अजय सिंह चौहान || जब भी कोई व्यक्ति किसी भी दूर-दराज के क्षेत्र की किसी बड़ी धार्मिक यात्रा पर पहली बार जाना चाहता है तो उसे इस बात की बहुत ही कम जानकारी होती है कि इस यात्रा की शुरूआत कब करनी चाहिए और कहां से और कैसे यह यात्रा की जा सकती है। कितना खर्च लग सकता है और कौन सा समय होता है जब यह यात्रा की जा सकती है। कहां-कहां ठहरा जा सकता है और क्या-क्या परेशानियां भी आ सकती है।
यहां आज हम ऐसे ही यात्रियों के लिए उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले में पड़ने वाली श्री हेमकुंड साहिब और श्री बद्रीनाथ धाम की यात्रा के विषय में कुछ जरूरी लेकिन, महत्वपूर्ण जानकारियां देने जा रहे हैं।
अगर आप श्री हेमकुंड साहिब के दर्शन करने जाना चाहते हैं तो बता दें कि यह पवित्र स्थान उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जिले में है। इसके अलावा चार धामों में से एक श्री बद्रीनाथ धाम भी हेमकुंड साहिब से करीब 25 किमी आगे इसी मार्ग पर है। इसलिए यहां तक जाने के लिए ऋषिकेश से होते हुए श्रीनगर, जोशीमठ और फिर गोविंदघाट तक जाना होता है। इसके बाद गोविंदघाट से करीब 16 किमी की दूरी वाली हेमकुंड साहिब की इस यात्रा की पैदल शुरूआत हो जाती है।
श्री हेमकुंड साहिब आम श्रद्धालुओं के लिए प्रति वर्ष 1 जून से 10 अक्टूबर के बीच खुलता है। लेकिन, अगर यहां मौसम खराब हो या फिर बर्फबारी बहुत अधिक होने के कारण पैदल चलने वाले रास्ते से ठीक समय पर बर्फ नहीं हटाई जा सके तो तय समय से कुछ दिन या कुछ हफ्ते बाद ही यात्रा शुरू हो सकती है। इसके अलावा यात्रा के अंतिम दिनों में भी मौसम खराब होने की स्थिति में समय से पहले ही यात्रा को रोका भी जा सकता है।
तो सबसे पहले तो यह जान लें कि यह यात्रा एक दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र की यात्रा है इसलिए यहां तक पहुंचने के लिए रेल की सुविधा उपलब्ध नहीं है इसलिए आप देश के किसी भी हिस्से से सिर्फ ऋषिकेश तक ही रेल से आ सकते हैं। इसके अलावा अगर आप यहां हवाई जहाज से जाना चाहते हैं तो यह भी हेमकुंड साहिब से करीब 300 किमी की दूरी पर देहरादून में जाॅली ग्रांड हवाई अड्डा है। ऐसे में एकमात्र सड़क ही इस यात्रा का एकमात्र विकल्प है।
अगर आप देश के किसी भी क्षेत्र से श्री हेमकुंड साहिब या चार धाम की यात्रा के लिए जाना चाहते हैं तो इस यात्रा का सबसे पहला पढ़ाव ऋषिकेश में होता है। इसीलिए ऋषिकेश को चार धाम यात्रा का और श्री हेमकुंड साहिब यात्रा का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। आप चाहें तो ऋषिकेश के गुरुद्वारा साहिब में भी रात्रि विश्राम कर सकते हैं और अगली सुबह यहां से सीधे इस यात्रा के लिए निकल सकते हैं। यहां श्री हेमकुंड साहिब ट्रस्ट द्वारा यात्रियों की सुविधा के तमाम इंतजाम किये जाते हैं।
वैसे तो अधिकतर यात्री यहां से अपने वाहनों से या फिर टैक्सी के द्वारा ही इस यात्रा को अधिक पसंद करते हैं और यह महंगी भी हो जाती है। लेकिन, अगर आपके पास इस यात्रा के लिए बजट अधिक नहीं है तो आप हरिद्वार और ऋषिकेश के बस अड्डे से यहां के लिए रोडवेज और निजी बसों की सेवा का लाभ ले सकते हैं।
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रोडवेज की बस में ऋषिकेश से गोविंदघाट के लिए करीब 500 रुपये तक किराया लग जाता है जबकि किसी भी निजी से जाने पर यह किराया थोड़ा अधिक ही लगता है। इसलिए ध्यान रखें कि अगर आप रोडवेज की बस से यात्रा करना चाहते हैं तो एक दिन पहले ही आपको हरिद्वार या ऋषिकेश के बस अड्डे पर इसके लिए बुकिंग करवानी होगी। लेकिन, अगर आप बस अड्डे पर समय से पहले भी पहुंच जाते हैं तो हो सकता है कि आपको इसका लाभ मिल जाय।
ऋषिकेश से हेमकुंड साहिब की दूरी करीब 300 किमी है। और 300 किमी का यह पूरा रास्ता पहाड़ियों वाला रास्ता है। जैसे-जैसे आपकी यात्रा आगे बढ़ती जाती है आप दुर्गम पहाडियों को पार करते जाते हैं।
ऐसे में कोशिश करें कि ऐसी किसी भी यात्रा के समय आप इन दुर्गम पहाड़ियों में रात के समय बिल्कुल भी यात्रा ना करें। इसलिए अगर आप ऋषिकेश से सुबह जल्दी यात्रा की शुरूआत कर देते हैं तो करीब-करीब 8 से 9 घंटे में आराम से यात्रा के दूसरे पड़ाव यानी सीधे गोविंदघाट या बद्रीनाथ धाम तक पहुंच जाते हैं।
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लेकिन, अगर आप हरिद्वार और ऋषिकेश के आसपास ही के किसी क्षेत्र में रहते हैं तो आप सीधे ऋषिकेश से सीधे देव प्रयाग होते हुए उत्तराखण्ड राज्य के श्रीनगर पहुंच कर भी रात्री विश्राम कर सकते हैं। ऋषिकेश से श्रीनगर के बीच की यह दूरी करीब 110 किमी है जो करीब 3 घंटे में आराम से पार की जा सकती है।
ऋषिकेश से गोविंदघाट तक के रास्ते में देव प्रयाग, श्रीनगर, रूद्र प्रयाग, कर्ण प्रयाग, चमोली, जोशीमठ, और फिर विष्णु प्रयाग से होते हुए आप गोविंदघाट पहुंचते हैं। इस मार्ग में एक दम अच्छी क्वालिटी की सड़कें देखने को मिल जाती हैं। इस रास्ते में लगभग सभी मुख्य स्थानों पर गुरुद्वारों और अन्य कई संस्थाओं के द्वारा यात्रियों के लिए लंगर यानी भण्डारे और आराम करने की व्यवस्था की जाती है जिसमें सभी यात्रियों और श्रद्धालुओं के लिए करीब-करीब बिना पैसे खर्च किये खाने-पीने की सुविधाएं दी जाती है।
ऋषिकेश से चलने पर गोविंदघाट इस यात्रा का दूसरा महत्वपूर्ण पड़ाव आता है जहां पहुंच कर सभी यात्री इस लंबी सड़क यात्रा की थकान मिटाते हैं। इसके बाद अगले दिन सुबह-सुबह गोविंदघाट से यात्रा की पैदल शुरुआत कर देते हैं।
यात्रा के अगले भाग ( भाग -2 ) के लिए मैं अपने अगले लेख के माध्यम से बताउंगा कि कैसे गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक की इस पैदल यात्रा पर निकलेंगे और कैसे यहां से फूलों की घाटी की सैर के लिए भी जा सकते हैं।
यहाँ क्लिक करके आप इस यात्रा से जुडी जानकारियों वाले अगले लेख का लिंक देख सकते हैं : –