अजय सिंह चौहान || अक्सर हम सुख और दुख से जुड़ी कई प्रकार की बड़ी-बड़ी बातें करते रहते हैं। कभी कोई कहता है कि सुख-दुख तो जीवन में आते-जाते रहते हैं। तो कभी कोई कहता है कि जिसकी भौतिक आवश्यकताएं और अपेक्षाएं जितनी कम होती हैं वह व्यक्ति उतना ही अधिक सुखी होता है। जबकि कुछ देर बाद वही व्यक्ति कुछ ऐसी भौतिक आवश्यकताएं पूरी करने में लग जाते हैं जो उनके लिए दुख का कारण बन जाती हैं। ऐसे में हम उन व्यक्तियों की बात पर विश्वास कैसे कर सकते हैं? क्योंकि इस बात को वे स्वयं भी नहीं जानते कि वे जो कह रहे हैं उनके लिए वही बातें कितनी महत्व रखती हैं।
लेकिन, यदि हम किसी साधारण भारतीय से यही सवाल करें कि ‘‘दुनिया में सबसे ज्यादा सुखी व्यक्ति (Happiest Person in the World in hindi) किसे कहा जा सकता है?’’ तो हमें बिना सोचे समझे इसके अनेकों प्रकार से, और, लगभग एक जैसे जवाब बहुत ही आसानी से मिल जायेंगे। जैसे कि, कोई कहेगा कि, सारी दुनिया से ध्यान हटा कर, माया, मोह, लालच सब को छोड़कर ईश्वर में ध्यान लगाने वाला ही इस संसार में सबसे ज्यादा सुखी कहलाता है। वहीं कुछ अन्य जवाब मिलेंगे उनमें कहा जायेगा कि -‘‘आपके पास जो कुछ भी है, अगर आप उसमें संतुष्ट हैं, तो आप सबसे अधिक सुखी हैं।’’ इसी तरह से और भी कई सारे मिलते-जुलते जवाब मिलते जायेंगे।
दुनिया के कुछ समाजशास्त्रियों और मनोविज्ञानियों ने जब इस विषय पर अपनी-अपनी रिसर्च और विचार सामने रखे तो उसमें कुछ हैरान करने वाले नतीजे सामने आये। लेकिन, वे भी भारतीय धर्म और दर्शन के आधार पर एक दम मिलते-जुलते ही रहे। दरअसल, इस प्रकार की रिसर्च को लेकर समाजशास्त्रियों और मनोविज्ञानियों में विचारों की समानता तो नहीं दिखी लेकिन, उनकी रिसर्च को लेकर आम लोगों के जवाब करीब-करीब एक जैसे ही रहे।
यहां हम उन्हीं में से कुछ ऐसे उत्तर और नतीजों को सामने रखने का प्रयास कर रहे हैं जो दुनिया के किसी भी आम और खास व्यक्ति के लिए जितनी साधारण उतनी ही हैरानी की बात हो सकती है। इसमें साधारण बात इसलिए भी कही जा सकती है, क्योंकि एक आम व्यक्ति के जीवन में ऐसी बातें और घटनाएं दिन-प्रतिदिन घटती रहती हैं, जिनके कारण वह अपनी दिनचर्या में इन सब बातों और घटनाओं का आदि हो जाता है। और हैरानी इसलिए क्योंकि कोई तो है जो एक आम व्यक्ति के जीवन में दिन-प्रतिदिन घटने वाली घटनाओं के बारे में थोड़ा-बहुत गहराई से सोचता है।
अब बात करते हैं कुछ ऐसे उत्तरों की जिनके लिए प्रश्न था कि -‘‘इस संसार में सबसे ज्यादा सुखी कौन है?’’ तो इस विषय पर हमें दुनिया के उन तमाम समाजशास्त्रिायों और मनोविज्ञानियों की रिसर्च और उनके विचारों जो सबसे अधिक लोगों से अधिक से अधिक बार सुनने को मिला, वो था कि- ‘‘सबसे ज्यादा सुखी वह है जो स्वस्थ है।’’
जबकि दूसरे स्थान पर जवाब मिले उसके अनुसार, जिस व्यक्ति को महीने के अंत में ठीक समय पर वेतन मिल जाता है वही व्यक्ति इस संसार का सबसे सुखी व्यक्ति है।
वहीं इस सवाल के जवाब में तीसरा सबसे अधिक यही सुनने को मिला कि ‘‘वह व्यक्ति इस संसार में सबसे ज्यादा सुखी है जिसका अपना स्वयं का बनाया हुआ आवास है, वही इस संसार में सबसे ज्यादा सुखी है।’’ हालांकि, इस तीसरे जवाब को लेकर अधिकतर मनोविज्ञानी इतने संतुष्ट नहीं दिखे जितने की होना चाहिए थे। लेकिन, उनका मानना था कि हो सकता है कि यह भी सच हो। क्योंकि आज भी दुनिया की एक बड़ी आबादी अपने स्वयं के मकानों में नहीं रहती।
मनोविज्ञानियों के अनुसार, इस प्रश्न के उत्तर में ऐसे ही और भी कई सारे जवाब मिले जो हैरान करने लायक थे और कुछ हास्यास्पद भी। इसलिए मनोविज्ञानियों का कहना है कि दुनियाभर के आम लोगों के दिल से निकले इस प्रश्न के भिन्न-भिन्न उत्तरों को अनसुना नहीं किया जाना चाहिए। और यही हमारे लिए यह सबसे बड़ी सीख होती है।