अजय चौहान | शताब्दियों तक शैक्षणिक जगत पर जिन शब्दकोष-निर्माताओं ने राज्य अथवा शासन किया हो उनकी क्षमता को चुनौती देना, प्रश्न चिन्ह लगाना बहुत से लोगों को गुस्ताखी और दुस्साहसी भरा लग सकता है, किन्तु कई बार कुछ भयंकर भूलें अथवा चोरी के साक्ष्य जब सामने आ जाते हैं तब उनको सहर्ष स्वीकार भी कर ही लेना चाहिए।
गुरु अपने शिष्य अथवा छात्र को जो शिक्षा देते हैं वह संस्कृत भाषा में “दीक्षा” कहलाता है। उसकी संस्कृत में क्रिया “दिक्षण” (Diction) है। वह शब्द अपने मूल उच्चारण और अर्थ में अंग्रेजी भाषा में “डिक्शन” के रूप में ज्यों का त्यों, अक्षुण्ण बना हुआ है।
संस्कृत शब्द “दीक्षांत्तरी” का अर्थ है वो शब्द या पाठ जिसकी शिक्षा शिक्षार्थी को दी गई है या फिर दी जानी होती है। अर्थात जो शब्द विधार्थी की समझ न आए या फिर वो उनको भूल न जाय इसलिए उनका एक पवित्र संकलन। इसलिए उन शब्दों को कोई भी शिक्षार्थी इस पवित्र “दीक्षांत्तरी” पुस्तक में खोज सकता है। हिंदी में हम उसी को “शब्द-कोष” कहते हैं।
इसी उद्देश्य के लिए अंग्रेजों ने भी क्या खूब शब्द गढ़ा है Dictionary (डिक्शनरी)। यानी अंग्रेजों का शब्द डिक्शनरी तो शुद्ध रूप से संस्कृत से ही चुराया हुआ है। बस इसमें से उन्होंने “त” अक्षर को निकाल कर उसमें अंग्रेजी का “t” जोड़ दिया है।
अंग्रेज लेकिन कुछ भी और कितनी भी चालाकी कर लें, सच तो सामने आ ही जाता है। इसलिए वर्तमान प्रचलित शब्द “डिक्शनरी” संस्कृत के “दीक्षांत्तरी” से ही बना है यह साबित हो जाता है। और यह भी साबित हो जाता है की हमारी प्राचीन संस्कृत भाषा ही संसार की सर्वप्रचालित भाषा रही है और आज भी वही होनी चाहिए।
अंग्रेज़ स्वयं भी लिखते हैं की उनका पहला विशुद्ध अंग्रेजी शब्दकोश रॉबर्ट कावड्रे द्वारा संकलित “ए टेबल अल्फाबेटिकल” था जो वर्ष 1604 में तैयार किया गया था, जिसमें मात्र 3,000 शब्द ही थे। यानी इसके पहले उनके पास शब्दकोष था ही नहीं। और यदि रहा भी होगा तो उसका कोई आधार भी नहीं रहा होगा। इसके अलावा वर्ष 1746-47 में सैमुअल जॉनसन नामक एक अन्य व्यक्ति ने उस समय का सबसे महत्वाकांक्षी अंग्रेजी शब्दकोश यानी Dictionary तैयार किया था जिसमें करीब 43,500 शब्दों की एक सूची थी। और यहीं से शब्दों के उस संकलन को एक नाम भी दिया गया था जिसकी प्रेरणा उनको भारत के संपर्क में आने के बाद ही मिली थी। जबकि संस्कृत भाषा का शब्दकोष तो हमारे पास हज़ारों ही नहीं लाखों वर्ष पहले से मौजूद रहा है।
भारत में आने के बाद ही उन अंग्रेज़ों को वास्तव में गुरु परम्परा और शिक्षा का सही अर्थ मालुम हुआ था इसीलिए जब वर्ष 1746-47 में भारत की शिक्षा व्यवस्था से अच्छी प्रकार से परिचित हो गए तभी उन्होंने “दीक्षा” और शिक्षा शब्दों को प्रेरणा का माध्यम बनाकर “दिक्षण” शब्द को अपनी भाषा में ज्यों का त्यों लिख लिया और वह कहलाया “Diction” अर्थात “दिक्षण”। “दिक्षण” शब्द में मात्र लिखने की भाषा बदलकर अंग्रेजी हो गई लेकिन उसका मूल तो वही रहा।