पृथिवी को धारण करने वाली सबसे पवित्र जीव- शक्ति गो माता की रक्षा के लिए आज देश भर में एक विशेष आंदोलन का आयोजन किया गया। गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग को लेकर यह आंदोलन आज यानि 10 तारीख को, 10 बजे, मात्र 10 मिनट के लिए, भारत बंद के तौर पर था। इस विशेष आयोजन में सभी चारों पीठों के पूज्य शंकराचार्यों ने अपने-अपने मठों से उपस्थिति दर्ज कराई।
शंकराचार्य श्री अविमुक्तेश्वर जी ने इस गौमाता राष्ट्रमाता आंदोलन की अवधि यानि मात्र 10 मिनट के लिए रखे जाने के पीछे के कारण के बारे में बताया कि क्योंकि यह भूमि भी हमारी है और राष्ट्र भी हमारा ही है और इससे भी बड़ा कारण है कि हम हिन्दू ही स्वयं इस धरा के स्वामी हैं इसलिए हम कदापि नहीं चाहेंगे कि हम स्वयं का कभी अहित करें। जबकि अन्य लोगों द्वार आयोजित किये जाने वाले आंदोलन काफी लम्बे और हिंसक भी होते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे आंदोलन सरकारों द्वारा प्रयोजित होते हैं इसलिए उनके लिए अपना धर्म, अपनी भूमि, और अपनी सरकारों का हीत नहीं होता बल्कि उनमें कुछ विदेशी कम्पनियाँ अपने हित साधतीं हैं इसलिए वे आंदोलन अक्सर हिंसक और लम्बे चलते हैं।
गौमाता राष्ट्रमाता आंदोलन में मात्र शंकराचार्यों ने ही नहीं बल्कि देश के समस्त सनातन प्रेमियों ने भी अपनी-अपनी उपस्थिति दी जिसमें सबसे अधिक बच्चों और महिलाओं ने भाग लिया। भारत बंद के इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य गौ माता को राष्ट्र माता बनाने में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान करना था। हालाँकि यह आंदोलन आगे भी जारी रहेगा किन्तु इसमें मुख्य रूप से एक संकेतक रूप से ही आयोजन की बात की गई।
शंकराचार्यों का कहना है कि क्योंकि गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने की सबसे अधिक जरूरत इसलिए है क्योंकि गौ माता ने हमे बचपन से दूध दे कर हमारा पोषण करने का कार्य किया है। इसके अलावा वेद शास्त्र के अनुसार गौ माता में सभी 33 प्रकार के देवी-देवताओं का वास है और गाय के गोबर में लक्ष्मी, गोमूत्र में भवानी, रंभाने की आवाज़ में प्रजापति, चरणों के अग्रभाग में आकाश चारी देवता और थनों में समुद्र प्रतिष्ठित हैं।
गौ सिर्फ हिंदू के लिए ही नही अपितु समस्त संसार के लिए विशेष महत्त्व रखतीं हैं। शंकराचार्यों ने यह भी बताया कि गौ सेवा से ही भव सागर के बंधनों से मुक्ति प्राप्त हो सकती है और अंत काल में वैतरणी पार कराने में भी गौ माता का विशेष योगदान होता है।