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वसीम रिजवी की घर वापसी, अब कहलायेंगे जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी

admin 7 December 2021
Wasim Rizvi ki Ghar Wapasi
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काफी समय से कट्टरपंथियों के निशाने पर रहने वाले वसीम रिजवी ने आखिरकार 6 दिसंबर को घर वापसी कर ली है। यानी यूपी शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन और इस्लाम के जानकारी वसीम रिजवी ने इस्लाम छोड़कर सनातन को अपना लिया है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में स्थित डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद गिरि महाराज ने उन्हें पूरे विधि विधान यानी रीति-रिवाज से सनातन धर्म ग्रहण करवाया। अब उनको ‘जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी’ के नाम से पहचाना जायेगा।

‘जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी’ उर्फ वसीम रिजवी ने कट्टरपंथ के खिलाफ खुलकर आवाज उठाते हुए कई बार अपनी जान हथेली पर रख कर अपने जन्मजात मजहब में व्याप्त तमाम प्रकार की कमियों और बुराईयों को उजागर किया है और उनके खिलाफ आवाज उठाई है। यही कारण रहा है कि उनको कई बार जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं।

हैरान करने वाली बात ये भी है कि जहां एक ओर उनके अपने जन्मजात मजहब वालों ने उन्हें धमकिया दीं और मजहब से बाहर कर दिया वहीं भारत की सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी एक रिट याचिका को खारिज कर दिया था और उन पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया था। जबकि उन्होंने बोलने की आजादी के तहत ही यह कार्य किया और समाज को जागरूक करने का सोचा था।

अखंड भारत का टूटता सपना | Dream of a United India

‘जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी’ उर्फ वसीम रिजवी ने अभी कुछ दिन पहले ही अपनी एक वसीयत जारी की थी जिसके माध्यम से उन्होंने बताया कि मरने के बाद उन्हें अपने मजहब के अनुसार दफनाया न जाए, बल्कि हिंदू रीति रिवाज से ही उनके शरीर का अंतिम संस्कार किया जाए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि डासना मंदिर के महंत यति नरसिम्हानंद उनकी चिता को अग्नि दें।

अपने वीडियो में उन्होंने यह भी कहा था कि कट्टरपंथी लोग मुझे मारना चाहते हैं इसी लिए उन्होंने मुझे हर प्रकार से डराया-धमकाया है और घोषणा की थी किसी भी कब्रिस्तान मुझे जगह नहीं देंगे। इसलिए विवश होकर मुझे सनातन धर्म अपनाना पड़ा और अब क्योंकि मैं सनातन में ‘घर वापसी कर चुका हूं इसलिए मेरे मरने के बाद सनातन विधि से ही मेरा अंतिम संस्कार कर दिया जाए।

एक वीडियो जारी कर वसीम रिजवी ने अपने बयान में सीधे-सीधे कहा कि मेरे मजहब के कट्टरपंथी लोगों ने मेरी हत्या करने और गर्दन काटने की साजिश रच दी है। जबकि मेरा गुनाह सिर्फ इतना ही है कि मैंने कुरान की उन 26 आयतों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जो समाज और मजहब दोनों ही के लिए नुकसान का जरिया बनी हुई हैं।

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