हस्ताक्षर (दस्तखत/ सिग्नेचर) किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व का संपूर्ण आइना होता है अतः व्यक्ति के हस्ताक्षर में उसके व्यक्तित्व की सभी बातें पूर्ण रूप से दिखाई देती है। इस प्रकार हस्ताक्षर एक दर्पण है जिसमें व्यक्तित्व की परछाई स्पष्ट रूप से झलकती है।
हर व्यक्ति की लिखावट के अनुसार उसके हस्ताक्षर भी बहुत कुछ बताते हैं। जिन लोगों के हस्ताक्षर के अक्षर ऊपर की तरफ जाते हैं, उनका स्वभाव महत्वाकांक्षी तथा उत्साही होता है। यह व्यक्ति सकारात्मक दृष्टि रखने वाले होते हैं। जिनके हस्ताक्षर सीधी लाइन पर जाते हैं, ऐसे व्यक्ति हर काम सुनियोजित रूप से करते हैं। यह व्यक्ति परिपक्व और जल्दी फैसला लेने वाले होते हैं।
लिखावट व्यक्तित्व का दर्पण होती है। इससे हम व्यक्ति का रहन-सहन, व्यवहार, विचारधारा आदि जान सकते हैं क्योंकि लिखावट अनजाने में की गई अभिव्यक्ति होती है। समय के साथ-साथ जैसे-जैसे व्यक्ति के विचार, भावनाएं, क्रिया कलाप आदि परिवर्तित होते जाते हैं, उसकी लिखावट भी अपना रूप बदलती जाती है। किंतु अधिक बार लिखावट बदलना उसकी मनःस्थिति के लिए अच्छा नहीं माना जाता। लिखावट सब कुछ बताती है। इसके कुछ विशेष गुण हैं: उतार-चढ़ाव, प्रकार, हाशिया, दबाव, गति, शब्दों और पंक्तियों के बीच दूरी आदि।
हमारे मन एवं मस्तिष्क में सोच, विचार, स्वभाव, व्यक्तित्व, अंतःकरण, मित्रता, शत्रुता, दुख, सुख, संयम, परिश्रम की मिली-जुली स्थितियां निर्मित होती रहती हैं, जिनकी अभिव्यक्ति हमारे बाह्य शारीरिक अंगों से प्रदर्शित क्रिया से पता चलती है। हस्ताक्षर भी मस्तिष्क के आदेश से ही अंगुलियों द्वारा संपादित होता है। इस वजह से इस माध्यम से व्यक्ति की मनोवृत्ति का पता लगाया जा सकता है।
जिस प्रकार संसार में किन्हीं दो व्यक्तियों के हाथ की रेखाएं एक-सी नहीं होतीं, उसी प्रकार किन्हीं दो व्यक्तियों के हस्ताक्षर भी एक-से नहीं हो सकते। कोई अक्षरों पर सीधी लाइन खींचता है तो कोई बिना लाइन के ही अक्षर लिखता चला जाता है। किसी के अक्षरों पर टूटती हुई लाईन बढ़ती चली जाती है तो किसी के अक्षरों पर लहरियेदार पंक्ति बनती चली जाती है।
विश्व के सभी व्यक्तियों के अंगूठे भिन्न-भिन्न तरह के होते हैं। जितने प्रकार के या जितने लोग हैं, उतने ही अंगूठे हैं। यही कारण है कि प्राचीन काल से अभी तक प्रमाण के लिए अंगूठे का छाप ही लिया जाता रहा है। संभावनाओं की दृष्टि से इन अंगूठों पर शोध करने की संभावनाएं असीमित हो सकती है। किन्तु पतली कैपिलरीज रेखाओं को ध्यान से देखा जाए, तो अंगूठे में बनने वाले चिन्ह शंख, चक्र या सीपी ही होते हैं। इन मुख्य चिह्नों की बनावट विभिन्न हाथों में भिन्न-भिन्न प्रकार की होती है।
इस कारण ही एक व्यक्ति के अंगूठे की छाप देखकर यह तय करना निश्चित होता है कि यह किस अंगूठे का चिह्न है, किन्तु केवल अंगूठे के चिह्न को देख कर ही उसके संपूर्ण चरित्र को उद्घोषित करना बहुत ही कठिन काम है। जब पूरी हथेली के चिह्नों और रेखाओं से ही जीवन में घटित होने वाली संपूर्ण घटनाओं की जानकारी प्राप्त कर पाना संभव नहीं है, तो सिर्फ अंगूठे से ही कितना कुछ बताया जा पाएगा, यह सोंचने वाली बात हो सकती है।
हस्ताक्षर बनाने में भी अंगूठे की ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अन्य कई उंगलियों का सहयोग भी प्राप्त करना होता है। किसी व्यक्ति का हस्ताक्षर भी दूसरे व्यक्ति से भिन्न ही होता है। किसी आॅफिस या बैंक में व्यक्ति से अधिक महत्वपूर्ण उसका हस्ताक्षर ही होता है। हस्ताक्षर के विशेषज्ञ किसी के मात्र हस्ताक्षर को देख कर ही उसके चरित्र का विश्लेषण करने का दावा करते हैं। जैसे- व्यक्ति कल्पनाशील है या व्यावहारिक? यदि कल्पनाशील है, तो उसमें सृजनात्मक शक्ति है या नहीं? व्यावहारिक है, तो उसमें संगठनात्मक शक्ति है या नहीं? वह व्यक्ति महत्वपूर्ण है या उसके कार्यक्रम? प्रारंभ से अंत तक विचारों का तालमेल है या बीच में कहीं भटकाव है, आदि तथ्यों पर प्रकाश डालने के लिए, हो सकता है, किसी व्यक्ति का मात्र हस्ताक्षर ही काफी होता है, किन्तु केवल हस्ताक्षर से ही व्यक्ति के दशाकाल की चर्चा करना, किस वर्ष किस प्रकार की घटना घटेगी, किस समय धन की प्राप्ति होगी, संपत्ति की प्राप्ति होगी, किसी समस्या का अंत होगा, इन सब बातों की चर्चा कर पाना मुश्किल ही नहीं असंभव भी है।
जीवन के बहुआयामी पहलू और व्यक्ति की सभी विशेषताओं पर प्रकाश डालना किसी हस्ताक्षर से संभव नहीं हो सकता। हस्ताक्षर विज्ञान की सीमाएं बहुत सीमित हैं। हस्ताक्षर विज्ञान से संबंधित किसी पुस्तक को पढ़ें, तो यह ज्ञात होगा कि इसके अद्यतन विकास के बावजूद किसी भी व्यक्ति के हस्ताक्षर के फल को लिखने के लिए कुछ पंक्तियां ही पर्याप्त होंगी। व्यक्ति के हस्ताक्षर उसके अन्तर्वाह्य का सजीव प्रतिबिम्ब है, कागज पर अंकित उसका व्यक्तित्व है, जो चिरस्थाई है, अमिट है और अपने आप में उसके जीवन का सम्पूर्ण इतिवृत्त समेटे हुए है।
हस्ताक्षर (सिग्नेचर) विज्ञान के अनुसार हर इंसान की लिखावट उसका आइना होती है। लिखावट में अक्षरों की बनावट और लिखने का तरीका आपकी सोच विचार, चरित्र और व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ बताता है। हर व्यक्ति की लिखावट के अनुसार उसके हस्ताक्षर भी बहुत कुछ बताते हैं।
आइए जाने व्यक्ति के हस्ताक्षर से उसके स्वभाव के बारे में –
– जो लोग हस्ताक्षर का पहला अक्षर बड़ा लिखते हैं वे विलक्षण प्रतिभा के धनी होते हैं। ऐसे लोग किसी भी कार्य को अपने ही अलग अंदाज से पूरा करते हैं। पहला अक्षर बड़ा बनाने के बाद अन्य अक्षर छोटे-छोटे और सुंदर दिखाई देते हों तो व्यक्ति धीरे-धीरे किसी खास मुकाम पर पहुंच जाता है। ऐसे लोगों को जीवन में सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं।
– कुछ लोग हस्ताक्षर के नीचे दो लाइन खींचते हैं। जो ऐसे हस्ताक्षर करते हैं उनमें असुरक्षा की भावना अधिक होती है। ऐसे लोग किसी भी कार्य में सफलता को लेकर संशय में रहते हैं। खर्च करने में इन्हें काफी बुरा महसूस होता है अर्थात् ये लोग कंजूस भी हो सकते हैं।
– जिस व्यक्ति के हस्ताक्षर में अक्षर नीचे से ऊपर की ओर जाते हैं तो वह ईश्वर पर आस्था रखने वाला व आशावादी होता है।
– ऊपर से नीचे की ओर हस्ताक्षर करने वाले नकारात्मक विचारों वाले एवं अव्यावहारिक होते हैं। इनकी मित्रता कम लोगों से रहती है।
– सरल रेखा में हस्ताक्षर करने वाले सरल स्वभाव और साफ दिल के रहते हैं, लेकिन इनका स्वभाव तार्किक रहता है।
– जिनके हस्ताक्षर नीचे की तरफ मुड़ते हैं, ऐसे व्यक्तियों में कुछ भावनात्मक समस्या होती है तथा इनमें आत्मविश्वास और उत्साह की कमी होती है। ऐसे व्यक्ति जीवन के प्रति नकारात्मक नजरिया रखते हैं।
लिखावट से भी व्यक्ति का स्वभाव पहचाना जा सकता है। बड़े अक्षरवाले व्यक्ति काफी उत्साहित, सृजनशील तथा बातें करने में माहिर होते हैं। छोटे अक्षर लिखने वाले व्यक्ति बुद्धिजीवी, आदर्शवादी, अपना काम पूरा ध्यान केंद्रित करके पूरा करने वाले होते हैं।
– अंत में डाॅट या डेश लगाने वाले व्यक्ति डरपोक, शंकालु प्रवृत्ति के होते हैं।
– पेन पर जोर देकर लिखने वाले भावुक, उत्तेजक, हठी और स्पष्टवादी होते हैं।
– बिना पेन उठाए एक ही बार में पूरा शब्द लिखने वाले रहस्यवादी, गुप्त प्रवृत्ति एवं वाद-विवादकर्ता होते हैं।
– वहीं जो लोग बुरी तरह से जल्दी से हस्ताक्षर करते हैं जो पढने में भी न आये वे लोग जीवन में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करते हैं। ऐसे लोग सुखी जीवन नहीं जी पाते हैं। हालांकि ऐसे लोगों में कामयाब होने की चाहत बहुत अधिक होती है और इसके लिए वे श्रम भी करते हैं। ये लोग किसी को धोखा भी दे सकते हैं।
– जिन लोगों के हस्ताक्षर एक जैसे लयबद्ध नहीं दिखाई देते हैं वे मानसिक रूप से अस्थिर होते हैं। इन्हें मानसिक कार्यों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीँ, जिन लोगों के हस्ताक्षर सामान्य रूप से कटे हुए दिखाई देते हैं वे नकारात्मक विचारों वाले होते हैं। इन्हें किसी भी कार्य में असफलता पहले नजर आती है।
– अवरोधक चिह्न लगाने वाले व्यक्ति कुंठाग्रस्त एवं आलसी प्रवृत्ति के होते हैं।
– जल्दी से हस्ताक्षर करने वाले कार्य को गति से हल करने व तीव्र तात्कालिक बुद्धि वाले होते हैं।
– अधिकांश व्यक्ति हस्ताक्षर करने के साथ ही कुछ निश्चित चिह्नों का प्रयोग भी करते हैं जैसे हस्ताक्षर करने के बाद आड़ी-तिरछी एक या दो रेखाएं खींचना, बिंदु का प्रयोग अथवा (’) इत्यादि का प्रयोग करना। ये चिह्न एवं इस प्रकार किये गये हस्ताक्षर व्यक्ति के व्यक्तित्व, मनोभाव एवं चारित्रिक गुणों को अपने में समाहित किये रहते हैं।
– शिरो रेखा लगा कर हस्ताक्षर करने वाले जागरूक, सजग एवं बुद्धि का सही उपयोग करने वाले होते हैं।
– स्पष्ट हस्ताक्षर करने वाले खुले मन के, विचारवान तथा पारदर्शी प्रवृत्ति से कार्य करने वाले होते हैं।
हस्ताक्षर’ दो शब्दों हस्त़+अक्षर से बना शब्द है जिसका अर्थ है हाथों से लिखित अक्षर। वैसे तो वर्णमाला के सभी अक्षरों को लिखने के लिए हाथों का प्रयोग किया जाता है परंतु ‘हस्ताक्षर’ शब्द का प्रयोग प्रमुखतः अपने नाम को संक्षिप्त एवं कलात्मक रूप से व्यक्त करने के लिए ही होता है। हस्ताक्षर को अंग्रेजी भाषा में sign या Signature कहते हैं जिसका अर्थ है A mark or object to represent one’s name or a person’s name signed by himself.
MEDITATION : सांस ही बंधन, सांस ही मुक्ति
देखने में साधारणतः ‘हस्ताक्षर’ एक बहुत ही छोटा सा शब्द है किंतु हस्ताक्षर का प्रत्येक वर्ण एवं प्रत्येक चिह्न कुछ न कुछ अवश्य कहता है। यदि गहराई से किसी भी व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित वर्णों का अध्ययन किया जाए तो उस व्यक्ति विशेष की चारित्रिक विशेषताएं एवं भविष्य का ज्ञान भी सहज ही प्राप्त किया जा सकता है।
– सूर्य ग्रह और हस्ताक्षर: जिन जातकों की कुंडली में सूर्य बलवान एवं शुभ अवस्था में होता है, उनके हस्ताक्षर सरल, सीधे व स्पष्ट होते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने नामांकित अक्षरों को स्पष्ट रूप से लिखना पसंद करते हैं। ऐसे व्यक्ति सरल स्वभाव व विशाल हृदय के स्वामी होते हैं। ज्योतिष में सूर्य ग्रह को सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, आत्मा इत्यादि का कारक माना गया है। अतः जब किसी की कुंडली में सूर्य शुभ स्थिति में होगा तो वह ऐसे ही हस्ताक्षर करेगा एवं समाज में प्रतिष्ठित पद भी प्राप्त करेगा। ऐसा व्यक्ति उच्च स्तरीय ज्ञान का स्वामी एवं अच्छा संगठन कर्ता भी होगा।
– चंद्र ग्रह एवं हस्ताक्षर: जन्म कुंडली में चंद्रमा यदि शुभ स्थिति में केंद्र व त्रिकोणस्थ होगा तो जातक के हस्ताक्षरों में स्पष्टता एवं अंत में एक बिंदु रखने की प्रवृति होती है। चंद्रमा को ज्योतिष में मन का कारक माना गया है। शुभ चंद्रमा वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर सजावटी, सुंदर और गोल-गोल होते हैं। ऐसा व्यक्ति जो कार्य प्रारंभ करता है, उसे कुशलता पूर्वक पूर्ण भी करता है। यदि चंद्रमा पर दूषित प्रभाव है अथवा ‘ग्रहण योग’ की स्थिति कुंडली में बन रही है तो ऐसा जातक हस्ताक्षर के नीचे दो लाइनें खींचता है। ये चिह्न जातक के मन में असुरक्षा की भावना एवं अत्यधिक भावुकता एवं कोमल मन को परिलक्षित करते हैं। ऐसे हस्ताक्षर के व्यक्ति पर नकारात्मक सोच का प्रभाव भी अत्यधिक होता है।
– मंगल ग्रह और हस्ताक्षर: जन्म कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति भी हस्ताक्षरों के संबंध में बहुत कुछ कहती है। लग्न कुंडली में यदि मंगल ग्रह बलवान एवं शुभ होगा तो सामान्यतः देखा गया है कि ऐसे जातक हस्ताक्षरों के नीचे पूरी लाईन खींचते हैं। चूंकि मंगल ग्रह पराक्रम, साहस, क्रोध, इत्यादि का कारक है तो ऐसे हस्ताक्षर वाले जातक अत्यधिक पराक्रमी एवं साहसी होते हैं। आत्म निर्भरता इनमें कूट-कूट कर भरी होती है। अपने साहसी स्वभाव एवं प्रतियोगी शक्ति के आधार पर ऐसे व्यक्ति सामाजिक कार्यों में अग्रणी रहते हैं और यदि दशम भाव भी बलवान है तो इन्हें ख्याति भी खूब मिलती है।
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– बुध ग्रह एवं हस्ताक्षर: बुध ग्रह को ज्योतिष में लेखन क्षमता, तर्क शक्ति, ज्ञान एवं लेखन का कारक माना गया है। अतः जब भी कोई जातक ऐसे हस्ताक्षर करें जो स्पष्ट एवं गोलाकर बिंदु के रूप में हों तो ऐसे जातक अच्छे चिंतक, विचारक, लेखक एवं सम्पादक होते हैं। ऐसे हस्ताक्षरों वाले जातक, ज्ञानी, विद्वान, शिक्षक, त्याग एवं परोपकार की भावना से पूर्ण होते हैं। उनके जीवन के निश्चित आदर्श एवं लक्ष्य होते हैं और उन्हें प्राप्त करने में उन्हें सफलता भी मिलती है।
– गुरु ग्रह एवं हस्ताक्षर: जैसा कि विदित है कि गुरु ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में विवेक, बुद्धिमत्ता एवं दार्शनिकता का कारक माना गया है, तो जिसकी जन्म पत्रिका में गुरु ग्रह शुभ स्थिति में होगा ऐसा जातक हस्ताक्षर करते समय पहला अक्षर बड़ा बनायेगा और हस्ताक्षर नीचे से ऊपर की ओर करेगा। गुरु ग्रह शुभ होने के साथ-साथ भी नवम भाव भी शुभ दृष्टि एवं शुभ प्रभाव में है तो ऐसे हस्ताक्षर वाले जातक महत्वाकांक्षी एवं ईश्वर तथा वृद्ध जनों के प्रति पूर्ण आस्था रखने वाले होते हैं। चूंकि नवम् भाव एवं गुरु ग्रह दोनों ही ईश्वर के प्रति आस्था को दर्शाते हैं तो यदि गुरु ग्रह पर नकारात्मक प्रभाव है तो ऐसे जातक के हस्ताक्षर सदैव ऊपर से नीचे की ओर होंगे जो जातक की संकीर्ण मानसिकता एवं ईश्वर में अविश्वासी प्रवृति को भी परिलक्षित करेंगे।
– शुक्र ग्रह एवं हस्ताक्षर: सुंदर, कलात्मक एवं हस्ताक्षर के नीचे एक गोलाकर स्वरूप लिए हुए एक छोटी पंक्ति दर्शाती है कि जातक का व्यक्तित्व एवं जीवन शुक्र ग्रह से पूर्ण प्रभावी है। ऐसे व्यक्ति मीडिया, फिल्म लाईन, वस्त्र उद्योग एवं कलात्मक क्षेत्र में अत्यंत सफल होते हैं। साथ ही यदि चतुर्थ भाव पर शुभ प्रभाव होगा तो हस्ताक्षर और भी सुंदर एवं कलात्मक होंगे तथा ऐसे जातकों का पारिवारिक जीवन भी पूर्ण सुखी एवं प्रत्येक प्रकार की सुख सुविधा एवं भोग-विलास से युक्त होगा।
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– शनि ग्रह एवं हस्ताक्षर: कुंडली में शनि ग्रह का प्रभाव हो तो हस्ताक्षर के नीचे दो रेखाएं खींचने की प्रवृति होती है। शनि ग्रह के स्वामित्व वाले व्यक्ति अन्वेषक प्रवृति के होते हैं। अतः ऐसे व्यक्ति कुछ न कुछ नवीन कार्य एवं शोध करते रहते हैं और यदि भाग्य साथ दे एवं स्वर्णिम अवसरों की प्राप्ति भी हो तो जीवन में इलेक्ट्रानिक, पेट्रोलियम एवं ज्योतिष के क्षेत्र में उच्चस्तरीय सफलता भी प्राप्त करते हैं।
– राहु-केतु एवं हस्ताक्षर: कुछ लोगों के हस्ताक्षर बहुत छोटे होते हैं, यदि अक्षर बहुत छोटे हैं तो निश्चित रूप से कहा जा सकता है जन्म कुंडली में केतु का प्रभाव बहुत ज्यादा है। ऐसा जातक गुप्त विद्याओं में रुचि रखेगा, चालाक, धूुरत होगा तथा अपनी कुटिल प्रवृति के कारण दूसरों को नुकसान पहुंचाना चाहेगा (ऐसा तभी होगा जब केतु ग्रह पर और भी अशुभ ग्रहों का प्रभाव आ जाये)। किंतु यदि केतु पर गुरु ग्रह का प्रभाव है तो हस्ताक्षर भले ही छोटे हों किंतु उनमें भी एक स्पष्टता होगी जो कि जातक की पारदर्शी मानसिकता एवं विवेक शक्ति की परिचायक होगी।
– यदि जन्म पत्रिका में सूर्य, शनि एवं राहु-केतु आदि सभी क्रूर ग्रह और भी अधिक पाप प्रभाव में हों तो प्रायः देखने में आया है कि जातक के हस्ताक्षर भी शब्दों को घुमा कर, तोड़-मरोड़ कर, दूर-दूर एवं अस्पष्ट होंगे। अतः ऐसे जातक जीवन में निराशा, नकारात्मक एवं अलगाववादी प्रवृति के स्वामित्व वाले होते हैं। ऐसी परिस्थिति में यदि अष्टम भाव भी पीड़ित है तो जातक के प्रत्येक कार्य में व्यवधान भी आते हैं, उन्नति भी देर से होती है।
– जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर स्पष्ट लिखते हैं तथा हस्ताक्षर के अंतिम शब्द की लाइन या मात्रा को इस प्रकार खींच देते हैं जो ऊपर की तरफ जाती हुई दिखाई देती है, से व्यक्ति लेखक, शिक्षक, विद्वान, दिल के बहुत साफ होते हैं, हरेक के साथ सहयोग करने के लिए तैयार रहते हैं। मिलनसार, मृदुभाषी, समाज सेवक, परोपकारी होते हैं। यह व्यक्ति कभी किसी का बुरा नहीं सोचते हैं, सामने वाला व्यक्ति कैसा भी क्यों न हो हमेशा उसे सम्मान देते हैं। सर्वगुण संपन्न होने के बावजूद भी आपको समाज में सम्मान घीरे-घीरे प्राप्त होता है। जीवन के उत्तरार्द्ध में काफी पैसा व पूर्ण सम्मान प्राप्त होता है। जीवन में इच्छाएं सीमित होने के कारण इन्हें जो भी घन व प्रतिष्ठा प्राप्त होती है, उससे यह काफी संतुष्ट रहते हैं। किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर या लेखन से उसके स्वभाव का पता चलता है। इसके लिए थोड़े अध्ययन की जरूरत है। कई हस्ताक्षरों और अक्षरों के परीक्षण करने के बाद आप भी हस्ताक्षर से स्वभाव की परख करने की इस कला को सीख सकते हैं।
– पंडित ‘विशाल’ दयानन्द शास्त्री