जी हां! हम बात कर रहे हैं योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की, जिन्होंने दूसरी बार उत्तर प्रदेश की कमान संभाली है। 2017 के कार्यकाल में अगर योगी की जगह कोई और मुख्यमंत्री होता क्या 2022 में दूसरी बार 37 वर्षों का रिकॉर्ड टूट पाता। जी नहीं, कतई नहीं! आदित्यनाथ योगी (Yogi Adityanath) या अजय मोहन सिंह बिष्ट की जगह अगर बीजेपी ने किसी और को गद्दी सौंपी होती तो यह रिकॉर्ड नहीं बन पाता।
आदित्यनाथ योगी (Yogi Adityanath) को ‘योगी’ यूं ही थोड़े ही कहा जाता है। वे अपने परिवार से पूरी तरह से दूर रहते हैं। समाज की भलाई में लगे रहते हैं। वहीं दूसरी तरफ सपा, बसपा हो या कांग्रेस सबके सब परिवारवादी पार्टी हैं। उत्तर प्रदेश की जनता ने परिवार को नकार एक साधक संत को गले लगाया।
अभी एक-दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने कहा कि पत्रकारों को परेशान न किया जाए। इस तरह का वक्तव्य एक सच्चा संत ही दे सकता है। बहुत सारे पत्रकार तो उनके बारे में तमाम तरह की उल-जुलूल फिजूल की बातें फैलाते रहे, इसके बावजूद उन्होंने कहा कि पत्रकारों को पुलिस परेशान बिल्कुल न करें। समाज को बांधकर एक रखने का फार्मूला कोई योगी आदित्यनाथ से सीखें।
प्रदेश का मुख्यमंत्री हो या किसी परिवार का मुखिया अन्यथा किसी संगठन या संस्था पर बैठे हुए निर्णायक की भूमिका में व्यक्तियों को योगी की तरह की ही सोच रखनी चाहिए। हमने तो पहले ही लिख दिया था कि उत्तर प्रदेश योगी का है और बना रहेगा। यूं ही नहीं लिखा था, इसके पीछे के कारणों को जमीन पर जाकर समझने के बाद ही लिखा था।
मीडिया के लोग अलग-अलग तरह से अलग-अलग आकलन करते रहे। सबका अपना काम है-कुछ न कुछ तो करना ही है। लेकिन राजा वही है, जो सभी को अपना समझता है। योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) मंझे हुए और सुलझे हुए सत्ता के टॉप निर्णायक की भूमिका वाले मठाधीश हैं।
उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर प्रखंड के प्रचूर गांव में उनकी माता जी को बधाई देने पहुंचे उत्तराखण्ड के कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत और उनकी पत्नी। जाहिर सी बात है और भी तमाम लोग उनकी माता जी को बधाई देने पहुंचे होंगे। चमक-दमक दिखाने वाले व्यक्ति नहीं है हमारे मुख्यमंत्री।
यदि आदित्यनाथ योगी (Yogi Adityanath) चाहते तो अपनी माताजी को अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुलवा सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्यों नहीं किया क्योंकि वे एक सच्चे साधक और संत हैं, समाज की भलाई के लिए काम कर रहे हैं न कि अपने परिवार के लिए। गरीबों की भलाई करके ही उन्हें प्रसिद्धि जुटाना है न कि अपने परिवार को चमकाकर। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ और अन्य पार्टी के नेताओं में यही अंतर दिखता है।
बीजेपी आरएसएस में भी कई नेता ऐसे है, जो अपने परिवार और चमचों से घिरे रहते हैं। लेकिन आदित्यनाथ योगी (Yogi Adityanath) सीधे-सच्चे वाले साधक हैं, उनकी इसी काबिलियत की बदौलत भारतीय जनता पार्टी का कमल दोबारा से खिलकर महकने को तैयार है।
– योगराज सिंह