वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारा यह ब्रह्माण्ड आज से कई अरब वर्ष पहले बना था और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड एक साथ उभर कर तैयार हुआ था, और तभी से ब्रह्माण्ड का विस्तार लगातार हो रहा है. जबकि पूरे ब्रह्मांड (amazing galaxies in universe in hindi) का केंद्र क्या है और कहाँ से इसकी शुरुआत हुई होगी यह आज भी रहस्य बना हुआ है, ब्रह्मांड के आकार को मापना तो दूर की बात, कोई इसके आकार के विषय में भी सोच नहीं पा रहा है, हालाँकि वैज्ञानिक कुछ भी अनुमान लगा लेते हैं, जैसे की कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि वर्तमान समय में ब्रह्माण्ड का विस्तार लगभग 93 अरब प्रकाश-वर्ष व्यास का हो सकता है.
हाल ही में वैज्ञानिकों ने इस विराट और अनंत ब्रह्माण्ड में कुछ ऐसी अद्भुत आकाशगंगाएं (amazing galaxies in universe in hindi) खोज निकाली हैं जिनके बारे में कहा जा रहा है की इन आकाश गंगाओं का निर्माण बिग बैंग के सिर्फ साठ करोड़ साल बाद हुआ होगा. ये बहुत ही विशाल आकाशगंगाएं हैं जिनको की “जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप” के माध्यम से खोजा गया है, हालांकि जेम्स वेब इनसे भी पुरानी आकासगंगाएं खोज चुका है जिनका निर्माण बिग बैंग के 30 करोड़ साल बाद का बताया गया है, लेकिन इन नई खोजी गईं आकाशगंगाओं के बारे में कहा जा रहा है की ये अपने आकार और परिपक्वता के कारण उन सबसे कुछ अधिक विशेष और अलग हैं.
वैज्ञानिकों द्वारा किये गए एक अध्ययन में बताया गया है कि जेम्स वेब की इस खोज से वैज्ञानिक हैरान हैं और खोज करने वाली टीम के मुख्य शोधकर्ता ऑस्ट्रेलिया की स्वाइनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के आइवो लाबे और उनकी टीम ने यह खोज की है. इस दल को उम्मीद थी कि ब्रह्मांड के निर्माण की शुरुआत में छोटी-छोटी आकाशगंगाएं बनी होंगी और वे उसी थ्योरी पर काम कर रहे थे, लेकिन उन्हें इतनी बड़ी आकाशगंगाएं मिल जायेंगी इसकी उम्मीद बिलकुल भी नहीं थी.
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वैज्ञानिक बताते हैं कि “उस युग की ज्यादातर आकाशगंगाएं (amazing galaxies in universe in hindi) अब भी आकार में छोटी हैं और धीरे धीरे उनका आकार बढ़ता जा रहा है. लेकिन आकाशगंगाओं के कुछ ऐसे भी विराटकाय समूह हैं जिन्होंने ब्रह्मांड को तेज गति दी होगी. हालाँकि, ऐसा क्यों हुआ और कैसे हुआ होगा, इस बारे में हमारे पास फिलहाल कोई जानकारी नहीं है.”
विज्ञान विषय से जुडी नेचर पत्रिका में छपे इस विशेष अध्ययन में कहा गया है कि इस खोज में हमें कुल छह तारा समूह मिले हैं जिनका वजन हमारे सूर्य से कई अरब गुना ज्यादा हो सकता है. उनमें से एक तो इतनी बड़ी है कि उसमें मौजूद कुल सितारों का वजन हमारे सूर्य से 100 अरब गुना ज्यादा हो सकता है. फिर भी, वैज्ञानिक मान रहे हैं कि ये आकाशगंगाएं बहुत अधिक सघन हैं और इनमें भी तारों की संख्या तो उतनी ही है जितनी की हमारी मिल्की वे नाम की आकाश गंगा में है लेकिन वे बहुत पतली पट्टी में सिमटे हुए हैं.
लाबे का कहना है कि उन्हें जब नतीजे मिले तो उन्हें और उनके साथियों को तो उन पर यकीन ही नहीं हो पा रहा था कि समय के इतने शुरुआती दौर में भी मिल्की वे जैसी परिपक्व आकाशगंगाएं (amazing galaxies in universe in hindi) हो सकती हैं. इसलिए हमने उनकी दोबारा पुष्टि की. हमने देखा की वे चीजें इतनी बड़ी और इतनी चमकदार दिख रही थीं कि हमारी टीम से कुछ वैज्ञानिकों को तो ये नतीजे ही गलत लगने लगे थे, लेकिन ये सच है.
यही कारण था कि उस समय हमारा तो दिमाग ही हिल गया था, हम हंस रहे थे की क्या हमारे इस ब्रह्माण्ड में ऐसा भी संभव हो सकता है?
– अशोक सिंह