वेदों में जो विद्या दी है वो बीजरूप मे है यानि सीधी भाषा मे कहे तो हिंट है हर विद्या के। महर्षि दयानंद कहते है कि वेद समस्त सत्य विद्याओं की पुस्तक है यानि दुनिया मे जो भी अन्वेषण होते उनका मूल वेद ही है। वेद में सृष्टि निर्माण से लेकर मानव उपयोगी समस्त जानकारी है जो अन्य पुस्तकों मे नहीं दिखतीं।
वेद की बीजरूपी विद्या के व्याख्या करने वाले ग्रंथों को ब्राह्मण ग्रंथ कहते है। इस्लामिक आक्रमण और महाभारत के कारण इस देश का बहुत विज्ञान लुप्त हो गया। यह वो ही देश है जिसमे परमाणु बमो का सर्वप्रथम अन्वेषण और उपयोग हुआ। वेद में हर प्रकार के व्यूह के हिंट दिये जिसे मनुष्य अपने पुरूषार्थ से सिद्ध करता है।
आईये जाने वेद के विज्ञान को मिसाईलों के संदर्भ में…
यां देवा अनुतिष्ठन्ति यस्या नास्ति विराधनम्। तयेन्द्रो हन्तु वृत्रहा वज्रेण त्रिषन्धिना।। अथर्ववेद 11/10/27
भावार्थ- शत्रुओं को जीतने की कामना करने वाले योद्धा जिस रणयज्ञ मे जिन शस्त्रास्त्रों की आहुति देते है और जिनके शस्त्रास्त्र असफल नहीं है अर्थात् जिनकी काट शत्रु पक्ष नही कर सकता उस आहुति से शत्रु का विदारण करने वाला राजा शत्रु का नाश करने वाला होता हुआ तीन संधियों वाले वज्र जो विद्युतास्त्र कहलाता है उसका निर्माण कर शत्रुओं को मार।
मिसाईल में तीन संधि होती है यानि ये आधुनिक गाइडेड मिसाईल है। इसमें मिसाईल गाइडेंस, इंजन, वारहेड क्रमशः तीन संधि होती है। अस्त्र भी उन्हें कहा जाता है जिन्हें फेककर लडाई की जाती है। इन अस्त्रों के प्रतिकार करने पर भयानक तबाही होती है। इन मिसाइलों को त्रिआयामी छोडा जा सकता है।
अयोमुखा: सूची मुखा अथा विकडक़तीमुखा।
क्रव्यादो वातरंहस आ सजन्त्वमित्रान्वज्रेण त्रिषन्धिना।। अथर्ववेद 11/10/3
त्रिषंधि वज्र से लोहे के टुकड़े, कीलें, अग्नि कण वायु की गति से निकलकर शत्रुओ को लगते है।
धूमाक्षी सं पततु कृधुकर्णी च क्रोशतु। त्रिसंधे सेनया जिते अरूणा सन्तु केतवः।। अथर्ववेद11/10/7
भावार्थ- त्रिषंधि अस्त्र को चलाने पर जो धुआं निकलता है वो शत्रु पक्ष की आंख बंद कर देता है और उसकी ध्वनि से कान बहरे हो जाते है जिससे शत्रुओं की सेना रूदन करती है कि उसे कुछ नहीं दिखाई दे रहा है और कान के पर्दे फट जाने से कुछ सुनाई भी नही देता। ऐसी स्थिति मे कर्तव्य विमूढ हो जाती है।
ये सभी प्रमाण भारत के ज्ञान की गाथा और ईश्वर प्रदत्त रचना की गाथा गा रहे है।