परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती १००८ द्वारा विरचित
राष्ट्रनदी गंगा गान (तर्ज – जनगणमन)
तन मन धन जीवनदायिनी हे
जाह्नवी गंगा माता
हिमगिरि से सागर को जोडा
बनी सन्तुलन रेखा
धर्म संस्कृति मर्यादा
सब कुछ तुममें ही देखा
अविरल निर्मल जल दे
सुख शान्ति का वर दे
गायें तब जल गाथा
जन जन मंगलकारिणी जय हो
राष्ट्रनदी जय गंगा
जय हो जय हो जय हो
जय जय जय गंगे।
काशी, प्रयागराज और ज्योतिर्मठ में गणतन्त्र तिथि महोत्सव मनाया जाएगा।
आप सब भी सम्भव हो तो परमाराध्य के विचारों को आगे बढाते हुए इस दिन गणतन्त्र तिथि महोत्सव आयोजित कर सकते हैं।