राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पूरे देश में राजनीतिक गतिविधियां चरम पर हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी राजग (एनडीए) ने आदिवासी समाज की महिला द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी के तौर पर चुना है। दूसरी तरफ विपक्षी दलों ने तृणमूल कांग्रेस के 80 वर्षीय नेता श्री यशवंत सिन्हा को प्रत्याशी बनाया है। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ही अगली राष्ट्रपति होंगी, इस बात में शक की कोई गुंजाइश नहीं है। अव्वल बात तो यह है कि राष्ट्रपति चुनाव में राजग प्रत्याशी श्रीमती मुर्मू की ऐतिहासिक जीत होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का सदा से यही मानना रहा है कि राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के बीच बेहतर तालमेल होना चाहिए जिससे विकास की गौरवगाथा को और अधिक गति मिलती रहे।
विपक्ष के पास कहने के लिए इस समय सिर्फ एक ही मुद्दा है कि राष्ट्रपति ऐसा होना चाहिए जिसकी अपनी स्वतंत्र विचारधारा एवं सोच हो जो कठिन से कठिन परिस्थितियों में निर्णय ले सके। इस दृष्टि से देखा जाये तो श्री यशवंत सिन्हा देश के वरिष्ठ नेता भले ही रहे हों या अभी भी हैं किन्तु श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भी काबिलियत एवं कार्यशैली में श्री सिन्हा से किसी भी मामले में उन्नीस नहीं हैं। प्रशासनिक क्षमता उनमें कूट-कूट कर भरी है। 20 जून 1958 को जन्मी द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा में बीजद-भाजपा गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री रही हैं। वर्ष 2015 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल बनाया गया, छह वर्षों से अधिक समय तक वे इस पद पर रहीं। राज्यपाल रहते हुए एक महत्वपूर्ण बात यह रही कि उनका पूरा कार्यकाल विवादों से परे रहा और इसके अतिरिक्त उन्होंने झारखंड के लिए कुछ विशेष कार्य भी किये। यह सब लिखने का आशय मेरा इस बात से है कि श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भारत की योग्य राष्ट्रपति साबित होंगी।
राष्ट्रपति चुनाव में एक महत्वपूर्ण बात यह देखने को मिल रही है कि प्रधानमंत्री मोदी ‘सबका साथ – सबका विकास – सबका विश्वास और सबका प्रयास, के मंत्र को लगातार साबित करते जा रहे हैं। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना आदिवासी समाज के लिए नितांत गौरव की बात होगी। आदिवासी समाज को पहला राष्ट्रपति मिलेगा, यह और भी गौरव की बात होगी। राष्ट्रपति के रूप में वे पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के बाद दूसरी महिला होंगी। इससे पहले प्रधानमंत्री जी ने दलित समाज के नेता एवं बिहार के तत्कालीन राज्यपाल श्रीमान रामनाथ कोविंद जी को राजग की तरफ से राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया था। बात सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। मोदी जी की सरकार से पहले स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में जब सरकार बनी तो उस समय भी भाजपा अल्पसंख्यक समाज के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं मिसाइल मैन के रूप में सुप्रसिद्ध डाॅ. कलाम को राष्ट्रपति प्रत्याशी के रूप में चुना।
इससे यह साबित होता है कि देश में भाजपा ही एक मात्र ऐसी पार्टी है जो बिना किसी भेदभाव के सभी का समान रूप से विकास करती है। हिन्दुस्तान की राजनीति में किसी आदिवासी को राष्ट्रपति पद तक पहुंचाने का गौरव जायेगा तो वह भाजपा ही होगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राजग प्रत्याशी बनाये जाने से आदिवासी गौरव को नया आयाम मिलेगा।
राष्ट्रपति चुनाव में वोटों की दृष्टि से देखा जाये तो राजग बेहद अनुकूल स्थिति में है। इलैक्टोरल काॅलेज में संसद के 776 सदस्य (लोकसभा से 543 व राज्यसभा से 233 तथा राज्य विधानसभाओं के 4,809) सदस्य शामिल होते हैं। जरूरी बहुमत का आंकड़ा न होने के बावजूद (20,000 से कम वोट) मोदी सरकार सहज स्थिति में है। इस अंतराल को भरने के लिए तटस्थ दलों को भाजपा अपने पाले में कर सकती है। वैसे विपक्ष ने थोड़ा बड़ा दिल दिखाया होता तो राष्ट्रपति का चुनाव निर्विरोध हो सकता था। आजादी के बाद से अब तक 6वें राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी ही निर्विरोध चुने गये थे। निर्विरोध चुने जाने वाले वे एक मात्र राष्ट्रपति रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी एवं पूरा राजग इस बात का प्रयास कर रहा है कि द्रौपदी मुर्मू की जीत ऐतिहासिक हो और ऐतिहासिक जीत में शक की कोई गुंजाइश भी नहीं है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में जिस प्रकार राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी का चयन किया गया है उससे विपक्षी दलों के हौंसले पस्त हैं। उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर वे करें तो क्या? किन्तु विपक्ष की फितरत यही बन चुकी है कि विरोध के लिए विरोध करना ही है।
दरअसल, मोदी सरकार की आज पूरे विश्व में इस बात के लिए तारीफ हो रही है कि वे उसके चिंतन में समाज में अंत्योदय यानी अंतिम पायदान पर खड़ा व्यक्ति ही है। यही तो पंडित दीन दयाल उपाध्याय का भी सपना था। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री जी ने राष्ट्रपति प्रत्याशी के लिए एक सुयोग्य एवं शानदार प्रत्याशी का चयन कर ‘सबका साथ – सबका विकास’ के मंत्र को और अधिक चरितार्थ करने का कार्य किया है। निश्चित रूप से उनका यह निर्णय समाज को नयी दिशा और प्रेरणा देगा। वास्तव में देश को ऐसे ही निर्णयों की आवश्यकता है।
– हिमानी जैन