Skip to content
25 August 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • ऐतिहासिक नगर
  • विशेष

मेवाड़ के वीर योद्धा: गोरा और बादल का बलिदान

admin 17 June 2024
Gora and Badal - Warriors of Mewad Rajasthan
Spread the love

अजय सिंह चौहान  | चित्तौड़गढ़ किले के इतिहास से जुड़े तमाम ऐतिहासिक प्रमाण और किस्से भारत में ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में मशहूर हैं। उन्हीं में से एक वीर गाथा जुडी है गोरा और बादल नामक दो वीर योद्धाओं से, जो शौर्य की एक ऐसी अद्भुत और तथात्मक वास्तविक ऐतिहासिक दास्तान है जिन्होंने अपनी वीरता से विदेशी आक्रान्ता अलाउद्दीन खिलजी को उसकी असली ओकात दिखाई थी। गौरा और बादल नामक उन दोनों ही शूरवीरों ने भले ही केसरिया बाना धारण कर अपना बलिदान मेवाड़ की मिटटी में दिया था लेकिन सम्पूर्ण भारतवर्ष उनके उस बलिदान को आज भी याद करता है। हालाँकि, आज की पीढ़ियों में से ऐसे बहुत से लोग हैं जो आज उस गौरवगाथा के बारे में बिलकुल भी नहीं जानते। लेकिन मेवाड़ की मिटटी से जुड़े हर एक व्यक्ति के लिए आज भी गोरा और बादल एक आदर्श हीरो हैं।

जीवन परिचय और इतिहास:
गौरा ओर बदल दोनों रिश्ते में चाचा-भतीजे थे जो जालोर के चौहान वंश से सम्बन्ध रखते थे। इसीलिए तो मेवाड़ की माटी से जुड़े मूल निवासियों के रक्त में आज भी इनकी वीरता की लालिमा झलकती है। मुहणोत नैणसी के प्रसिद्ध काव्य ‘मारवाड़ रा परगना री विगत’ में गौरा ओर बदल नामक इन दो वीरों के बारे तथ्यात्मक विस्तृत जानकारी मिलती है।

‘मुँहणोत नैणसी री ख्यात’ राजस्थान के इतिहास से जुड़ा यह सर्वाधिक विश्वसनीय स्त्रोत है जो जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह के देश दीवान नैणसी जी द्वारा 17वीं शताब्दी में मूल राजस्थानी गद्य के रूप में लिखा गया था। इस काव्य को आधार माने तो ये दोनों योद्धा रिश्ते में चाचा और भतीजा लगते थे। इसके अलावा इनका संबंध जालौर के चौहान वंश से भी था जो रानी पद्मिनी के विवाह के बाद चितौड़ के राजा रतन सिंह के राज्य का हिस्सा बन गए थे।

Chittorgarh Fort and Gora Badal‘मुँहणोत नैणसी री ख्यात’ के अनुसार गौरा ओर बदल दोनों इतने पराक्रमी थे कि शत्रु उनके नाम से कांपते थे। उनके बारे में स्थानीय किस्से और कहानियों में कहा जाता है कि एक तरफ जहां चाचा गोरा शत्रुओं के लिए काल के सामान थे, वहीं दूसरी तरफ उनका भतीजा बादल शत्रुओं के संहार के आगे स्वयं की मृत्यु तक को शून्य समझता था। यही कारण था कि राजा रतन सिंह ने अपनी सेना की बागडोर उन्हें दे रखी थी।

खिलजी की कैद से राणा रतनसिंह को छुड़ाना –
इतिहास का वह दौर जब खिलजी की बुरी नजर मेवाड़ राज्य पर पड़ चुकी थी, लेकिन वह ये भी जानता था कि युद्ध में राजपूतों को नहीं हरा सकता था, इसलिए उसने कुटनीतिक चाल चली, जिसमें उसने मित्रता का बहाना बनाकर राजा रतनसिंह को मिलने के लिए किले से बाहर बुलाया और वहाँ धोके से उनको बंदी बना लिया और वहीं से सन्देश भिजवाया कि रावल को तभी आजाद किया जायेगा जब रानी पद्मिनी को मेरे पास भेजोगे।

इस तरह के खतरनाक धोखे और कपट भरे सन्देश के बाद मेवाड़ के समस्त राजपूत क्रोधित हो उठे। लेकिन उधर रानी पद्मिनी ने संकट की इस घडी में भी धीरज और चतुराई से काम लेने का आग्रह किया। रानी ने अपने काका गोरा व भाई बादल के साथ अपने अन्य सभी योद्धाओं से सलाह ली और रावल रतन सिंह को बचाने की योजना बनाई गयी। रावल रतन सिंह को बचाने का जिम्मा गोरा और बादल को दिया गया।

गोरा और बादल ने अपनी एक रणनीति तैयार की जिसके, अनुसार अलाउद्दीन खिलजी को ठीक उसी तरह जबाब दिया जाएगा जैसा अलाउद्दीन ने किया था। उस रणनीति के तहत खिलजी को सन्देश भिजवाया गया कि रानी आने को तैयार है, पर उसकी दासियाँ भी साथ आयेंगीं और जब खिलजी से सामने रानी पद्मिनी को सौंपा जायेगा तब उन पालकियों में रानी की दासियाँ और सेवक भी साथ होगीं।

खिलजी यह सुनकर आनंदित हो गया और बिना सोचे-विचारे उसने इसकी अनुमति दे दी। इसके बाद रानी पद्मिनी की पालकियां आई, पर उनमें रानी की जगह वेश बदलकर गोरा बैठा था, और दासियों के स्थान पर उन पालकियों में बादल सहित अन्य चुने हुए वीर राजपूत योद्धा थे। साथ ही डोलियों को उठाने के लिए जिन कहारों की आवश्यकता थी उनके स्थान पर भी छांटे हुए वीर सैनिको को लगा दिया गया। खिलजी के पास सूचना भिजवाई गई कि रानी पहले रावल रत्नसिंह जी से मिलेंगी। खिलजी ने बेफिक्र होकर उसकी भी अनुमति दे दी। जिसके बाद रानी की पालकी जिसमें गोरा बैठा था, रावल रत्नसिंह के तम्बू में भेजी गई।

अलाउद्दीन खिलजी पर आक्रमण-
गोरा ने रत्नसिंह को किसी तरह वहाँ से निकाला और घोड़े पर बैठाकर तुरंत रवाना कर दिया। जब तक वे लोग कुछ समझ पाते उसके पहले ही राजपूत योद्धाओं ने राजा रतनसिंह को वहाँ से सुरक्षित निकाल कर अपने दुर्ग में पंहुचा दिया। उधर पालकियों में बैठे अन्य राजपूत योद्धा भी खिलजी के सैनिकों पर टूट पड़े। राजपूतों के द्वारा किये गए इस अचानक हमले से खिलजी की सेना हक्की-बक्की रह गई।

गोरा खिलजी के तम्बू तक पहुँचा और सुल्तान को मारने ही वाला था कि डरपोक खिलजी एक महिला के पीछे जाकर छिप गया। लेकिन, गोरा एक राजपूत योद्धा था, इसलिए उसने यह सोच कर खिलजी को छोड दिया कि कहीं खिलजी को मारने के दौरान उस मासूम महिला को हानि न पहुँच जाय।

इस घटना के बाद तो हर तरफ कोहराम मच चुका था। चाचा और भतीजा यानी गोरा और बादल दुश्मनों पर काल की तरह टूट पड़े थे। लेकिन क्योंकि वे उन हज़ारों शत्रुओं के बीच अकेले ही थे इसलिए अंत में दोनों वीरों की भांति लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुवे।

About The Author

admin

See author's posts

335

Like this:

Like Loading...

Related

Continue Reading

Previous: जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती जी बदरीनाथ धाम, चमोली में
Next: इस बार दिल्ली में होगा ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य जी का चातुर्मास्य महामहोत्सव

Related Stories

marigold Vedic mythological evidence and importance in Hindi 4
  • कृषि जगत
  • पर्यावरण
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व

admin 20 August 2025
brinjal farming and facts in hindi
  • कृषि जगत
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व

admin 17 August 2025
Queen Sanyogita's mother name & King Prithviraj Chauhan
  • इतिहास
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष

भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम

admin 11 August 2025

Trending News

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व marigold Vedic mythological evidence and importance in Hindi 4 1
  • कृषि जगत
  • पर्यावरण
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व

20 August 2025
Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व brinjal farming and facts in hindi 2
  • कृषि जगत
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व

17 August 2025
भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम Queen Sanyogita's mother name & King Prithviraj Chauhan 3
  • इतिहास
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष

भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम

11 August 2025
पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें Khushi Mukherjee Social Media star 4
  • कला-संस्कृति
  • मीडिया
  • विशेष
  • सोशल मीडिया

पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें

11 August 2025
दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार BJP Mandal Ar 5
  • राजनीतिक दल
  • विशेष

दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

2 August 2025

Total Visitor

081119
Total views : 147818

Recent Posts

  • Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व
  • Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व
  • भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम
  • पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें
  • दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved 

%d