छे से अच्छे इंतजाम किए हुए होते हैं। लेकिन रात को ठहरने के लिए आपको वहां के हर बेसकैंप के अंदर तंबू का किराया खुद ही देना होता है।

याद रहे कि श्री अमरनाथ जी की गुफा 14,000 फिट की ऊंचाई पर है जहां हर यात्री का ज्यादा देर तक ठहरना या रात को ठहरना सेहत के लिए ठीक नहीं है इसलिए कोशिश करें कि वहां न ठहर कर वापसी में बालटाल बेसकैंपर पहुंच जायें।

श्री अमरनाथ यात्रा में पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा जाता है इसलिए ध्यान रखें कि वहां धूम्रपान वगैरह का सामान अपने साथ लेकर जाने से बचें। गंदगी न फैलाएं, प्लास्टीक से बना सामान या कचरा ना फैलायें।

अब रही बात खर्च की, तो घर से चलकर पहलगांव तक या फिर बालटल तक जाने और वहां से वापसी में घर तक आने के किराये और बाकी खर्च का हिसाब और अनुमान खूद ही अनुमान लगाना पड़ेगा।

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