दार्जलिंग पश्चिमी बंगाल के उत्तरी भाग में अवस्थित है। अगर हम गूगल मैप से देखें तो यह हिमालय की गोद से निकले हुए टीले की तरह दिखता है। शहर दार्जलिंग समुद्र तल से 6,710 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। अगर आप दार्जलिंग जा रहे हैं तो रास्ते में उस रूट की सबसे ऊंचाई वाली जगह घूम जो समुद्र तल से 7407 फीट पर स्थित है, से भी गुजरना होगा। हालांकि दार्जलिंग में सबसे ऊंचाई वाली जगह संदकफू है, जो समुद्र तल से लगभग 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और पूरे पश्चिम बंगाल में सबसे ऊंचाई वाला स्थल है।
दार्जलिंग नाम के पीछे कई कहानी है, लेकिन सबसे काॅमन और पाॅपुलर है आब्जर्बेटरी हिल्स की कहानी। दार्जलिंग शहर में यह सबसे ऊंचाई पर स्थित है और यहां हमेशा बिजली गिरती रहती है, खासकर मानसून में सबसे ज्यादा। तिब्बती भाषा में बिजली और तड़का को ‘दोर्जी’ कहा जाता है। संभवत ‘दोर्जी’ के शहर का नाम दार्जलिंग इसी वजह से पड़ा होगा।
एक दूसरी कहानी के अनुसार 1700 ईसा पूर्व के आसपास एक तिब्बती बौद्ध संन्यासी ने आब्जर्बेटरी हिल्स के सबसे ऊपर एक आश्रम बनाया था। उस तिब्बती बौद्ध संन्यासी का नाम रिंजिंग दोर्जी लांगडेन ला था। तिब्बतियों के द्वारा उन्हीं के नाम पर शहर का नाम रखा गया।
हिमालयन मांउटेनियरिंग इंस्टीट्यूट –
यह इंस्टीट्यूट पर्वतारोहियों के लिए मक्का है। इसका निर्माण सर एडमंड हिलैरी और तेनजिंग नार्गे के सम्मान में किया गया है। यहां कलात्मक चित्रों और शिल्पों की प्रदर्शनी लगी रहती है।
टाइगर हिल –
टाइगर हिल दार्जलिंग में सबसे ऊंचाई पर स्थित है। यहां से सिर्फ सूर्योदय के खूबसूरत नजारे ही नहीं देखने को मिलते हैं, बल्कि कंचनजंघा की सफेद चोटियां भी देखने को मिलती हैं। मौसम साफ रहने पर यहां से माउंट एवरेस्ट की चोटियां भी स्पष्ट देखी जा सकती हैं। टाइगर हिल शहर से 11 किमी दूर है।
बटाशिया लूप –
दार्जलिंग से पांच किमी दूर यह जगह ठीक घूम के नीचे है। घूम दार्जलिंग जाने के दौरान रास्ते में पड़ता है। बटाशिया लूप इसे इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहीं से रेलवे ट्रैक की छोटी लाइन अचानक तेजी से नीचे की और घूम जाती है। यहां कुदरती नजारे काफी मनमोहक हैं। करीने से सजाये हुए बगीचे, झील-झरने के साथ-साथ यहां की ऊंचाई से आपको दार्जलिंग का पूरा नजारा लैंडस्कैप की तरह देखने को मिल जाएगा।
राॅक गार्डेन और गंगा माया पार्क –
इन दोनों पार्क को प्लांड वे में गार्डेन की तरह सजाया गया है। राॅक गार्डेन शहर से 10 किमी की दूरी पर और गंगा माया पार्क तीन किमी की दूरी पर स्थित है। पत्थरों को करीने से तराशकर और काटकर सीढ़ीनुमा अंदाज में बनाया गया है राॅक गार्डेन। जगह-जगह झरने और बैठने की खूबसूरत व्यवस्था की गई है। माया पार्क घाटी में है, इसलिए यहां हरियाली एवं फूलों की क्यारियां और झरने का कोलाज देखने को मिलता है।
बंगाल नेचरल हिस्ट्री म्यूजियम –
इस अजायबघर में स्तनधारी प्राणियों के जीवाश्म का भंडार है। सांप, चिड़ियां, मछली, कीड़े-मकोड़े से लेकर हर तरह के जीव-जंतु को यहां सुरक्षित रखा गया है।
आब्जर्बेटरी हिल और महाकाल मंदिर –
दार्जलिंग के पूरे नजारे को देखने के लिए आब्जर्बेटरी हिल सबसे बढ़िया जगह है। इसकी ऊंचाई से दार्जलिंग का फूल व्यू देखने को मिलता है और यहां से हिमालय की चोटियां भी दिखती हैं। महाकाल मंदिर को दार्जलिंग का सेंट्रल टैंपल कहा जाता है और सभी आस्था के मानने वाले लोग यहां आते हैं। एक समय में यहीं सबसे प्राचीन बौद्ध मठ भी था।
जैपनीज टेंपल और पीस पैगोडा –
कार से दस मिनट लगता है जाने में। यह जलापहाड़ हिल में स्थित है। जैनपीज टैंपल जापानी स्थापत्य कला का एक बेजोड़ नमूना है और इसके बगल में ही पीस पैगोडा भी स्थित है जहां भगवान बुद्ध के चार अवतार के दर्शन होते हैं।
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दार्जलिंग रोपवे –
दार्जलिंग के रोपवे को रंगीट वैली पैंसेंजर केबल कार भी कहते हैं। रोपवे की सवारी करते हुए आपको घाटी के अद्भुत और मनमोहक नजारे देखने को मिलेंगे। चाय बगान की हरियाली, घने जंगल, पर्वत से निकलते झरने, जलप्रपात समेत पूरी वादियों का नजारा लेना हो तो रोपवे की सवारी जरूर कीजिए।
दार्जलिंग चिड़ियाघर –
यह चिड़ियाघर भी हिमालयन मांउटेनियरिंग इंस्टीट्यूट के अहाते में ही है। दोनों जगह के दर्शन एक ही साथ किए जा सकते हैं। इस चिड़ियाघर की विशिष्टता यह है कि यहां हिमालय की ऊंचाई पर और ठंड में रहने वाले जानवरों को देखने का मौका मिलता है। इस चिड़ियाघर में आप रेड पांडा, स्नो लेपर्ड़, तिब्बतियन वुल्फ समेत कई हिमालयन जानवर देख सकते हैं।
कुछ और भी हैं देखने-घूमने और करने को –
व्हाइट वाटर राफ्टिंग, पाराग्लाइडिंग, हाॅट एयर बैलून, ट्रैकिंग, कायाकिंग।
कैसे पहुंचे यहां –
दार्जलिंग का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी है और एयरपोर्ट बागडोगरा। न्यू जलपाईगुड़ी पहुंचने के बाद दार्जलिंग जाने के लिए और 90 किलोमीटर का सफर करना पड़ेगा। न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन और बागडोगरा एयरपोर्ट दोनों ही जगह से कार से दार्जलिंग पहुंचने में तीन घंटे लगते हैं। बस और टैक्सी भी मिलती है। आप ट्वाॅय ट्रेन से भी दार्जलिंग जा सकते हैं,
– तरुण