सनातन धर्म सम्राट ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के कर कमलों द्वारा मुझे कल यानी 12 दिसंबर 2025, दिन शुक्रवार को “कुरुक्षेत्र धर्मांलंकरण-2025” में “कपोत सम्मान” प्राप्त हुआ। कपोत भगवान् शिव के 108 नामों में से एक है।
यह सम्मान मुझे “dharmwani.com” और धर्मवाणी यूट्यूब चैनल तथा “लाइव नॉलेज” (Youtube Channel) जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यात्म से पत्रकारिता के क्षेत्र में सनातन हिन्दू धर्म के लिए विशेष जागरूकता कार्य करने और हिन्दू धर्म के प्रति आम हिन्दुओं को जोड़ने के लिए दिया गया। इसके लिए श्रेय जाता है Kurukshetra Gurukulam Foundation (KGF) और इसके संस्थापक एवं लेखक संदीप देव जी को।
यह विशेष सम्मान समारोह हुआ होटल हयात सेंट्रिक, जनकपुरी, दिल्ली में, जिसमें मेरे अलावा अन्य ऐसी कई प्रमुख हस्तिया थीं जिनका नाम लेनेभर से भी संवैधानिक सरकारों में आज तक के हर एक प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, नेता, नौकरशाह, अभिनेता, मीडिया जगत और यहां तक की कई आम हिन्दू तक भी एक दूसरे से मात्र इसलिए कतराते हैं क्योंकि वर्तमान में वे धर्मपथ पर नहीं बल्कि केवल राजनीति के मार्ग पर चलते हैं। असल में ऐसे हिन्दुओं ने अपने-अपने नेताओं को ही अपना भगवान् और पार्टियों को अपना धर्म मान लिया है।
पुरस्कार प्राप्त करने वालों में सर्वप्रथम तो संतोष दुबे जी हैं जिन्होंने बाजरी मस्जिद का विध्वंस करने वाली टीम का नेतृत्व किया, जिसमें वे पुलिस की गोली से घायल हुए और उस ढाँचे के मलबे में दब कर बेहोश हो गए थे, उनके साथियों ने उन्हें वहाँ से बाहर निकाला और बाद में सरकार ने उन्हें प्रमुख अभियुक्त बनाया (फोटो में भगवा वस्त्र और सिर टोपी लगाए संतोष दुबे जी का भी मुझे आशीर्वाद प्राप्त हुआ)। लेकिन मंदिर बनाने के बाद उनको इसीलिए भुला दिया गया क्योंकि संविधान में हिंदू धर्म के कट्टर कार्यकर्ताओं का कोई स्थान नहीं है। संतोष दुबे जी के साथ देवेंद्र पांडेय जी भी वहाँ मौजूद थे जिनको कि उसी दौरान पैरों में गोलियां लगीं थीं, उनको भी यह सम्मान दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से राममंदिर जन्मभूमि प्राप्त करवाने वाले अधिवक्ता श्री पी. एन. मिश्र जी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे उनका आशीर्वाद भी मुझे प्राप्त हुआ। पी. एन. मिश्र जी के विषय में तो मैं पिछले वर्ष भी विस्तार से बता चुका हूं।
इनके अलावा राजीव मल्होत्रा जी जिनकी पुस्तक “Snakes in the Ganga: Breaking India 2.0” के लेखक के नाम से भी जाना जाता है। इनके अलावा श्री एम नागेश्वर राव जो पूर्व सी.बी.आई. डायरेक्टर रहे हैं। अलावा यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज जो डासना मंदिर ग़ाज़ियाबाद के महंत हैं उनको भला कौन नहीं जानता। शायद ही कोई होगा जो सनातनी हिंदुओं के अलावा सम्पूर्ण इस्लाम जगत में यति जी को नहीं जानता होगा। (इस कार्यक्रम के दौरान मुझे संतोष दुबे जी के अलावा यति जी का भी आशीर्वाद प्राप्त हुआ)। इनके अलावा डॉक्टर उदिता त्यागी जी, प्रोफेसर मधु पूर्णिमा किश्वर जी, डॉक्टर सुब्रमण्यम स्वामी जी जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपनी ही पार्टी के विरोध में जाकर राम सेतु की रक्षा की, अजय शर्मा जी जिन्होंने काशी के अलग-अलग मंदिरों में से करीब 13 हज़ार साईं बाबा की मूर्तियों को हटवाकर सनातन के लिए कार्य किया और जेल की हवा तक खाई। उनके अलावा चारों वेदों के भाष्यकार डॉक्टर जियालाल काम्बोज जी जो वर्तमान में एकमात्र विद्वान हैं जैसी अन्य कई हस्तियां मजूद थीं जो अपने-अपने कार्य क्षेत्रों में धर्म का कार्य कर रहीं हैं।
भारत के इतिहास में अभी तक की संवैधानिक राजनीति ने सनातन धर्म के अथवा हिन्दू देवी-देवताओं के नाम पर कोई भी ऐसा सम्मान न दिया है और न ही आगे भी इसकी ऐसी कोई संभावना है। दुनिया के इतिहास में यह एक ऐसा पुरस्कार है जो आधुनिक इतिहास में पहली बार प्रारम्भ हुआ है और उसमें मुझे भी लाभ मिला। धन्यवाद “कुरुक्षेत्र धर्मांलंकरण-2025″।
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