अजय सिंह चौहान || मध्य प्रदेश में मंदसौर जिले के गरोठ तहसील में स्थित धर्मराजेश्वर मंदिर (Shree Dharmrajeshwara Temple, Madhya Pradesh) और गुफाओं के बारे में कहा जाता है कि, यह संरचना प्राचीन वास्तुकला का अद्भुत और सम्पूर्ण भंडार है। चौथी और पांचवीं शताब्दी के आसपास बनी इस प्राचीन मंदिर संरचना की निर्माण शैली पूर्ण रूप से एक हिंदू मंदिर और गुफाओं का समूह स्थल है। आज भले ही इस धर्मराजेश्वर मंदिर को देश और दुनिया में लोगों ने महत्त्व नहीं दिया है लेकिन स्थानीय लोगों के लिए यह मंदिर आस्था के साथ ऐतिहासिक महत्व और पर्यटन के उद्देश्य का भी सबसे बड़ा केंद्र है।
धर्मराजेश्वर मंदिर की यह संरचना मंदसौर जिले के गरोठ तहसील के धमनार गाँव में स्थित है, जो कि चंदवासा शहर से मात्र 4 किलो मीटर और मंदसौर शहर से 106 किमी की दुरी पर है। धमनार गाँव में होने के कारण इन गुफाओं को “धमनार की गुफाएँ” भी कहा जाता है। लगभग दो किलोमीटर के क्षेत्र में फैली करीब 60-70 गुफाएं हैं जिनमें से कुल 14 ऐसी गुफाएं हैं जो विशेष उल्लेखनीय और दर्शनीय मानी जातीं हैं।
धर्मराजेश्वर अथवा धर्मनाथ मंदिर (Shree Dharmrajeshwara Temple, Madhya Pradesh) की निर्माण शैली लगभग एक समान इसीलिए प्रतीत होती है क्योंकि इन दोनों ही मंदिरों को सामान तकनीक से उसी प्रकार एक ही कठोर पत्थर को ऊपर से नीचे की ओर खोद कर मंदिर का आकार दिया गया है।
धर्मराजेश्वर मंदिर संरचना मुख्यरूप से भगवान् शिव और चतुर्भुजी भगवान विष्णु की प्रतिमा दोनों ही परम सनातन शक्तियों को समर्पित है। इसमें मुख्य मंदिर संरचना के चारों ओर सात अन्य छोटे-छोटे मंदिर भी निर्मित हैं।
हालाँकि इस मंदिर का निर्माणकाल और निश्चित इतिहास तो नहीं है लेकिन फिर भी बताया जाता है कि इसका निर्माण 9वीं शताब्दी में हुआ है। धर्मराजेश्वर मंदिर उत्तर भारतीय नागर शैली में बना हुआ है जबकि कैलाश मंदिर दक्षिण भारतीय द्रविड़ शैली में निर्मित है इसीलिए कैलाश मंदिर को गुर्जर-प्रतिहार वंश द्वारा बनवाया मंदिर भी नहीं कहा जा सकता।
मंदिर के शिखर की नक्काशी उत्तर भारतीय शैली की है जबकि मंदिर की वास्तुकला एलोरा के कैलाश मंदिर संरचना से मिलती जुलती है।
मुग़लकाल के उन भयंकर आक्रमणों और लूटपाट के कारण यहाँ की अधिकांश प्रतिमाएं खंडित अवस्था में आज भी देखी जा सकती हैं, जबकि मंदिर भी कई प्रकार से क्षतिग्रस्त हो चुका है।
इस धर्मराजेश्वर मंदिर (Shree Dharmrajeshwara Temple, Madhya Pradesh) के सम्बन्ध में पुरातत्व विभाग, भोपाल का कहना है कि यह एक “धर्मनाथ मंदिर” है जो वर्तमान में “धर्मराजेश्वर मंदिर” के नाम से पहचाना जाता है।
यह मंदिर भी विश्वप्रसिद्ध एलोरा के कैलाश मंदिर के समय में ही उसी जटिल तकनीक से बना जान पड़ता है, क्योंकि इसके निर्माण में भी उसी प्रकार से एक ही शिला को काट कर बनाया गया है। ऐसे में संभव है कि कैलाश मंदिर भी गुर्जर-प्रतिहार वंश की ही देन हो सकती है, हालाँकि कैलाश मंदिर के निर्माण के विषय में कोई निश्चित जानकारी उप्लब्ध नहीं है।
धर्मराजेश्वर मंदिर को दूर से देखने पर शत प्रतिशत प्रतीत होता है कि इसकी निर्माण शैली और संरचना आदि सब कुछ सुप्रसिद्ध एलोरा के कैलाश मंदिर के ही समान है। इसका कारण मुख्यरूप से यही है क्योंकि कैलाश मंदिर के समान ही यह मंदिर भी एक ही चट्टान को काट कर उसी शैली में बनाया गया प्रतीत होता है। यह मंदिर भी ठीक उसी प्रकार से एक ही चट्टान को काट कर पहले खोकला किया गया और फिर उसे देवालय का आकार दिया गया।
इस मंदिर का निर्माण लेटराइट पत्थर की चट्टान को काट कर किया गया है। लेटराइट के पत्थर और चट्टानें आम तौर पर मध्य भारत की पहाड़ियों और पठारों के अलावा दक्कन प्रायद्वीप के कुछ राज्यों के आसपास के क्षेत्रों में पाया जाता है।
धर्मराजेश्वर मंदिर को दिव्य आकार देने के लिए एक विशाल आकार वाली लेटराइट पत्थर की इस पहाड़ी के 104 गुणा 67 फीट के क्षेत्र को करीब 30 फीट की गहराई तक एक दम एलोरा के कैलाश मंदिर की तर्ज पर कुछ इस प्रकार खोद कर कलात्मक तरीके से तराशा गया है कि उसमें धर्मराजेश्वर मंदिर समूह का आकार उभर कर सामने आया है। मंदिर के मुख्य द्वार पर भगवान भैरव तथा माता भवानी की प्रतिमाएँ भी हैं। इसके अलावा इस मंदिर के प्रांगण में ही पीने के पानी का एक छोटा कुआँ भी खोदा गया है जिसमें आज भी पानी मीठा और ठंडा रहता है।
धर्मराजेश्वर मंदिर संरचना का कुल आकार केंद्र में 14.53 मीटर की ऊंचाई और 10 मीटर की चौड़ाई वाले किसी बड़े पिरामिड के आकार का प्रतीत होता है। इस मंदिर की मुख्य संरचना के चारों ओर सात अन्य छोटे-छोटे मंदिर भी हैं, जिनमें से प्रत्येक में अलग-अलग देवी-देवता विराजित हैं।
इस भव्य धर्मराजेश्वर मंदिर संरचना की विशेषता यह है कि इसको बनाने के लिए करीब 50 मीटर ऊंचे और 20 मीटर चौड़ी एक विशाल चट्टान को काटकर आकार दिया गया है। ठीक उसी प्रकार से जिस प्रकार से संभाजी नगर में स्थित एलोरा के गुफा मंदिरों को बनाया गया है। मंदिर के गर्भगृह में एक विशाल आकार वाला शिव लिंग और साथ में भगवान विष्णु की एक प्रतिमा भी विराजित है।
मंदिर के आस-पास में इसी प्रकार की 170 से भी अधिक छोटी बड़ी गुफाएं भी हैं जो जैन समाज से संबंधित बताई जाती हैं। उन जैन गुफाओं के अंदर जैन तीर्थंकर, ऋषभ देव, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, शांतिनाथ और महावीर के रूप में वर्णित पांच प्रतिमाएं दर्शाई गई हैं। हालाँकि स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें पांडवों की प्रतिमाएं बताया जाता है।
धर्मराजेश्वर मंदिर से जुडी स्थानीय किंवदंती के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहाँ भी कुछ समय बिताया था और स्वयं उन्हीं के द्वारा इन गुफाओं और मंदिरों का निर्माण कार्य किया गया था।
धर्मराजेश्वर मंदिर के इतिहास पर विशेष गौर करें तो यह मंदिर गुर्जर प्रतिहार काल का निर्मित बताया जाता है। गुर्जर प्रतिहार शासकों ने ८वीं सदी से ११वीं सदी के काल में मध्य और उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से पर शासन किया था।
गुर्जर-प्रतिहार वंश विशेषकर शिल्पकला और मंदिर निर्माण के लिए जाना जाता है। इनके शासन काल में निर्मित कई संरचनाएं विशेषरूप से खुले द्वार और आँगन वाले मंदिरों का निर्माण हुआ है। खजुराहो के मंदिरों में हमें विशेस रूप से गुर्जर-प्रतिहार वंश की निर्माण शैली के बारे में जानकारी मिलती है जो आज यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल है।
सनातन के समस्त पर्वों के अलावा महा शिवरात्रि और अन्य कई प्रमुख और छोटे-बड़े अवसरों पर धर्मराजेश्वर मंदिर में विशेष भीड़ देखी जाती है। प्रतिदिन की पूजा के अलावा इस मंदिर में कई प्रकार के धार्मिक और स्थानीय समारोहों का आयोजन देखा जाता है जिनमें है महा शिवरात्रि पर एक बड़े मेले का भी आयोजन किया जाता है। महा शिवरात्रि के अवसर पर यहां पूजन दर्शन के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं।
कब और कैसे जाएं : धर्मराजेश्वर मंदिर और गुफाएं मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के गरोठ तहसील में स्थित है, जो कि चंदवासा शहर से मात्र 4 किमी और मंदसौर शहर से 106 किमी की दुरी पर है। इसके अलावा यह स्थान दिल्ली-मुम्बई रेल मार्ग पर स्थित शामगढ़ से करीब 20 किमी की दुरी पर है।
नजदीकी बस स्टैंड : धर्मराजेश्वर मंदिर के सबसे नजदीक का बस स्टैंड चंदवासा शहर में यानी मंदिर से मात्र 4 किलोमीटर की दुरी पर है। चंदवासा शहर के बस स्टैंड से धर्मराजेश्वर मंदिर तक शेयरिंग में जाने वाले आटो मिल मिल जाते हैं।
और यदि आप अपने वाहनों से भी यहाँ के लिए आना-जाना करते हैं तो चंदवासा शहर सड़क मार्गों के द्वारा मध्य प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
निकटतम रेलवे स्टेशन : यदि आप धर्मराजेश्वर मंदिर के लिए रेल से जाना चाहते हैं तो यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन शामगढ़ है, जोकि मंदिर से करीब 22 किलोमीटर दूर है।
निकटतम हवाई अड्डा : यदि आप धर्मराजेश्वर मंदिर के लिए हवाई जहाज से जाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको सबसे नजदीकी हवाई अड्डा इंदौर में देवी अहिल्या बाई होल्कर हवाई अड्डा ही मिलेगा जो कि मंदिर से करीब 170 किलोमीटर की दूरी पर है।