बचपन से हम एक पौराणिक कथा सुनते आ रहे हैं कि एक हिरणाकश्यप नाम के राक्षस के भाई हिरण्याक्ष ने हमारी इस पृथ्वी को किसी समुद्र में छिपा दिया था। जबकि सच तो ये है कि समुद्र तो इसी पृथिवी पर है और भला ये कैसे संभव हो सकता है।
इस प्रश्न को लेकर मैंने इंटरनेट पर कई बार खोज भी किया और जो जानकारी मुझे मिली वो मैं आप सब को बताता हूँ।
हिरणाकश्यप के भाई हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया था। फलस्वरूप भगवान विष्णु ने सूकर का रूप धारण करके हिरण्याक्ष का वध किया और पृथ्वी को पुनः उसके अपने स्थान पर स्थापित कर दिया।
इस बात को आज के युग में एक दंतकथा के रूप में लिया जाता है। लोगों का ऐसा मानना है कि ये सरासर गलत और मनगढंत कहानी है।
लेकिन नासा की एक खोज के अनुसार खगोल विज्ञान की दो टीमों ने ब्रह्मांड में अब तक खोजे गए पानी के सबसे बड़े और सबसे दूर के जलाशय की खोज की है। उस जलाशय का पानी, हमारी पृथ्वी के समुद्र के 140 खरब गुना पानी के बराबर है जो 12 बिलियन से अधिक प्रकाश-वर्ष दूर है। जाहिर सी बात है कि उस राक्षस ने पृथ्वी को इसी जलाशय में छुपाया होगा।
हमारे शास्त्रों में इसे “भवसागर” भी कहा जाता है। क्योंकि हिन्दू शास्त्र में भवसागर का वर्णन किया गया है।
जब मैंने इस खबर को पढ़ा तो मेरा भी भ्रम दूर हो गया। और अंत में मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहुँगा की जो इस ब्रह्मांड का रचयिता है, जिसकी मर्जी से ब्रह्मांड चलता है, उसकी शक्तियों की थाह लगाना एक तुच्छ मानव के वश की बात नहीं है। मानव तो अपनी आंखों से उनके विराट स्वरूप को भी नही देख सकता।
कुछ बेवकूफ या सेक्युलर जिन्हें ये लगता है कि हमारा देश और यहाँ की सभ्यता गवांर है। जिन्हें लगता है कि नासा ने कह दिया तो सही ही होगा। जिन्हें ये लगता है कि भारत की सभ्यता, भारत का धर्म और ज्ञान विज्ञान सबसे पीछे है उनके लिये मैं बता दूं कि सभ्यता, ज्ञान, विज्ञान, धर्म, सम्मान भारत से ही शुरू हुआ है।
अगर आपको इस पर भी सवाल करना है तो आप इतिहास खंगाल कर देखिये। जिन सभ्यताओं की मान कर आप अपने ही धर्म पर सवाल कर रहे हैं उनके देश मे जाकर देखिये। उनके भगवान तथा धर्म पर कोई सवाल नही करता बल्कि उन्होंने अपने धर्म का इतना प्रचार किया है कि मात्र 2000 साल में ही आज संसार मे सबसे ज्यादा ईसाई हैं।
और आप जैसे बेवकूफों को धर्मपरिवर्तन कराते हैं। और आप बेवकूफ हैं जो खुद अपने ही देश और धर्म पर सवाल करते हैं। अगर उनकी तरह आपके भी पूर्वज बंदर थे तो आप का सवाल करना तथा ईश्वर पर तर्क करना सर्वदा उचित है।
– साभार