जहां एक ओर केन्द्र की मोदी सरकार धीरे-धीरे सैक्यूर होती जा रही है और अपने परंपरागत हिंदू वोटरों को अनदेखा कर एक समुदाय विशेष को ही विशेष लाभ पहुंचाने के लिए लगातार योजनाओं के माध्यम से अपनी मशां जाहिर कर ही है वहीं वह हिंदुओं का दमन करने से खुलेआम परहेज नहीं कर रही है। फिर चाहे उस दमन के नाम पर दिल्ली के दंगे हों या फिर पश्चिम बंगाल से 90 हजार हिंदुओं का असम की ओर पलायन। राजस्थान में हिंदू महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार हो, हरियाणा और उत्तराखण्ड का लैंड जिहाद और सड़कों पर नमाज के नाम पर हिंदुओं का शोषण, या फिर डासना मंदिर के महंत को मारने की धमकी के खिलाफ मौन रह कर अपनी ही पार्टी की सरकारों वाले राज्यों के उन वोटरों को भी जेलों में बंद करवा रही है जहां से उसे भरपूर समर्थन और वोट मिले हैं।
लेकिन, उधर केरल जैसे उस राज्य में, जहां की सरकार वैचारिक तौर पर हिंदू विरोधी मानी जाती है, उसी राज्य में 300 लोगों ने इस्लाम धर्म को छोड़ कर अपना एक नया संगठन ‘एक्स मुस्लिम आफ केरल’ (Ex-Muslim of Kerala) बना लिया है।
पहली बार सुनने या पढ़ने पर तो यह खबर हैरान करने वाली लगी, लेकिन इस पर विश्वास तो करना ही पड़ा। क्योंकि यह संगठन न सिर्फ अपनी एकता और आपसी मेलजोल के लिए है बल्कि इसका उद्देश्य इस्लाम छोड़ कर आने वाले उन सभी लोगों को कानूनी और आर्थिक सहायता प्रदान करना और समाज में सम्मान दिलाने का भी रहेगा।
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एक्स मुस्लिम आफ केरल (Ex-Muslim of Kerala) नामक इस संगठन ने हर वर्ष 9 जनवरी को ‘पूर्व मुस्लिम दिवस’ के रूप में मनाने की भी घोषणा करके सभी को हैरत में डाल दिया। केरल के कोच्चि में 9 जनवरी को मिले अन्य ‘पूर्व मुस्लिम’ सदस्यों ने भी इस फैसले का खुल कर समर्थन किया है। एक्स मुस्लिम आफ केरल (Ex-Muslim of Kerala) संगठन के अध्यक्ष लियाक्कथली सी एम (Liyakkathali C M) ने कहा है कि देश में यह पहली बार है जब इस तरह का कोई आधिकारिक संगठन बनाया गया है।
जबकि इसी खबर से मिलती-जुलती और हिंदुओं से नफरत करने वाले उसी कट्टर मुस्लिम समुदाय की बात करें तो उनमें से अब न सिर्फ आम लोग बल्कि कई मशहूर हस्तियां भी धीरे-धीरे ‘एक्स-मुस्लिम’ (Ex-Muslims) बनते जा रहे हैं।
‘एक्स-मुस्लिम’ (Ex-Muslims) बनने वाली प्रमुख हस्तियों में हमारे पास जो ताजा-ताजा आंकड़े और नाम हैं उनमें सबसे पहले तो जितेन्द्र नारायण त्यागी उर्फ ‘वसीम रिजवी’ का नाम आता है। इसके बाद मलयालम फिल्म उद्योग के जाने-माने निर्माता अली अकबर जैसी एक अन्य बड़ी हस्ती भी है जिन्होंने एक घटना से आहत होकर अपनी पत्नी सहीत ‘एक्स-मुस्लिम’ होना स्विकार किया है और अब वे ‘राम सिंह’ के नाम से पहचाने जा रहे हैं।
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उधर एक राज्यपाल महोदय जो आरिफ मोहम्मद खान हैं वे भी फिलहाल ‘एक्स मुस्लिम’ (Ex-Muslims) तो नहीं बने हैं लेकिन, मंदिरों में पूजा-पाठ करना प्रारंभ तो कर ही दिया है, जबकि सैफ अलीखान की बेटी साराअली खान ने भी महाकाल मंदिर में पूजा-अर्चना करके सबको चैंका दिया है, हालांकि साराअली खान की मां खुद एक हिंदू हैं लेकिन उनके पिता तो सैफ अलीखान ही है, जबकि साराअली खान की बुआ और सैफअली खान की बहन सोहा भी अपने पति और बच्चों के साथ खुल कर दिवाली मना रही है। बालीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री कैटरीना कैफ भी अब मांग में सिंदूर भरने लगी हैं।
उधर महाराष्ट्र में भी वर्ष 2018 की शुरूआत में खबर आ चुकी थी कि वहां भी अब मुसलमान धीरे-धीरे ‘एक्स’ होते जा रहे हैं और ‘हवन’ करते हुए ‘भाग मिल्खा भाग’ के उस गाने को अपनी वास्तविक जिंदगी में उतार रहे हैं जिसके बोल हैं – ‘हवन करेंगे – हवन करेंगे’।
इन सब से अलग अगर हम विदेशियों की मंशा और उनकी कथनी और करनी पर नजर डालें तो पता चलता है कि अभी कुछ ही दिनों पूर्व एक अमेरिकी सर्वे कंपनी ‘प्यू रिसर्च’ ने आंकड़े जारी कर सबको हैरत में डाल दिया था कि भारत के करीब 6 प्रतिशत मुस्लिम अपने मजहब को छोड़ कर ‘एक्स’ होना चाहते हैं और सनातन में जाना चाहते हैं।
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