Skip to content
14 May 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • तीर्थ यात्रा
  • धर्मस्थल

‘सप्त बद्री धाम’ यात्रा की संपूर्ण जानकारी

admin 14 July 2023
BADRI NAATH DHAAM

बद्रीनाथ धाम को बद्री विशाल भी कहा जाता है।

Spread the love

संपूर्ण हिमालय पर्वत क्षेत्र देवभूमि के रूप में जाना जाता है। लेकिन, जिस प्रकार कश्मीर को धरती का स्वर्ग स्वर्ग कहा जाता है उसी प्रकार से उत्तराखण्ड के हिमालय क्षेत्र को इस धरती पर देवभूमि के रूप में माना जाता है। उत्तराखण्ड को सिर्फ इसलिए देवभूमि नहीं कहा जाता है कि यहां की पर्वत श्रंखलाएं आकर्षक, सुंदर और पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इसलिए, क्योंकि देवी-देवताओं का यहां साक्षात निवास है। जिनमें केदारनाथ धाम, हरिद्वार, ऋषिकेश, पवित्र यमुना नदी का उद्गम स्थल, माता गंगा का उद्गम स्थल, पवित्र नन्दा देवी पर्वत और मंदिर, जागेश्वर धाम, बागेश्वर धाम जैसे अन्य अनेकों और अनगिनत पवित्र तीर्थ यहां अनादिकाल से स्थापित हैं।

इन सबके अलावा यह भूमि जिस वजह से “देव भूमि” कहलाती है वह है भगवान विष्णु के सात प्रमुख धाम, यानी ‘सप्त बद्री धाम’। और इन ‘सप्त बद्री’ मंदिरों के नाम हैंः- 1. बद्रीनाथ धाम या बद्री विशाल  2. आदिबद्री  3. वृद्ध बद्री,  4. ध्यान बद्री,  5. अर्ध बद्री,  6. भविष्य बद्री और सातवां  7. योग-ध्यान बद्री मंदिर हैं।

इनमें से “बद्रीनाथ धाम” या “बद्री विशाल” भगवान विष्णु के उन चार प्रमुख धामें में से एक है जो उत्तराखंड में स्थित है। इस धाम के विषय में करीब-करीब हर कोई बहुत अच्छी तरह से जानते ही होंगे और अधिकतर लोगों ने यहां दर्शन भी किये ही होंगे। इसके अलावा जो अन्य छह बद्री धाम आते हैं उनमें –  ‘सप्त बद्री धाम’ मात्र उत्तराखण्ड के लिए ही नहीं बल्कि पृथ्वी पर वास करने वाले संपूर्ण सनातन वासियों के लिए सबसे प्रमुख तीर्थ है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हीं सप्त बद्री धामों में साक्षात भगवान विष्णु का वास अनादिकाल से रहा है।

यहां हम आपको ये भी बता दें कि इन सभी बद्री धामों की पौराणिक महिमा भी अलग-अलग है और इनकी स्थापना यहां मात्र सौ-चार सौ या हजार-दो हजार वर्ष पहले नहीं बल्कि युगों पहले साक्षात देवताओं के द्वारा ही की गई थी। लेकिन क्योंकि आजकल हम लोग सिर्फ उन्हीं मंदिरों और धार्मिक स्थानों तक जाना पसंद कते हैं जहां हमारे लिए जाना-आना, रहना या फिर घूमना-फिरना आसान होता है और फिर इन यात्राओं से हमारा बजट भी खराब नहीं होता। इसलिए इन धार्मिक महत्व के स्थानों की तरफ हम बहुत कम ही ध्यान देते हैं।

तो यहाँ हम भगवान विष्णु के ‘सप्त बद्री’ मंदिरों की इस संपूर्ण यात्रा की शुरूआत करते हैं, जिनमें से प्रथम और प्रमुख धाम ‘‘बद्रीनाथ धाम’’ से जिसे ‘‘बद्री विशाल’’ भी कहा जाता है। मुझे विश्वास है कि अगर आप लोग भी उत्तराखण्ड में स्थित बद्रीनाथ जी के दर्शनों के लिए जब कभी भी जायेंगे तो इन सभी बद्री धामों में भी जाकर दर्शन करेंगे और अपनी यात्रा को अवश्य ही सफल बनायेंगे।

तो यहां मैं यह भी बता दूं कि ‘‘बद्रीनाथ धाम’’ मंदिर के बारे में तो अधिकतर लोगों को जानकारियां है इसलिए यहां मैं मंदिर तक जाने-और आने से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी ही दूंगा।

सबसे पहले तो यहां हमें यह भी जान लेना चाहिए कि जो लोग यह समझते हैं कि चार धाम सिर्फ उत्तराखण्ड में ही हैं तो उन्हें यह भी जान लेना चाहिए कि उत्तराखण्ड के ये चार धाम ‘‘छोटा चार धाम’’ के नाम से जाने जाते हैं जिन्हें अभी मात्र कुछ वर्षों पहले ही यह नाम उत्तर भारतीय तीर्थ यात्रियों को आकर्षित करने के लिए दिया गया था। इन ‘‘छोटा चार धामों’’ में यमुनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ प्रमुख हैं। जबकि हमारे धर्मग्रंथों में जिन चार धामों का नाम प्रमुख रूप से आता है उनमें से मात्र यही एक बद्रीनाथ धाम है जो उत्तराखण्ड में स्थित है, इसके बाद दूसरे नाम आते हैं उनमें से द्वारकाशीध धाम का जो कि गुजरात में स्थित है, इसके बाद तीसरा है जगन्नाथ पुरी धाम जो कि उड़ीसा में है और चैथा नाम आता है रामेश्वरम धाम का जो कि तमिलनाडू में स्थित है।

तो अब बात करते हैं बद्रीनाथ धाम मंदिर की, जिसे बद्री विशाल भी कहा जाता है। यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के गढ़वान क्षेत्र में चमोली जिले की ऊंची पर्वत श्रृखलाओं के मध्य में अलकनंदा नदी के किनारे पर स्थित है। हमारे पुराणों में इस धाम की कई विशेषताएं बताई गई हैं। समुद्रतल से इस धाम की ऊंचाई करीब 3,133 मीटर यानी करीब 10,279 फीट है।

इसी बद्रीनाथ धाम मंदिर से लगभग 24 से 25 किलोमीटर के ऊपरी हिस्से में सतोपंथ नामक एक पवित्र स्थान भी है जहां से शुरू होकर दक्षिण में नंदप्रयाग तक फैली अलकनंदा नदी घाटी में भगवान विष्णु का प्रमुख निवास स्थान माना जाता है जो विशेष रूप से बद्री क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।

यहां हमें यह भी जान लेना चाहिए कि प्राचीनकाल से ही निचले और मैदानी क्षेत्रों से इन सभी बद्री मंदिरों तक पहुंचने के लिए जो भी मार्ग रहे हैं वे यहां के घने वनों से होकर ही इन मंदिरों तक जाते थे। आज भी ये वही मार्ग हैं जहां से हम जाया-आया करते हैं। पुराणों में इस वन को ‘‘बद्री-वन’’ कहा गया है, इसीलिए यहां भगवान विष्णु के जितने भी मंदिर हैं उन सभी के नाम के साथ एक विशेष पहचान के तौर पर ‘बद्री’ नाम जोड़ दिया गया ताकि संपूर्ण पृथ्वी पर यदि बद्रीनाथ जी के मंदिर की बात हो तो समझ लें कि इन्हीं मंदिरों की बात हो रही है।

भले ही आज से करीब 40 या 50 वर्ष पहले यहां तक पहुंचने के लिए कोई खास रास्ते या सड़कें नहीं हुआ करती थीं। लेकिन, आज यहां बद्रीनाथ जी के मंदिर के ठीक सामने तक पक्की सड़क बन चुकी है और उसका परिणाम ये है कि इस समय यहां आम श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ होने लगी है कि दर्शनों के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगने लगी है। जबकि 40 या 50 वर्ष पहले तक बहुत ही कम लोग यहां आया करते थे। और जो यहां आते भी थे उनमें से कई लोग या तो यहां के जंगलों में भटक कर गायब हो जाते थे या फिर अव्यवस्था और मौसम की मार को झेल नहीं पाते थे। इसलिए कई यात्री तो वापस भी नहीं जा पाते थे।

लेकिन, आज की स्थित ये है कि बद्रीनाथ जी का यह प्रमुख मंदिर सड़क और हवाई मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, इसलिए यहां दिन में ही नहीं बल्कि रात में भी यात्रा की जा सकती है। हालांकि, सर्दियों के मौसम में बर्फबारी बहुत अधिक होती है इसलिए नवंबर से अप्रैल-मई तक मंदिर के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिये जाते हैं। और फिर अप्रैल के अंत में या फिर मई की शुरुआत में पड़ने वाली वसंत पंचमी के दिन मंदिर के कपाट फिर से आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये जाते हैं। यानी करीब छह महीनों के लिए इस दौरान यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना बंद हो जाता है।

इसके अलावा यहां ये भी जान लेना चाहिए कि भगवान बद्री के अन्य जो छह मंदिर धाम हैं वे सभी यहां की दुर्गम पहाड़ियों और दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित हैं इसलिए उनमें से कुछ मंदिरों तक पहुंचने के लिए केवल कठिन रास्तों पर ट्रैकिंग यानी पैदल चल कर ही पहुंचा जा सकता है।

कैसे पहुंचे –

सबसे पहले तो ये जान लें कि आप देश के किसी भी भाग में रहते हैं आपको सबसे पहले उत्तराखण्ड राज्य के देहरादून या फिर हरिद्वार-ऋषिकेश में पहुंचना होता है। और क्योंकि इनमें से हरिद्वार-ऋषिकेश को चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार माना जात है इसलिए अधिकतर यात्री इसी मार्ग से इस यात्रा ककी शुरूआत करते हैं।

अगर आप हरिद्वार-ऋषिकेश पहुंचकर यहां से टैक्सी या फिर रोडवेज की बस लेना चाहते हैं तो उसके लिए ध्यान रखें कि ऋषिकेश के बजाय अच्छा होगा कि आप हरिद्वार से ही इसका इंतजाम कर लें, क्योंकि यहां इसकी सुविधा बहुत कम होती है। इसके अलावा यदि आप लोग अपनी निजी गाड़ियों से भी जाना चाहते हैं तो ध्यान रखें कि ऋषिकेश से बद्रीनाथ मंदिर की दूरी करीब 900 किलोमीटर है और इस दूरी को तय करने में करीब 10 घंटों का समय लग जाता है। इस बात का भी ध्यान रखें कि यहां ऋषिकेश के आगे का संपूर्ण मार्ग दूर्गम पहाड़ी रास्तों से होकर ही जाता है इसलिए रात को यहां न करें और सुबह जितना जल्दी हो सके निकल जाना चाहिए।

बात करें ऋषिकेश से बद्रीनाथ धाम तक के खर्च की तो इसमें रोडवेज बस का सबसे कम किराया प्रति सवारी का लगभग 900 रुपये तक लग जाता है। और अगर आप यहां निजी बसों से जाते हैं तो उसके लिए कम से कम 950 से 1000 रुपये तक देना पड़ सकता है। और अगर आप यहां से टैक्सी लेते हैं तो उसके लिए यहां ध्यान रखें कि मौसम और यात्रा की समयावधि के अनुसार ही इसका किराया कम या अधिक होता रहता है इसलिए इसमें एक निश्चित अनुमान नहीं लगाया जा सकता। और यहाँ से आगे चलने से पहले इस बात का भी ध्यान रखें कि क्या आप यहाँ के चार धामों की यात्रा करेंगे या मात्र बद्रीनाथ धाम के ही दर्शन करेंगे या फिर सप्त बद्री धामों की भी यात्रा  करेंगे। क्योंकि उसी के अनुसार आपको यहाँ टैक्सी का किराया तय करना होता है।

तो इसी श्रंखला के अगले भागों में मैं अन्य छह बद्री धामों की चर्चा करूँगा, जिनके नाम हैं  –  2. आदिबद्री  3. वृद्ध बद्री,  4. ध्यान बद्री,  5. अर्ध बद्री,  6. भविष्य बद्री और सातवां  7. योग-ध्यान बद्री।

– अजय चौहान

About The Author

admin

See author's posts

640

Related

Continue Reading

Previous: हमें हिन्दुओं के हिंदुत्व को जागृत करना है राजनीति को नहीं: संदीप देव
Next: Water On Earth: जल की उत्पत्ति कब और कैसे हुई? क्या कहता है विज्ञान और सनातन

Related Stories

Mahakal Corridor Ujjain
  • इतिहास
  • तीर्थ यात्रा
  • विशेष

उज्जैन का पौराणिक ‘रूद्र सरोवर’ आज किस दशा में है

admin 26 February 2025
shankracharya ji
  • अध्यात्म
  • धर्मस्थल
  • विशेष
  • श्रद्धा-भक्ति

शंकराचार्य जी चार धाम शीतकालीन यात्रा में होंगे सम्मिलित

admin 3 December 2024
JOGULAMBA SHAKTIPEETH TEMPLE
  • तीर्थ यात्रा
  • धर्मस्थल
  • विशेष

जोगुलम्बा शक्तिपीठ मंदिर: कब जायें, कैसे जायें, कहां ठहरें?

admin 25 November 2024

Trending News

कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है? What does Manu Smriti say about the names of girls 1

कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है?

9 May 2025
श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है? Harivansh Puran 2

श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है?

20 April 2025
कोई राजनीतिक दल गाय के पक्ष में नहीं, अब ये स्पष्ट हो गया है  ham vah hain jinakee pahachaan gaatr (shareer) se nahin apitu gotr (gorakshaavrat) se hai 3

कोई राजनीतिक दल गाय के पक्ष में नहीं, अब ये स्पष्ट हो गया है 

16 April 2025
‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़? Masterg 4

‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़?

13 April 2025
हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है ham vah hain jinakee pahachaan gaatr (shareer) se nahin apitu gotr (gorakshaavrat) se hai 5

हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है

30 March 2025

Total Visitor

077431
Total views : 140695

Recent Posts

  • कन्या के नामकरण को लेकर मनुस्मृति क्या कहती है?
  • श्रीहरिवंशपुराण में क्या लिखा है?
  • कोई राजनीतिक दल गाय के पक्ष में नहीं, अब ये स्पष्ट हो गया है 
  • ‘MAAsterG’: जानिए क्या है मिशन 800 करोड़?
  • हम वह हैं जिनकी पहचान गात्र (शरीर) से नहीं अपितु गोत्र (गोरक्षाव्रत) से है

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved