अजय सिंह चौहान || इसे हम अपना भाग्य कहें या दुर्भाग्य कि दुनियाभर के लगभग सभी सेक्युलर हिन्दुओं के अतिरिक्त अन्य जितने भी सनातन को मानने वाले कट्टर हिन्दू हैं वे भारत की राजनीति और राजनीतिज्ञों और उनकी नीतियों को लेकर न सिर्फ शत प्रतिशत भ्रमित हैं बल्कि धर्म और अध्यात्म को छोड़ कर राजनेताओं और और उनकी राजनीतिक पार्टियों के पिछलग्गू बने बैठे हैं।
हैरानी की बात है कि लगभग सभी हिन्दू अपने धर्म और संस्कारों के अलावा अन्य सभी विषयों पर चर्चा मन लीन रहने लगे हैं। जबकि अन्य धर्मी और स्वयं उनके राजनेता और पार्टियाँ भी हमारे इस भ्रम का भरपूर लाभ उठा रहीं हैं। फिर उनमें चाहे पिछले 100 वर्षों से कोई भी राजनीतिक दल हो या कोई भी राजनेता।
आज आवश्यकता इस बात की है कि भ्रमित हिन्दू समाज के लगभग सभी कट्टर हिन्दुओं को उन तथ्यों पर भी गौर करना चाहिए जिनको आज का मीडिया न तो सामने आने दे रहा है और ना ही उनपर चर्चा करना चाहता है। स्वयं सरकारें और राजनेता चाहते हैं कि उनके कारनामों से जुड़े तथ्यों को मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आने से रोका जाय।
आज आवश्यकता इस बात की है कि तमाम हिन्दुओं को भी अपने आँख और कान खोल कर ना सिर्फ तथ्यात्मक सच्चाई पर ध्यान देना चाहिए बल्कि स्वयं भी कुछ ऐसे तथ्य जुटाने चाहिए जो उनके राजनेताओं से जुड़े हों। यदि बाज़ार से कोई सामान सोच समझ कर खरीदा जाता है तो फिर अपने भविष्य के लिए नेताओं को भी सोच समझ धर्म के आधार पर ही चुनना चाहिए। यदि इस विषय पर अपना दिमाग नहीं चल पाए तो मात्र इतना ध्यान रखें कि अन्य धर्मी लोग किस प्रकार से अपने धर्म और लाभ के आधार पर अपने नेता का चयन करते हैं ठीक उसी के आधार पर हमें भी अपना नेता चुनना चाहिए।
यदि हम अपने धर्म और तथ्यों की बात करें तो जैसे कि राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर पूरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी सहित कुछ अन्य लोग भी जो कह रहे हैं वह एकदम सत्य है कि राम का इतना बड़ा उपयोग और अनादर तो स्वयं कांगेस और मुगल आदि ने भी नहीं किया होगा। यह सच है कि आज संघ और बीजेपी के आईटी सेल के द्वारा किये जा रहे भ्रामक प्रचार से हिन्दू बहुत अधिक भ्रमित हो रहे हैं।
यदि यहाँ हम सीधे-सीधे बात करें तो बीजेपी का आईटी सेल और संघ विचारधारा वाले आज हिन्दुओं को मात्र भ्रमित ही नहीं कर रहे हैं बल्कि खतरे में भी डाल रहे हैं। क्योंकि जो संघ और बीजेपी विकास और कॉरिडोर के नाम पर हिन्दू मंदिरों को तोड़ रही है और उनसे होने वाली कमाई से अन्य धर्मियों को मुफ्त का राशन बाँट रही है तो फिर इसमें हिन्दुओं का भला कब और कैसे होने वाला है? हिन्दू मंदिर क्या पैसे कमाने की फैक्ट्री हैं जो मंदिरों को धन उगाही का अड्डा समझ लिया है।
एक अन्य तथ्य ये है कि जिन लाखों साधू संतों ने राम मंदिर के लिए अपनी जान दे दी और हमारे शंकराचार्यों ने पांच सो वर्षों से इस लड़ाई को जारी रखा उनको इन संघियों ने एकाएक क्यों दूर कर दिया? जब बाबरी मस्जिद को गिराने में भाजपा और संघ का कोई हाथ ही नहीं था और वे एकदम बरी हो गए उनमें से किसी को भी सजा नहीं मिली तो फिर वे किस प्रकार से मंदिर पर अपना अधिकार जमा रहे हैं? क्या हुआ उन साधुओं का जिन्होंने मंदिर के लिए अपने प्राण दिए?
हिन्दू धर्म जिन शंकराचार्यों के कारण आज बचा हुए है उनका इतना बड़ा अपमान हो रहा है और बीजेपी का आईटी सेल हिन्दुओं को ही भ्रमित कर उन शंकराचार्यों के खिलाफ काम कर रहा है। ठीक ही तो कह रहे हैं स्वामी निश्चलानंद जी कि ‘क्या राम मंदिर के उद्घाटन के समय मैं वहाँ खड़े होकर ताली बजाऊंगा, यह सनातन धर्म की मर्यादा के खिलाफ नहीं है?’ यह तो न सिर्फ हिन्दुओं का अपमान है बल्कि स्वयं राम और भगवान् विष्णु का भी अपमान है।
यह सत्य है कि मुहूर्त और पूजा तथा प्राणप्रतिष्ठा के समय राम मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश के लिए पहला अधिकार सिर्फ शंकराचार्यों का और पुजारियों का ही बनता है। उन्हीं के हाथ से यह शुभ कार्य होना चाहिए। अन्यथा यह एक स्वयं के लाभ का माध्यम ही माना जाएगा। धर्म और धर्मस्थल किसी निजी लाभ के लिए नहीं होते। अन्य धर्मियों से ही सिख लो। क्या वे चुनाव प्रचार के लिए मस्जिदों में, चर्च में या गुरुद्वारों में जाकर दिखावा करते हैं?
नरेंद्र मोदी ने जर्मनी में हिन्दुओं को सम्बोधित करते हुए कहा था कि “क्या उन पत्थरों और मूर्तियों में Incredible India (इनक्रेडिबल इंडिया) है क्या?” लेकिन अब वही व्यक्ति यानी मोदी स्वयं विष्णु का अवतार भी बन बैठे हैं और उनके आसपास के तमाम नेता उनका ही गुणगान करते दिख रहे हैं। आज फिर से वे क्यों पत्थर की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा का नाटक कर हिन्दुओं को भ्रमित कर रहे हैं? क्यों नहीं वे अपने बयानों पर कायम रहते? इनसे तो कांग्रेस सहित उनके समर्थक दल ही अच्छे थे, कम से कम ये तो पता था कि हिन्दुओं का कट्टर शत्रु सामने है इसलिए वह सामने से ही वार करेगा।
राम मंदिर के लिए कोर्ट के फैसले का इंतज़ार क्यों किया ? आज भी काशी और मथुरा के मंदिरों को कोर्ट के भरोशे क्यों छोड़ दिया है ? क्या कोई मोदी जी से कहेगा कि राम तो गाय की रक्षा करते थे। तो मंदिर से पहले क्यों नहीं वे गाय को काटने से बचाने वाला कानून लेकर आये? क्यों नहीं मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करवा रहे हैं? मोदी जी को हमने वोट क्यों दिया, क्या सिर्फ प्रधानमन्त्री बनवाने के लिए? CAA का क्या हुआ? मोदी जी बताइये सामान अधिकार कानून कब तक बन जाएगा? आपने दस वर्षों पहले ही इसके लिए छाती ठोक कर कहा था की हमारी सरकार सामान अधिकार कानून लागू कर के रहेगी।