अजय सिंह चौहान || पौराणिक युग की वह घटना जिसके अनुसार भगवान शिव ने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था। लेकिन, बाद में गणेश जी को जीवन दान देने के लिए उनके धड़ पर सिर को फिर से जोड़ दिया। हालांकि, वह सिर एक हाथी के बच्चे का था जिसे आज हम सब गणेश जी के नाम से जानते और पूजते हैं। और वर्तमान में भी कुछ ऐसा ही हुआ है जिसमें इजरायली डाॅक्टरों ने हमें उस पौराणिक युग की घटना की याद दिला दी है।
दरअसल, हाल ही में इजरायली डाॅक्टरों ने ठीक उसी पौराणिक घटना की भांति एक चमत्कार करके यह साबित कर दिया है कि भारत की अति प्राचीन, पौराणिक घटना कोई चमत्कार नहीं बल्कि एक चिकित्सा विज्ञान से जुड़ी तथ्यात्मक और सत्य घटना थी जो भगवान गणेश जी के साथ घटित हुई थी। ठीक उसी प्रकार की एक घटना हाल ही में इजराइल में भी घटित हुई।
डाॅक्टरों के अनुसार, इस घटना में सुलेमान हसन नामक एक बालक का सिर गर्दन के अंदरूनी बेस से लगभग पूरी तरह से अलग हो गया था। जबकि इजरायली डाॅक्टरों ने अपने चमत्कारी इलाज के माध्यम से उस बच्चे की गर्दन को जोड़ने के बाद उसे एकदम स्वस्थ करके साबित कर दिया है कि पौराणिक युग की वह भारतीय घटना कोई दैविय चमत्कार नहीं बल्कि एक सफल चिकित्सक ऑपरेशन से हुई थी। डाॅक्टरों का कहना है कि वयस्कों में इस प्रकार की चोट बहुत दुर्लभ होती है, जबकि बच्चों में तो यह और भी अधिक दुर्लभ है।
घटना के अनुसार, वेस्ट बैंक का रहने वाला एक फिलिस्तीनी बच्चा जिसका नाम सुलेमान हसन है उसे आपात स्थिति में हवाई मार्ग से इजराइल के ईन केरेम के ‘हाडासा अस्पताल’ की ट्राॅमा यूनिट में लाया गया। हाडासा अस्पताल के डाॅक्टरों ने जांच के बाद पाया कि बच्चे की खोपड़ी के पीछे का आधार भाग जो धड़ को पकड़ने वाले स्नायुबंधन होते हैं वे गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गये थे और उसकी खोपड़ी को जोड़ने वाली रीढ़ की हड्डी का वह प्रमुख भाग भी अलग हो गया था।
ऐसी घटनाएं संपूर्ण दुनिया में बहुत ही कम देखने को मिलती हैं। मेडिकल भाषा में इसे आमतौर पर बाइलैटरल अटलांटो आक्सिपटिल ज्वाॅइंट डिस्लोकेशन (Bilateral Atlanto Occipital Joint Dislocation) के रूप में जाना जाता है। यदि इसे हम साधारण भाषा में कहें तो बालक की गर्दन का आंतरिक भाग कट चुका था। यानी यह ऐसी स्थिति थी जब सिर को स्पाइनल काॅर्ड यानी रीढ़ के टाॅप वर्टिब्रे से जोड़ने वाली मांसपेशियां जोर का झटका लगने पर फट चुकी थीं।
डॉक्टरों का कहना है कि हमारे लिये यह सर्जरी इसलिए भी सफल रही क्योंकि सड़क हादसे में सुलेमान की मुख्य नसों को नुकसान नहीं हो पाया था। जिसके कारण से उसके दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन बना रहा। यदि ऐसा नहीं होता तो वह ब्रेन डेड हो सकता था और उसकी मौके पर ही मौत हो जाती। डाॅक्टों का कहना है कि ‘‘इस सर्जरी के दौरान उन्होंने सुलेमान के सिर को रीढ़ की हड्डी से जोड़ने के लिए राॅड, स्क्रू, प्लेट्स और बोन ग्राफ्ट्स आदि का इस्तेमाल किया है। बच्चे को बचाने में हमारी क्षमता, हमारा ज्ञान और ऑपरेटिंग रूम में उपलब्ध सबसे नवीन तकनीकी के कारण संभव हुई।”
इजराइल से प्रकाशित होने वाले ‘द टाइम्स ऑफ इजरायल’’ की रिपोर्ट के अनुसार सुलेमान हसन के साथ यह घटना तब हुई जब वह साइकिल चला रहा था और उसकी टक्कर एक कार हो गई और इस घटना में उसकी रीढ़ की हड्डी के उपरी भाग से उसका सर या धड़ अलग हो गया। यानी गर्दन और धड़ दोनों अंदरूनी तौर पर अलग हो गये थे।
‘द टाइम्स ऑफ इजरायल’’ के अनुसार आर्थोपेडिक विशेषज्ञ डाॅ. ओहद इनाव ने अपनी एक विशेष टीम के साथ मिलकर मरीज का ऑपरेशन शुरू कर दिया और घंटों की मेहनत के बाद इसमें वे सफल हो गये। डाॅक्टरों का कहना है कि ‘‘हम सब को मालुम था कि इसमें हमें करीब-करीब 40 से 50 प्रतिशत ही सफलता मिलने की संभावना थी, फिर भी हमने इसमें मेहनत की, क्योंकि यह कोई चुनौति नहीं बल्कि इसमें हमारे लिए उम्मीद के विपरित वाली स्थिति और जटिलता थी।’’
‘द टाइम्स ऑफ इजरायल’’ के अनुसार यह घटना जून महीने के प्रथम सप्ताह की है लेकिन डाॅक्टरों ने जुलाई तक इसके नतीजे को इसलिए सार्वजनिक नहीं किया क्योंकि वे लड़के को किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से दूर रखना चाहते थे, इसलिए इस खबर को तभी उजागर किया जब हसन को अस्पताल से छुट्टी दी जानी थी। अस्पताल ने कहा है कि हम उसके स्वस्थ पर नजर रख रहे हैं फिलहाल कुछ समय तक उसे फिजियोथेरेपी दी जाएगी। जिसके बाद ही वो सिर और गर्दन को घुमा सकेगा।
डाॅटरों का कहना है कि बच्चे में फिलहाल कोई मोटर डिसफंक्शन या न्यूरोलाॅजिकल कमी नहीं है और वह सामान्य रूप से काम कर रहा है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि इतने लंबे इलाज और आराम के बाद अब वह बिना किसी सहारे के चल पा रहा है। डाॅक्टरों के साथ दिख रहे इस बच्चे की एक तस्वीर मीडिया और सोशल मीडिया पर दुनियाभर में खुब वायरल हो रही है।
बच्चों और किशोरों के साथ होने वाली दुर्घटना और लगने वाली चोट पर हुए अध्ययन में पाया गया है कि करीब 55 प्रतिशत प्रारंभिक चोटीलों में से अस्पताल ले जाने या सर्जरी के दौरान ठीक नहीं हो पाते हैं। जबकि हसन के मामले में यह भी एक चमत्कार ही कहा जा सकता है कि उसकी यह चोट उन सबसे अलग और संभवतः सबसे बड़ी भी थी। अस्पताल द्वारा दिये गये बयान में यह भी बताया गया है कि हसन के पिता ने सर्जरी शुरू होने से उसके ठीक होने के दौरान उसका साथ नहीं छोड़ा।
सचमुच यह एक दर्दनाक घटना थी लेकिन, इसका चिकित्सका उपचार भी उतना ही फलीभूत हुआ जितना कि हमारी उस पौराणिक युग की उस घटना में हुआ था जिसमें गणेश जी का सिर धड़ से अलग होने के बाद भी जोड़ दिया गया था। इससे यह साबित होता है कि हमारी चिकित्सा पद्धति आज से नहीं बल्कि युगों से उन्नत रही है।