अजय सिंह चौहान || अगर आप लोग भी अयोध्या नगरी में जाकर भगवान श्रीराम जन्मभूमि के दर्शन करने जाने का मन बना रहे हैं तो यहां जाने से पहले यहां ये जान लेना जरूरी है कि अयोध्या और फैजाबाद नाम से यहां दो अलग-अलग शहर हैं। इसके अलावा, यहां ये भी ध्यान रखें कि फैजाबाद का नाम भी अब बदल कर अयोध्या ही कर दिया गया है। इनमें से प्राचीन और प्रमुख अयोध्या नगरी सरयू नदी के किनारे पर ही बसी हुई है
इन दोनों शहरों के बीच करीब 7 किमी की दूरी है। और क्योंकि 7 किमी की ये दूरी कोई बहुत ज्यादा नहीं होती है इसलिए यहां जाने पर आपको पता ही नहीं चलेगा कि भगवान राम की उस प्राचीन अयोध्या में हैं या फिर नई अयोध्या में। ये दोनों शहर भले ही किसी घनी आबादी वाले शहर की तरह नहीं हैं लेकिन, किसी महानगर से कम भी नहीं हैं।
अयोध्या जाने से पहले यहां ये ध्यान रखें कि अगर आपको अयोध्या में सिर्फ श्रीराम जन्मभूमि के ही दर्शन करने हैं तो फिर आपके लिए यहां मात्र एक दिन का समय काफी है। लेकिन, अगर आपको यहां के कुछ और भी खास और प्रसिद्ध प्राचीन मंदिरों के दर्शन करना है तो उसके लिए कम से कम 2 से 3 दिनों का समय लग ही जायेगा।
अयोध्या के लिए आप किसी भी मौसम में जा सकते हैं, लेकिन, आपके साथ परिवार के बच्चों और बुजुर्ग भी हैं तो उसके बता दूं कि यहां का सबसे अच्छा मौसम फरवरी से मई और सितंबर से दिसंबर के बीच का होता है।
अगर आप अयोध्या से बहुत दूर के किसी शहर के रहने वाले हैं तो भी आपके लिए अयोध्या पहुंचना कोई बहुत मुश्किल नहीं है। क्योंकि भारत के करीब-करीब सभी बड़े और खास शहरों से अयोध्या के लिए रेल से और सड़के के आस्ते आने की सुविधा उपलब्ध है।
लेकिन, अगर आपको अयोध्या के लिए रेल की सीधी सुविधा नहीं मिल पाती है तो आप फैजाबाद भी पहुंच सकते हैं। क्योंकि फैजाबाद भी अब अयोध्या के नाम से ही पहचाना जाता है और प्राचीन अयोध्या का ही एक भाग बन चुका है। लेकिन, फिर भी अगर आपको अयोध्या और फैजाबाद दोनों के लिए भी ट्रेन की सुविधा नहीं मिल पाती है तो फिर आप यहां के मनकापुर स्टेशन से होकर गुजरने वाली ट्रेनों से भी आ-जा सकते हैं। क्योंकि मनकापुर स्टेशन से अयोध्या की दूरी भी मात्र 35 किमी ही रह जाती है।
मनकापुर स्टेशन से मिलने वाली रोडवेज बसों से या फिर आटो या टैक्सी की मदद से सड़क के रास्ते बहुत आसानी से अयोध्या पहुंच सकते हैं। रोडवेज की बसों में जाने पर यहां का किराया करीब 30 रुपये लगता है। और अगर आप चाहें तो मनकापुर स्टेशन से अयोध्या जाने वाली किसी भी दूसरी पैसेंजर या ऐक्सप्रैस ट्रेन से सीधे अयोध्या पहुंच सकते हैं।
इसके अलावा यहां ये भी जान लें कि अगर आप यहां हवाई जहाज से पहुंचना चाहते हैं तो फिलहाल अयोध्या का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट 135 किमी दूर लखनऊ में है। वैसे बहुत ही जल्दी अयोध्या का अपना एयरपोर्ट भी बन कर तैयार होने वाला है। लेकिन, फिलहाल लखनऊ एयरपोर्ट से आगे आपको सड़क के रास्ते ही जाना होता है।
देश के अन्य कई छोटे-बड़े शहरों से सड़क के रास्ते अयोध्या जाने के लिए सीधे रोड़वेज या फिर प्राइवेट बस सेवा मिल जाती है। इसके अलावा, गोरखपुर, प्रयागराज और लखनऊ से सीधे अयोध्या के लिए बस मिल जाती है।
अयोध्या में महां ठहरें –
अब सवाल उठता है कि अयोध्या में ठहरने के लिए होटलों या फिर धर्मशालाओं की सुविधा कैसी है? तो तो बता दें कि अयोध्या में ऐसी सैकड़ों धर्मशालायें हैं जहां आप अपने कम से कम बजट के अनुसार भी कमरा ले सकते हैं।
इसके अलावा, अयोध्या जाने वाले अधिकतर लोगों के सामने सबसे पहले जिन धर्मशालाओं के नाम आते हैं उनमें बिरला धर्मशाला और श्री जानकी महल ट्रस्ट धर्मशाला सबसे खास हैं।
इन धर्मशालाओं में बिना ऐयरकंडीशन वाला कमरा, 200 रुपये तक के किराये में मिल जाता है। और अगर आपको इनमें से किसी भी धर्मशाला में एयरकंडीशन वाला कमरा लेना हो तो उसका किराया कम से कम 800 से 1000 रुपये तक देना होता है।
अगर अपका बजट बहुत कम है तो आप यहां बिरला धर्मशाला और श्री जानकी महल धर्मशालाओं में, या फिर इनके अलावा भी कई धर्मशालाओं में जो हाॅल बने हुए होते हैं उनमें भी ठहर सकते हैं। इन धर्मशालाओं में निम्न वर्ग के यात्रियों के लिए भी बिना खर्च किये, मुफ्त में रात गुजारने की व्यवस्था देखी जा सकती है।
दरअसल, ये दोनों ही धर्मशालाएं श्रीराम जन्मभूमि और हनुमानगढ़ी से नजदीक यानी पैदल दूरी पर ही बनी हुई हैं, इसीलिए सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं।
इसमें जानकी महल ट्रस्ट धर्मशाला परिक्रमा मार्ग में नयाघाट पर इलाहाबाद बैंक के पास ही में बनी हुई है। जबकि, बिड़ला धर्मशाला न्यू काॅलोनी, ओल्ड बस्ट स्टैंड के पास में है। अगर आप यहां अपने वाहनों से जाते हैं तो पार्किंग की सुविधा भी मिल जाती है।
अन्य प्रमुख धर्मशालाएं –
इन धर्मशालाओं के अलावा आप यहां की दूसरी कई खास धर्मशालाओं में भी जा सकते हैं जो अयोध्या की सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध धर्मशालाओं में मानी जाती हैं।
इन धर्मशालाओं के नाम हैं –
गुजरात भवन धर्मशाला, जो बस स्टेशन के पास, दन्त धवन कुंड से लगी हुई है।
दूसरी है श्री राम आतिथि निवास, जो रेलवे स्टेशन रोड पर है।
तीसरी धर्मशाला है, दत्तात्रेय साईं धाम मंदिर और धर्मशाला। ये भी रेलवे स्टेशन रोड ही है।
चैथी है श्री बालाजी धर्मशाला। ये भी स्टेशन रोड, न्यू काॅलोनी में आती है।
पांचवी है, महाराष्ट्र धर्मशाला। ये भी रेलवे स्टेशन के पास ही है।
छठी है, श्री अवध धर्मशाला। ये धर्मशाला नयाघाट, पीएनबी बैंक के पास है।
इसी प्रकार से यहां और भी छोटी-बड़ी कई धर्मशालाएं हैं जहां बहुत अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
अगर आप यहां की किसी प्राइवेट होटल में ठहरना पसंद करते हैं तो यहां होटलों की सुविधा भी अच्छी है और इन होटलों में भी 500 रुपये से 700 रुपये तक में, बिना एयरकंडीशन वाला अच्छा कमरा मिल जाता है। और अगर आपको यहां के किसी भी प्राइवेट होटल में एयरकंडीशन वाला कमरा चाहिए तो वो भी यहां कम से कम 1000 से 1500 रुपये तक में आराम से मिल जाता है।
लेकिन, उसके लिए अयोध्या जाने से पहले ये भी ध्यान रखना होगा अगर आप यहां छुट्टियों के मौसम में या साप्ताहिक छुट्टियों के मौसम में या शनिवार-रविवार की साप्ताहिक छुट्टियों के दौरान जाते हैं तो प्राइवेट होटलों में कमरों के किराये ज्यादा भी देने पड़ सकते हैं।
इसके अलावा ये भी ध्यान रखें कि आजकल अधिकतर होटलों में और धर्मशालाओं में कमरों की आॅनलाइन बुकिंग बहुत पहले ही हो जाती है। इसलिए अक्सर वहां जाने पर किसी भी धर्मशाला या होटलों में कमरे खाली नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में आप भी चाहें तो अपनी यात्रा शुरू करने से पहले ही बुकिंग करवा सकते हैं।
पूरी दुनिया में अयोध्या एक सबसे पवित्र और सबसे खास महत्व वाली धार्मिक नगरी है, इसलिए यहां ऐसे श्रद्धालु भी आते हैं जिनका बजट कम से कम होता है या फिर ना के बराबर भी होता है। इसलिए ऐसे यात्रियों को ध्यान रखते हुए यहां कई स्वयंसेवी संस्थाओं के द्वारा विशेष सुविधाओं वाले कार्य भी किये जाते हैं। इसी तरह यहां कम से कम बजट वाले यात्रियों के लिए भी ठहरने की मुफ्त या बहुत कम खर्च की सुविधाओं की तरह ही खाने-पीने की सुविधाओं की भी कोई कमी नहीं है।
अगर आप यहां की किसी भी धर्मशाला में भोजन करना चाहते हैं तो करीब 40 से 50 रुपये में शुद्ध शाकाहारी भोजन की एक थाली मिल जायेगी। लेकिन अगर आप अयोध्या में निःशुल्क भोजन का लाभ लेना चाहते हैं तो श्रीराम जन्मभूमि के एक दम पास ही में स्थित अमावा राम मंदिर के बाहर, ‘राम रसोई’ में पटना के श्री महावीर ट्रस्ट के द्वारा यहां आने वाले सभी भक्तों को निःशुल्क और स्वादिष्ट भोजन की सुविधा दी जाती है।
पटना के श्री महावीर ट्रस्ट के द्वारा यहां निःशुल्क भोजन प्रसाद की ये सुविधा 1 दिसंबर सन 2019 से शुरू की गई है। वैसे तो भोजन प्रसाद की ये सुविधा यहां प्रति दिन साढ़े ग्यारह बजे से दोपहर ढाई बजे तक दी जाती है। लेकिन, इस समय के अलावा भी यहां ये सुविधा जारी रहती है।
अयोध्या दर्शन –
अब बारी आती है अयोध्या पहुंच कर दर्शनों की। तो, अगर आप ट्रेन का सफर कर के अयोध्या पहुंचते हैं तो स्टेशन से बाहर आने के बाद आपको यहां साइकिल रिक्शा, ई-रिक्शा, आॅटो और टैक्सी जैसे तमाम प्रकार के लोकल वाहन नजर आ जायेंगे।
आप चाहें तो स्टेशन से सीधा सरयू नदी में स्नान के लिए भी पहुंच सकते हैं। स्टेशन से सरयू नदी घाट की दूरी करीब 3 किमी है। इस दूरी के लिए यहां ई-रिक्शे में या साइकिल रिक्शे में आपको 25 से 30 रुपये एक सवारी का किराया लग जाता है।
यहां सरयू नदी पर कई नये घाटों का निर्माण करवाया गया है जिनके नाम है- राम घाट, जानकी घाट, उत्तर घाट, लक्ष्मण घाट और राजघाट। इन सबके अलावा, यहां सरयू नदी के पास ही में राम की पैड़ी का भी निर्माण किया गया है। ये वही राम की पैड़ी है जहां मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्य नाथ जी के द्वारा विश्व प्रसिद्ध दीपोत्सव का आयोजन शुरू किया गया है। इसलिए अयोध्या पहुंचने वाले अधिकतर श्रद्धालु राम की पैड़ी पर जाना भी कभी नहीं भूलते।
अगर आप भी राम की पैड़ी जाते हैं और यहां स्नान करते हैं, तो यहां पास ही में श्री नागेश्वरनाथ मंदिर भी है जिसमें दर्शन किया जा सकता है। मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना भगवान राम के छोटे पुत्र कुश ने स्वयं करवाई थी।
लेकिन, अगर आपके पास अयोध्या में दर्शन करने के लिए सिर्फ एक दिन का ही समय है तो आपको यहां सरयू नदी में स्नान करने के बाद सीधे हनुमान गढ़ी के मंदिर में दर्शन करने के लिए जाना चाहिए।
राम की पैड़ी से हनुमान गढ़ी मंदिर की दूरी करीब 2 किमी है, इसलिए अधिकतर यात्री यहां स्नान के बाद पैदल यात्रा करते हुए ही हनुमान गढ़ी मंदिर तक जाते हैं। लेकिन, अगर कोई यहां इतना भी पैदल चलने में समर्थ नहीं हैं तो यहां रिक्शे की सवारी भी मिल जाती है।
यहां की एक छोटी सी पहाड़ी पर मौजूद भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी का ये मंदिर हनुमान गढ़ी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। मंदिर में जाने से पहले करीब 76 सीढ़ियां चढ़ना होता है, जिसके बाद हनुमान जी के दर्शन होते हैं।
हनुमान गढ़ी मंदिर के बारे में मान्यता है कि भगवान श्रीराम के दर्शन करने से पहले सभी श्रद्धालुओं को इस हनुमान गढ़ी मंदिर में राम भक्त हनुमान जी के दर्शन करने के बाद ही भगवान श्रीराम जी की जन्मस्थली के दर्शन करना चाहिए।
हनुमान गढ़ी मंदिर में दर्शन करने के बाद यदि आप चाहे तो यहां से करीब डेढ सौ मिटर दूर पर भगवान राम के पिता महाराज दशरथ के महल में भी जा सकते हैं जहां भगवान राम ने अपने भाईयों के साथ बचपन बिताया था। ये महल अब मंदिर का रूप ले चुका है। और इसमें भगवान राम, माता जानकी, लक्ष्मण, भरत और शत्रुध्न की प्रतिमाओं के दर्शन होते हैं।
दशरथ महल सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक और शाम 4 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है। इसके बाद आप चाहें तो दशरथ महल के बाद यहां से करीब 200 मिटर की दूरी पर स्थित कनक भवन भी जा सकते हैं।
कनक भवन के बारे में कहा जाता है कि विवाह के बाद भगवान राम और माता सीता इसी महल में निवास करते थे। ये भवन कैकई माता के द्वारा सीता माता को उपहार में दिया गया था। इस महल में भी भगवान राम और माता सीता की प्रतिमाओं के दिव्य दर्शन किये जा सकते हैं।
यहां कनक भवन के बाहर श्री कनक सरकार रसोई यानी रेस्टाॅरेंट भी देखने को मिल जाती है। ये रेस्टाॅरेंट एक एयरकंडिशन वाला रेस्टाॅरेंट है। अगर आप यहां भोजन का आनंद लेना चाहते हैं तो इसमें आपको 60 रुपये में सादा थाली और 150 रुपये में डिलक्स थाली मिल जाती है।
अब बारी आती है भगवान श्रीराम चंद्र जी की दिव्य जन्मभूमि के दर्शनों की।
तो दशरथ महल और कनक भवन के दर्शन करने के बाद, कनक महल से निकल कर सीधे श्रीराम जन्मभूमि की ओर जाना होता है जो यहां से, यानी कनक भवन से करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर।
जैसे-जैसे आपके कदम श्रीराम जन्मभूमि की ओर बढ़ते जाते हैं आपको आभास होने लगता है कि आज भी भगवान श्रीराम यहां साक्षात विराजमान हैं और वे सभी श्रद्धालुओं को साक्षात दर्शन दे रहे हैं।
श्रीराम जन्मभूमि के दर्शनों से पहले आपको यहां के लाॅकर्स में अपना सारा सामान जैसे कि बैग, मोबाईल, कैमरा, हाथ की घड़ी आदि सामान जमा करके ही अंदर जाना होता है।
यहां आपको ये भी ध्यान रखना होगा कि श्रीराम जन्मभूमि के दर्शनों के लिए जाने पर कम से कम 3 से 4 अलग-अलग जगहों पर तरह की सुरक्षा जांच से होकर गुजरना होता है इसलिए पूरी तरह से धेर्य बना कर रखें और जांच में पूरा सहयोग दें।
फिलहाल जब तक भगवान श्रीराम का मंदिर बन कर तैयार नहीं हो जाता वे एक छोटे और अस्थाई मंदिर में निवास कर रहे हैं। लेकिन, जैसे ही वे अपने स्थायी मंदिर में विराजमान हो जायेंगे एक अलग ही प्रकार से आनंद आने वाला है।
श्रीराम जन्मभूमि के दर्शनों के बाद यहां से ज्यादातर श्रद्धालु श्रीराम जन्मभूमि न्यास मंदिर कार्यशाला की ओर भी जाते हैं। ये स्थान जन्मभूमि से करीब 2 किमी की दूरी पर है। इस कार्यशाला में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के लिए शिलाओं को तराशने का काम किया जा रहा है।
इस कार्यशाला में तैयार किये जा रहे श्रीराम मंदिर का एक माॅडल भी रखा हुआ है, और इसी माॅडल के अनुसार यहां मंदिर में लगने वाली शिलाओं की नक्काशी का काम चल रहा है। आप भी यहां उस नक्काशी के काम को देख सकते हैं।
श्रीराम जन्मभूमि न्यास मंदिर कार्यशाला में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ हजारों में रहती है।
तो ये हुए अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के प्रमुख दर्शन। लेकिन, अयोध्या नगरी में और इसके आस-पास के क्षेत्रों में आज भी ऐसे सैकड़ों-हजारों मंदिर हैं जिनका अपना अलग ही इतिहास और मान्यताएं हैं। इनमें से कई मंदिर तो ऐसे हैं जिनमें त्रेता युग से ही पूजा-पाठ होती आ रही है। जबकि कई मंदिरों पर तो अतिक्रमण हो चुका है और अब उनका अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है।
कहा जाता है कि आज भी यहां अयोध्या नगरी के आस-पास कम से कम 4 हजार से ज्यादा छोटे-बड़े ऐसे मंदिर मौजूद हैं जो और भगवान राम के समय से जुड़े महत्वपूर्ण स्थान रहे हैं। अयोध्या में और अयोध्या के आस-पास के क्षेत्रों में आज भी इन मंदिरों का महत्व और अस्तित्व राम मंदिर से कम नहीं है।
इसलिए अयोध्या पहुंचने के बाद एक या दो दिनों में इन सभी के दर्शन करना तो संभव नहीं है। लेकिन, अगर आप यहां के दूसरे सबसे महत्वपूर्ण स्थानों के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको उसके लिए कम से कम 2 से 3 दिनों का समय भी लग सकता है।