Skip to content
27 August 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • मन की बात

विश्व में शांति और समस्याओं का समाधान केवल भारतीय दर्शन से ही संभव…

admin 11 September 2021
Jagat Guru Shankracharya Ji Maharaj
Spread the love

आज पूरे विश्व में किसी न किसी रूप में उथल-पुथल मची हुई है। शांति एवं समस्याओं के समाधान के लिए वैश्विक स्तर पर अनेक प्रकार के उपाय किये जा रहे हैं किन्तु व्यावहारिक धरातल पर पूरे विश्व में न तो शांति स्थापित हो पा रही है और न ही समस्याओं का समाधान। अब ऐसे में प्रमुख सवाल यह उभर कर आता है कि आखिर विश्व में शांति कैसे स्थापित होगी और वैश्विक स्तर पर व्याप्त तमाम समस्याओं का समाधान कैसे होगा? वास्तव में यदि पूरी दुनिया में शांति स्थापित करनी है तो उसके लिए भारतीय दर्शन की तरफ पूरी दुनिया को अग्रसर होना ही होगा। चूंकि, भारतीय दर्शन पूरी तरह प्रकृति पर आधारित है। भारतीय जीवन दर्शन में जीवन यापन के लिए प्रकृति को माध्यम बनाया गया है। प्रकृति को माध्यम बनाकर जीवन यापन के जो भी तौर-तरीके बताये एवं अपनाए गये हैं, वास्तव में वही भारतीय दर्शन है। इस दृष्टि से देखा जाये तो अपने आप यह स्पष्ट हो जाता है कि भारतीय दर्शन जब पूरी तरह प्रकृति पर ही आधारित है तो विश्व शांति एवं वैश्विक समस्याओं के समाधान में जो भी लोग लगे या प्रयास कर रहे हैं, उन्हें भारतीय दर्शन को अच्छी तरह जानना एवं समझना होगा।

भारतीय दर्शन में इस बात की स्पष्ट रूप से व्याख्या की गई है कि मानव सहित समस्त प्राणि जगत का जीवन यापन प्रकृति पर ही निर्भर है। कुल मिलाकर कहने का आशय यही है कि जीवन यापन के क्षेत्र में मानव ने कुछ भी नहीं किया है, उसका पूरा अस्तित्व ही प्रकृति पर निर्भर है। अब एक महत्वपूर्ण प्रश्न उभरकर यह आता है कि जब मनुष्य ने कुछ किया ही नहीं है, बनाया ही नहीं है तो उसे प्रकृति का बेवजह दोहन करने का क्या अधिकार है? फल, फूल, अनाज, डीजल, पेट्रोल, जल, अग्नि, हवा, पृथ्वी, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु आदि सब प्रकृति की ही तो देन है। इसमें मानव समाज की कोई भूमिका नहीं है। मानव तो सिर्फ प्रकृति के दोहन में लगा है।

प्रकृति पर आधारित जो जीवनशैली विकसित हुई है, वह यूं ही विकसित नहीं हो गई है, उसे विकसित करने के लिए हमारे ऋषियों-मुनियों एवं मनीषियों ने बहुत मेहनत किया है। वेदों-पुराणों से ज्ञान अर्जन कर गुरुकुलों के माध्यम से भारतीय दर्शन एवं जीवनशैली से लोगों को अवगत कराने का कार्य किया है। यहां एक बात महत्वपूर्ण है कि सृष्टि में जो कुछ भी बना है, वह प्रकृति ने ही बनाया है तो ऐसी स्थिति में यह कहा जा सकता है कि प्रकृति द्वारा निर्मित किसी वस्तु को तोड़ना, प्रदूषित एवं खंडित करना मानव के लिए अपराध है।

मानव यह भले ही मान कर चले कि वह जो गल्तियां कर रहा है या करता है, उसे कौन देख रहा है? किन्तु मानव को यह भली-भांति समझ लेना चाहिए कि प्रकृति सब देख रही है कि कौन क्या कर रहा है? वक्त आने पर वह उचित दंड एवं इनाम दे भी देती है।

आज विज्ञान के नाम पर विकास को आधार बनाकर प्रकृति द्वारा निर्मित चीजों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। हालांकि, प्रकृति मानव या किसी जीव की तमाम गल्तियों को क्षमा कर देती है किन्तु जब हद हो जाती है तो कभी-कभी वह अपना रौद्र रूप दिखा भी देती है। अभी कोरोना काल में देखने को मिला है कि तमाम दावों के बावजूद विज्ञान सहित बड़े-बड़े शूरमाओं के हाथ-पांव फूल गये। हुआ वही, जो प्रकृति ने चाहा। जिन्हें इस बात का गुमान था कि वे बीमार होने पर अच्छे अस्पतालों में अच्छे डाॅक्टरों से इलाज करवा कर ठीक हो जायेंगे किन्तु इस प्रकार की सोच रखने वालों में तमाम लोगों को सब कुछ रहते हुए न तो डाॅक्टर मिले और न ही अस्पताल। अंततः ईश्वरीय इच्छा से उन्हें बैकुंठ लोक की यात्रा पर जाना पड़ा। और तो और, हालत तो यहां तक भी पहुंच गये कि परिवार वाले चाह कर भी अंतिम समय मुंह में न तो एक चम्मच गंगा जल डाल पाये और तन पर न ही कोई कफन के रूप में वस्त्र डाल पाये। इन बातों का जिक्र करने का आशय मात्र इतना ही है कि हम जो कुछ भी करें प्रकृति एवं प्राकृतिक नियमों के अनुरूप करें। प्रकृति एवं प्राकृतिक नियम क्या हैं, इसकी जानकारी सभी को तो लेनी ही होगी।

इसे भी पढ़े- महाशक्तियों के मायावी सौरमंडल में अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका

भारतीय जीवन दर्शन में इस बात की सपष्ट रूप से व्याख्या की गई है कि कोई भी जीव अमर नहीं है। यहां तक कि पृथ्वी का भी एक निश्चित समय है किन्तु बेवजह यदि उसका दोहन होगा और पृथ्वी के ऊपर-नीचे तोड़-फोड़ होगी तो उसका संतुलन बिगड़ेगा ही। ऐसी स्थिति में प्रकृति को यह सोचना पड़ जायेगा कि आखिर वह अपने फैसले पर पुनर्विचार क्यों न करे? किसी जीव या किसी अन्य के बारे में प्रकृति पुनर्विचार का निर्णय लेती है तो इस क्रम में परिणाम कुछ भी हो सकता है। राजनीतिक एवं आर्थिक दृष्टि से ताकत प्राप्त कर मानव यह समझता है कि वह कुछ भी कर सकता है। यह बात भी सत्य है कि मानव चांद एवं अन्य ग्रहों पर पहुंच चुका है किन्तु यह भी प्रकृति की कृपा से ही संभव हुआ है।

भारतीय दर्शन में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते हैं कि मनुष्य चाहे जितना भी शक्ति, दौलत एवं एशो-आराम की चीजें प्राप्त कर ले किन्तु उसके मन में कभी न कभी वैराग्य का भाव उत्पन्न हो ही जाता है। भगवान महावीर, गौतम बुद्ध, चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक जैसी अनेक विभूतियां भारत भूमि पर हुई हैं जिनका सांसारिक जगत, सुख-सुविधाओं, ताकत एवं धन-दौलत से मोह भंग हुआ है और इन लोगों ने विश्व शांति एवं मानवता की रक्षा के लिए सब कुछ त्याग दिया। भगवान महावीर के द्वारा दिये गये दो प्रमुख उपदेश ‘जियो और जीने दो’ और ‘अहिंसा परमो धर्मः’ पूरे विश्व में शांति की स्थापना एवं समस्त वैश्विक समस्याओं का समाधान करने के लिए पर्याप्त है। आवश्यकता इस बात की है कि विश्व इस पर अमल करे।

‘जियो और जीने दो’ का मूल भाव एवं मूल उपदेश यही है कि यदि हम किसी के प्रति दया एवं करुणा का भाव रखेंगे तो वह स्वतः हमारी तरफ आकर्षित होता जायेगा। हमारे ऋषियों, मुनियों एवं मनीषियों ने ऐसा करके दिखाया भी है। ऋषियों-मुनियों के आश्रमों में शेर-बकरी, बिल्ली-चूहा, मोर-सांप एवं एक दूसरे के धुर विरोधी जीव एक साथ ही रहते हुए विचरण करते थे। आखिर यह सब क्या है? यह सब ‘जियो और जीने दो’ की अवधारणा को मानकर जीवन जीने पर ऐसा संभव हो पाता है। भगवान महावीर के समक्ष आने पर हिंसक से हिंसक जीव भी अहिंसक एवं शांत हो जाता था। ये सब बातें यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि भगवान महावीर के इस उपदेश पर अमल करके पूरे विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है और वैश्विक स्तर पर तमाम समस्याओं का समाधान भी किया जा सकता है।

भगवान महावीर के दूसरे उपदेश ‘अहिंसा परमो धर्मः’ पर विचार किया जाये तो उससे भी यही सीख मिलती है कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। दुनिया के प्रत्येक नागरिक यदि यह मान लें कि हिंसा के माध्यम से कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता है। यदि कुछ हासिल हो भी जाये तो मात्र अल्प काल के लिए होगा।

अफगानिस्तान सहित दुनिया के किसी भी देश में किसी भी प्रकार की हिंसा से यदि किसी समस्या का समाधान हो पाता तो अब तक विश्व की सभी समस्याओं का समाधान हो गया होता। अतः आज आवश्यकता इस बात की है कि भारतीय जीवन दर्शन को पूरी दुनिया जाने-समझे और उस पर अमल करे। इसी में विश्व की सभी समस्याओं का समाधान निहित है। वैसे भी, भारतीय जीवन दर्शन में पूरी वसुधा यानी पूरे विश्व को एक परिवार माना गया है, इसीलिए भारत में प्रत्येक नागरिक के दिलो-दिमाग में ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना विद्यमान है। भारतीय पूजा-पद्धति में सर्वत्र विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना की जाती है। जाहिर सी बात है कि जिस दर्शन में विश्व कल्याण की भावना निहित है, उसी मार्ग पर चलकर पूरी दुनिया में शांति स्थापित की जा सकती है और समस्त समस्याओं का समाधान भी किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें :- मानवता के लिए शक्ति का सदुपयोग हो न कि दुरुपयोग…

भारतीय दर्शन में ‘रामायण’ जैसे पवित्र धर्म गं्थ से यही सीख मिलती है कि धर्म मार्ग पर चलकर, मर्यादा में रहकर धर्म के द्वारा शांति की स्थापना कैसे की जा सकती है? भगवान श्रीराम ने अधर्म की राह पकड़ चुके रावण का बध कर उसी के सगे भाई, जो धर्म मार्ग से कभी विचलित नहीं हुए, विभीषण को लंका का राजा बना दिया। इसी प्रकार महाबली राजा बाली जिसने अपने छोटे भाई की पत्नी को अपनी पत्नी बना लिया था- का वध करके बाली के ही सगे भाई सुग्रीव को किष्किंधा राज्य का राजा बना दिया।

रामायण से हमें यह भी सीखने को मिलता है कि ऋषियों-मुनियों ने हमेशा बिना किसी लोभ-लालच में अधर्मियों का नाश करने के लिए सदा धर्म का साथ दिया है।
इसी प्रकार ‘महाभारत’ की बात की जाये तो स्पष्ट रूप से देखने में आता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म के विपरीत जाने वालों को किसी न किसी रूप में दंड का पात्र बनाया है। महाभारत में कई बार ऐसा लगता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म की सत्ता स्थापित करने के लिए अधर्म का भी सहारा लिया है यानी कुल मिलाकर निष्कर्ष यही निकलता है कि किसी भी रूप में धर्म की सत्ता स्थापित होनी ही चाहिए।

‘रामायण’ का एक उदाहण बहुत प्रेरित करता है कि जब लक्ष्मण जी को शक्ति लगी और हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने के लिए पर्वत पर गये तो उन्होंने संजीवनी बूटी के लिए विधिवत प्रार्थना की यानी सृष्टि में प्रकृति की कोई भी कृति हो, चाहे उसका अस्तित्व जितना या जैसा भी हो, उसकी मर्यादा की रक्षा सभी को करनी चाहिए।

कुल मिलाकर भारतीय जीवन दर्शन को एक लाइन में यदि परिभाषित किया जाये तो कहा जा सकता है कि प्रकृति के साथ, प्रकृति के लिए एवं प्रकृति में जीवन ही भारतीय दर्शन है अर्थात इसे दूसरे शब्दों में यूं भी कहा जा सकता है कि मानव की सेवा मानव के द्वारा ही होनी चाहिए। विश्व की वर्तमान परिस्थितियों का आंकलन किया जाये तो सबसे ताजा एवं ज्वलंत उदाहरण अफगानिस्तान का है, जहां तालिबानियों ने हिंसा की बदौलन वहां कब्जा कर लिया है और उनके कब्जे के बाद महिलाओं पर तमाम तरह की बंदिशें लगनी शुरू हो गई हैं जबकि भारतीय जीवन दर्शन में अनादि काल से यह धारणा व्याप्त है कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवता’ यानी जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवताओं का वास होता है। इस दर्शन को यदि तालिबानी भी स्वीकार कर लें तो क्या नारी उत्पीड़न या शोषण की बात पूरी दुनिया में देखने-सुनने को मिल सकती है?

समस्याओं की बात की जाये तो संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद, जातिवाद, गोत्रवाद, प्रदूषण, महंगाई, गरीबी, शोषण, उत्पीड़न आदि के रूप में पूरे विश्व में विद्यमान हैं। उसका मात्र एक ही समाधान है कि मानव प्रकृति के साथ और प्रकृति के लिए जिये। प्रत्येक इंसान दूसरे इंसान को इंसान के रूप में देखे, हर इंसान दूसरे के सुख-दुख को अपना समझे और एक दूसरे का पूरक बनकर जीवन जिये तो क्या इस विश्व में कोई भी ऐसी समस्या है जिसका समाधान नहीं हो सकता है। जिस दर्शन में लोक कल्याण की भावना कदम-कदम पर विद्यमान है, ऐसे भारतीय जीवन दर्शन को पूरी दुनिया को जानने-समझने एवं उस पर चलने की जरूरत है।

यदि समय रहते मानव ने अपने आपको विकासरूपी भ्रम जाल से बाहर निकालकर विश्व में शांति एवं समस्याओं के समाधान हेतु भारतीय दर्शन को शब्दशः अंगीकार नहीं किया तो प्रकृति द्वारा विध्वंस निश्चित है। समय-समय पर प्रकृति भूकंप, बाढ़, महामारी, सूखा, बारिश इत्यादि हथियारों के माध्यम से वैज्ञानिकों की अवधारणाओं को भी अचंभित करती रहती है। इसके अलावा अन्य कोई भी रास्ता या तरीका ऐसा नहीं है जिस पर चलकर विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है और समस्याओं का समाधान हो सकता है। तो आइये, एक बार पुनः विश्व में भारतीय जीवन दर्शन का डंका बजाने के लिए शंखनाद किया जाये।

– अरूण कुमार जैन (इंजीनियर)
(राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य- भाजपा, पूर्व ट्रस्टी श्रीराम-जन्मभूमि न्यास एवं पूर्व केन्द्रीय कार्यालय सचिव भा.ज.पा.)

About The Author

admin

See author's posts

2,044

Like this:

Like Loading...

Related

Continue Reading

Previous: मानवता के लिए- शक्ति का सदुपयोग हो न कि दुरुपयोग…
Next: उमेश चतुर्वेदी डीजेए के अध्यक्ष, अमलेश राजू महासचिव निर्वाचित

Related Stories

Villagers under a tree in India
  • मन की बात
  • स्वास्थ्य

निरपेक्ष आर्थिक विकास के मार्ग पर भारत

admin 25 February 2025
Human kind towards animals
  • पर्यावरण
  • मन की बात
  • विशेष

मानव का प्राणियों के प्रति प्रेम कम होना सृष्टि के लिए घातक…

admin 5 June 2024
Naukaree hee kyon jaruri
  • मन की बात
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष

आजीविका के लिए नौकरी ही क्यों…?

admin 5 June 2024

Trending News

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व marigold Vedic mythological evidence and importance in Hindi 4 1
  • कृषि जगत
  • पर्यावरण
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व

20 August 2025
Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व brinjal farming and facts in hindi 2
  • कृषि जगत
  • विशेष
  • स्वास्थ्य

Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व

17 August 2025
भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम Queen Sanyogita's mother name & King Prithviraj Chauhan 3
  • इतिहास
  • भाषा-साहित्य
  • विशेष

भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम

11 August 2025
पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें Khushi Mukherjee Social Media star 4
  • कला-संस्कृति
  • मीडिया
  • विशेष
  • सोशल मीडिया

पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें

11 August 2025
दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार BJP Mandal Ar 5
  • राजनीतिक दल
  • विशेष

दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

2 August 2025

Total Visitor

081270
Total views : 148060

Recent Posts

  • Marigold | गेंदे का वैदिक और पौराणिक साक्ष्य एवं महत्त्व
  • Brinjal Facts: बैंगन का प्राचीन इतिहास और हिन्दू धर्म में महत्त्व
  • भविष्य पुराण में दर्ज है रानी संयोगिता की माता का वास्तविक नाम
  • पश्चिमी षडयंत्र और हिन्दू समाज की महिलायें
  • दिल्ली में भाजपा सहयोग मंच के पदाधिकारियों ने संस्थापक व अध्यक्ष का जताया आभार

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved 

%d