Skip to content
13 June 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • भाषा-साहित्य

पुराण श्रृंखला का भाग-1 | पुराणों को सबसे बड़ा आक्रमण बौद्ध काल में झेलना पड़ा

admin 14 July 2021
Ved Puran and Upnishada
Spread the love

पुराणों में देव कथाओं के साथ हमारा इतिहास भी वर्णित है, जिसके कारण इसे नष्ट कर दिया गया ताकि हिंदुओं और हिंदुस्तान पर शासन करना आसान हो जाए। बिना इतिहास के समाज की क्या दुर्गति होती है, यह आज भी हम देख रहे हैं।

भारतीय इतिहास लेखन की शैली पश्चिमी अखबारी इतिहास से भिन्न है। पुराण, रामायण और महाभारत हमारे इतिहास हैं।

पुराणों की रचना पराशर मुनी, उनके पुत्र वेद व्यास और उनके शिष्यों पैल, जैमिन, वैशम्पायन, सुमन्तमुनि और रोम हर्षण ने मिलकर की थी। उसके बाद शिष्यों की परंपरा ने शुद्ध वेद और पुराण को बौद्धकाल तक जिंदा रखा।

पुराणों को पहला सबसे बड़ा आक्रमण बौद्ध काल में झेलना पड़ा और उसमें अतिशयोक्ति और क्षेपक की भरमार कर उसे अश्लील रूप दे दिया गया। बौद्ध काल में तो ‘दशरथ जातक’ लिख कर रामायण को भी दूषित कर उस पर अश्लीलता आरोपित कर दिया गया।

‘दशरथ जातक’ में राम और सीता को दशरथ की संतान अर्थात भाई-बहन बताते हुए, उनका विवाह करा हिंदुओं के पूरे गौरव, संस्कार और संस्कृति को ही नष्ट करने का प्रयास किया गया।

बौद्ध के बाद शुंग और गुप्त काल में सनातन धर्म ग्रंथों का पुनः लेखन करा कर इसका उद्धार किया गया। मनु स्मृति इसी काल में संक्षिप्त रूप से पुनः लिखा गया। इसीलिए इस काल में वर्णाश्रम की कठोरता भी हमारे शास्त्रों का हिस्सा बन गयी।

बौद्धों द्वारा समाज को नष्ट करने के कारण इस काल में वर्णाश्रम व्यवस्था को कठोर किया गया, परंतु बौद्धों पर कोई भौतिक आघात नहीं किया गया। उल्टा गुप्त काल ने बौद्धों को नालंदा जैसा विश्वविद्यालय बनाकर दिया। हर्षवर्द्धन के राज्यकाल तक पुनः पुराणों का पाठ आरंभ हो चुका था।

मध्यकाल में तुर्क, अफगान, मंगोल, मुगलों आदि ने हिन्दुओं के ग्रंथों सहित मंदिरों और स्मारकों को नष्ट करने का एक खतरनाक दौर आरंभ किया।

बौद्ध जो भगवान बुद्ध के ज्ञान और ध्यान से निकल कर पुस्तक आधारित धर्म बन गये थे, नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों और ग्रंथों के नष्ट होने पर भारत से निकल कर दूसरे देशों में फैल गये, परंतु हिंदुओं के ब्राह्मण वर्ग ने श्रुति-स्मृति परंपरा के जरिए अपने धर्म ग्रंथों को बचाने का भरसक प्रयास किया, जिस कारण उन्हें तुर्कों से लेकर अंग्रेजी राज तक भयंकर विनाशलीला का सामना करना पड़ा। उनको मारकर जनेऊ तौलवाने का उदाहरण तो अकबर और औरंगजेब काल तक मिल जाता है।

पुराण श्रृंखला का भाग-2 | अथर्ववेद के मंत्रों में है पुराणों का स्पष्ट उल्लेख

मुगल के बाद अंग्रेजी राज आया, और उसने आर्य-द्रविड़ संघर्ष, ब्राह्मणवाद, जातीय विभाजन, मूल नागरिक जैसी अवधारणाओं की रचना कर न केवल हमारे पुराण, इतिहास, धर्म ग्रंथों को नष्ट किया, बल्कि भारत का ही एक ऐसा वर्ग तैयार कर दिया जो भारतीय इतिहास को नष्ट-भ्रष्ट कर भारत के इतिहास को मौर्य काल से आरंभ कर सिंधु घाटी के मुहाने पर खड़ा करने में जुट गया।

कुरीतियों के नाम पर जातिवाद के जरिए हिंदू समाज को बांटने का नंगा नाच जो अंग्रेजों ने आरंभ किया, अपनों ने भी सहित्य रच-रच कर इसे पत्थर की लकीर बना दिया। विश्वामित्र, वेदव्यास, विदुर, सत्यकाम जाबाल आदि के कर्मगत ब्राह्मण का उदाहरण स्वयं भारतीय भी भूल गये।

जिस आदि मनु ने विश्व की सबसे प्राचीन राजधानी अयोध्या की रचना की, वह गाली बना दिया गया, सरयू-गंगा-यमुना-सरस्वती नदियों के संगम पर जिस सनातन समाज साहित्य और इतिहास की रचना हुई, उसे सिंधु तट पर स्थापित कर दिया गया ताकि पश्चिम से आज आक्रमणकारियों के आक्रमण को न्यायसंगत ठहराया जा सके।

गंगी-जमुनी तहजीब जैसे जुमलों की रचना कर यमुना भी हमसे छीनकर मात्र 1400 साल पुराने मजहब को हस्तांतरित कर दिया गया। इसका तात्पर्य इतना ही था कि यमुना किनारे जिस संस्कृति और साहित्य की रचना की गई, स्वयं हिंदू ही उसे अविश्वास की नजरों से देखे, और आज इसका परिणाम दिख रहा है।

आर्य से अंग्रेज तक बाहर से आए की अवधारणा के जरिए यह साबित करने का प्रयास किया गया कि भारतीयों की अपनी न कभी कोई संस्कृति रही, न कभी कोई अपनी सभ्यता रही, और न अपना कभी कोई इतिहास ही रहा। यह मिली-जुली संस्कृति वाला लावारिस देश है, इसलिए इस पर सभी को शासन करने और सभी को इसको नोंचने-खसोटने का अधिकार है।

यह अवधारणा इतनी जोरदार थी कि मूर्धन्य भारतीय विद्वान भी इसके झांसे में आते चले गये। अपने पुराणों में वर्णित राजवंशों की जगह अंग्रेजों द्वारा थोपे सिकंदर के समकक्ष वाले मौर्य साम्राज्य से ही भारत का उद्भव उनके द्वारा रचित साहित्य में भी स्थापित किया जाने लगा।

रामायण, महाभारत और पुराणों को मिथक (माईथोलॉजी) कहने और स्थापित करने का जो चलन आरंभ हुआ, वह आज तक अमीष, देवदत्त जैसे भारतीय साहित्य रच-रच कर स्थापित करने में जुटे हुए हैं।

अगले भाग में बताऊंगा कि अथर्ववेद में कहां और किस श्लोक में पुराणों की चर्चा है। अर्थात अथर्वेद के समय पुराणों का लेखन आरंभ हो चुका था…

By Sandeep Deo

About The Author

admin

See author's posts

3,072

Related

Continue Reading

Previous: भारत-तिब्बत सहयोग मंच, प्रचार विभाग की वर्चुअल बैठक सम्पन्न हुई
Next: पुराण श्रृंखला का भाग-2 | अथर्ववेद के मंत्रों में है पुराणों का स्पष्ट उल्लेख

Related Stories

Indravijay An Old Book in Hindi Translation
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास

वेदों में भी इतिहास की भरमार है

admin 19 March 2025
Vidvaan Brahman
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष
  • शिक्षा-जगत
  • हिन्दू राष्ट्र

विद्वान ब्राह्मण एक फलदार वृक्ष के समान होता है

admin 19 June 2024
Kaaljayee Bharatiya Gyan Book in Hindi by Bhagwati Prakash Sharma
  • कला-संस्कृति
  • भाषा-साहित्य

हिन्दुओं के ज्ञान-विज्ञान का प्राचीन खजाना है ‘कालजयी भारतीय ज्ञान’

admin 12 May 2024

Trending News

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 1

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 2

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025
आसान है इस षडयंत्र को समझना Teasing to Girl 3

आसान है इस षडयंत्र को समझना

27 May 2025
नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह Nave Word Medal 4

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

26 May 2025
युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है? war-and-environment-in-hindi 5

युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

23 May 2025

Total Visitor

077969
Total views : 141999

Recent Posts

  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?
  • आसान है इस षडयंत्र को समझना
  • नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह
  • युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved