अजय सिंह चौहान || मध्य प्रदेश के खंडवा शहर की दक्षिण-पश्चिमी दिशा में स्थित माता तुलजा भवानी (Tulja Bhawani Mandir Khandwa MP) का एक ऐसा शक्तिपीठ मंदिर है जो संपूर्ण भारतवर्ष में देवी माता के शक्तिपीठों में से एक माना गया है। मंदिर में विराजित तुलजा भवानी माता की प्रतिमा के विषय में माना जाता है कि यह प्रतिमा स्वयं ही इस स्थान पर प्रकट हुई थी, इसलिए यह एक स्वयंभू प्रतिमा है। अधिकतर लोगों का मानना है कि यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है।
इस मंदिर के शक्तिपीठ मंदिर होने का जो सबसे खास और सबसे बड़ा प्रमाण मिलता है वह है मंदिर के गर्भगृह में माता की प्रतिमा के ठीक नीचे की शीला पर तांत्रिक महत्व की चैसठ योगिनी की प्रतिमाओं का होना। इससे भी यह प्रमाणित होता है कि यह मंदिर एक शक्तिपीठ है। जबकि कुछ लोग इसे एक सिद्धपीठ मंदिर मानते हैं।
पौराणिक साक्ष्यों में मंदिर –
इस मंदिर के बारे में कुछ ऐसी पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हैं जिनसे यह प्रमाणित होता है कि यह मंदिर हजारों वर्ष पहले यानी त्रेता युग और द्वापर युग में भी मौजूद था और भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान इस मंदिर में पूजा-पाठ भी की थी।
इसके अलावा रामायण और महाभारत जैसे महान ग्रंथों में जिस खांडव वन के बारे में वर्णन मिलता है वह खांडव वन भी यही क्षेत्र माना गया है। और इसी खांडव वन के नाम पर इस क्षेत्र को खंडवा नाम दिया गया है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम ने इन्हीं खांडव वनों में अपने वनवास के दौरान समय बिताया था और इसी शक्तिस्थल पर लगातार 9 दिनों के लिए पूजा-अर्चना कर के लंका पर चढ़ाई से पूर्व माता से दिव्य अस्त्र-शस्त्र प्राप्त किए थे।
जबकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि माता भवानी ने खरदूषण के आतंक को खत्म करने के लिए भगवान श्रीराम को कुछ विशेष और दिव्य अस्त्र-शस्त्र वरदान में दिए थे।
किंवदंतियों में भी मंदिर का महत्व –
इसी प्रकार की अनेकों किंवदंतियों और पौराणिक साक्ष्यों से यह ज्ञात होता है कि यह मंदिर त्रेतायुग के रामायण काल और द्वापर युग के महाभारत जैसे युद्धों का भी साक्षी रहा है।
और यदि हम आधुनिक इतिहास की बात करें तो उसमें भी महान राजा छत्रपति शिवाजी महाराज की माता जीजाबाई भी समय-समय पर भवानी माता की पूजा-आराधना करने यहां आया करतीं थी। उस दौर में यह एक भव्य और विशाल आकार वाला मंदिर हुआ करता था तथा धन-धान्य से संपन्न हुआ करता था।
मुगल शासनकाल के दौरान इस मंदिर में कई बार लूटपाट की गई और इसके मंदिर की मुख्य संरचना को भी बार-बार नष्ट किया गया था।
खंडवा जिले की धार्मिक एवं पुरातात्विक धरोहरों में माता तुलजा भवानी (Tulja Bhawani Mandir Khandwa MP) का यह मंदिर सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भवानी माता साक्षात सिद्धीदात्री के रूप में विराजित हैं। अष्टभुजी से बनी माता की यह प्रतिमा सिंह पर सवार है जो राक्षसों का वध कर रही हैं। लेकिन, प्रतिदिन किये जाने वाले माता के विशेष श्रृंगार के कारण श्रद्धालुओं को माता का यह पूर्ण स्वरूप साक्षात रूप से दिखाई नहीं देता है।
तुलजा माता की मान्यता –
मान्यता है कि श्री तुलजा भवानी माता के दर्शन करने के बाद यहां आने वाले श्रद्धालुओं को अपने दुर्भाग्य से मुक्ति मिल जाती है और उनके मन से बुरे विचार भी समाप्त हो जाते हैं।
मंदिर में प्रवेश करते ही दाहिनी ओर गणेश जी की प्रतिमा के दर्शन होते हैं। बायीं ओर देवी अन्नपूर्णा और लक्ष्मी-नारायण के दर्शन होते हैं। इसके अलावा सिस कटे भैरव जी के दर्शन भी इसी मंदिर में हो जाते हैं।
मंदिर की संरचना –
मंदिर के गर्भगृह में आकर्षक नक्काशी का काम किया गया है जिसमें चांदी का भरपूर प्रयोग देखने को मिलता है। जबकि माता का मुकुट और छत्र भी शुद्ध चाँदी से बने हुए हैं।
देवास वाली तुलजा माता शक्तिपीठ की तरह ही इस मंदिर में भी भवानी माता की यह प्रतिमा भी दिन में तीन बार अलग-अलग रूप बदलती है, जिसमें सुबह के समय बाल्यवस्था, दोपहर के समय युवावस्था और शाम के समय वृद्धावस्था का रूप होता है।
मंदिर में उत्सव और पर्व –
चैत्र और अश्विन की नवरात्र के अवसर पर लगातार 9 दिनों तक यहां आस-पास के लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। जिसके कारण मंदिर क्षेत्र का माहौल एक विशाल मेले में बदल जाता है।
नवरात्र के विशेष पर्व के दौरान अष्टमी और नवमीं का पर्व बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है। साथ ही प्रतिदिन मां शक्ति की पूजा अर्चना के लिए पारंपरिक गरबा उत्सव का भी आयोजन किया जाता है।
माता तुलजा भवानी का यह अति प्राचीनकाल का मंदिर इस सम्पूर्ण निमाड़ क्षेत्र की आस्था का एक सबसे प्रमुख केन्द्र है। इस वर्तमान मंदिर संरचना का जिर्णोद्वार आज से लगभग पचपन वर्ष पूर्व कुछ दानकर्ताओं के सहयोग से किया गया था।
मंदिर संरचना –
लगभग डेढ़ एकड़ क्षेत्र में फैले मंदिर परिसर में आकर्षक सजावट देखने को मिलती है। मंदिर के ठीक सामने शंख की आकृति में बने दीप स्तंभ पर 108 दीपों को नवरात्र तथा अन्य विशेष अवसरों पर प्रज्जवलित किया जाता है।
इसके अलावा मंदिर में प्रयोग में लाये जाने वाले पानी के भंडारण टैंक को भी विशाल शंख का आकार देकर एक अनोखा प्रयोग किया गया है। जिर्णोद्वार के रूप में जहां मंदिर को आधुनिक रूप दिया गया है वहीं, इसके धार्मिक महत्व और परंपरागत तथा महत्वपूर्ण प्रतिक चिन्हों को भी इसमें बहुत ही रोचक तरीके से दर्शाया गया है।
मंदिर की चार-दिवारी के तौर पर इसमें आकर्षक और छोटे-बड़े कई सारे कलश और शंखों का निर्माण करके इस संरचना को सबसे अलग बनाया गया है। इसके अलावा मंदिर के प्रवेश द्वार का स्तंभ शंख की आकृति लिए हुए है, जो अपने आप में विशेष है।
अन्य मंदिर –
भवानी माता के इस मंदिर के पास ही श्रीराम मंदिर, तुलजेश्वर हनुमान मंदिर और तुलजेश्वर महादेव मंदिर भी हैं। इन मंदिरों में स्थापित प्रतिमाएं भी अत्यंत दिव्य और दर्शनीय हैं।
यदि आप भी मध्य प्रदेश के खंडवा शहर में स्थित भवानी माता के इस मंदिर में आकर बच्चों एवं बुजुर्गों के साथ माता के दर्शन करना चाहते हैं ता उसके लिए यहां का सबसे अच्छा समय सितंबर से मार्च के बीच का हो सकता है।
यहां बोले जाने वाली स्थानीय बोली मालवी, निमाड़ी और हिन्दी भाषा में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है इसलिए दूर-दराज के क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए यहां भाषा और खान-पान की कोई विशेष समस्या या परेशानी नहीं होती।
कैसे पहुंचे –
खंडवा के बस अड्डे से इस मंदिर की दूरी लगभग 2 किलोमीटर है। जबकि रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी लगभग ढाई किलोमीटर है।
यहां पहुंचने के लिए सड़क और रेल मार्ग से देश के किसी भी भाग से आसानी से आया जा सकता है। खंडवा मध्य एवं पश्चिम रेलवे का एक प्रमुख स्टेशन है, इसलिए भारत के किसी भी भाग से यहाँ पहुँचने के लिए कई ट्रेनें उपलब्ध है।
इसके अलावा यहां का सबसे नजदिकी हवाई अड्डा यहां से करीब 140 किलोमीटर की दूरी पर देवी अहिल्या एयरपोर्ट इंदौर में है और दूसरा हवाई अड्डा यहां से 175 किमी दूर भोपाल में है।