अजय सिंह चौहान || अगर आप लोगों ने भी बाबा अमरनाथ जी की यात्रा पर जाने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया है और जाने की तैयारियां कर रहे हैं लेकिन, आपको यह पता नहीं है कि वहां जाने में कितना खर्च हो सकता है और कहां-कहां ठहरना होता है या फिर खाने-पीने का खर्च कितना हो जाता है तो आज मैं इस लेख के द्वारा आपके लिए हर उस जानकारी को आपके सामने रखने वाला हूं जिसकी आपको इस यात्रा के समय सख्त जरूरत होती है।
तो सबसे पहले तो ध्यान रखें कि अमरनाथ यात्रा के लिए दो अलग-अलग रास्ते हैं। और दोनों उन दो रास्तों में पहला तो पहलगाव से होकर गुफा तक जाता है। जो लगभग 30 किलोमीटर लंबा है और इसमें गुफा तक पहुंचने में 3 दिन का वक्त लग जाता है। जबकि दूसरा रास्ता सिर्फ 14 से 15 किलोमीटर लंबा है और इसमें आप एक ही दिन में गुफा तक पहुंच जाते हैं। लेकिन इनमें से पहलगांव वाले रास्ते से ही सबसे ज्यादा यात्री इस यात्रा में जाते हैं। वैसे आप को किस रास्ते से इस यात्रा पर जाना है यह आप तय कर लें। यहां मैं इन दोनों ही रास्तों में होने वाले अलग-अलग खर्च के बारे में आप लोगों को बताऊंगा।
लेकिन इससे पहले मैं बता दूं कि इस यात्रा में होने वाले कुल खर्च के बारे में अगर हम बात करें तो इसके लिए हम यह हिसाब-किताब या किराया पर हेड के हिसाब से यानी एक व्यक्ति के हिसाब जोड़ेंगे। और यह हिसाब-किताब सब कुछ जम्मू से चल कर वापसी में भी जम्मू तक ही जोड़ेंगे। क्योंकि अगर आप अपने किसी भी शहर से या किसी भी स्टेट से जम्मू तक ट्रेन या बस से आते-जाते हैं तो उसमें किराये का फर्क हर किसी यात्री के लिए अलग-अलग हो सकता है।
अब रही बात खर्च की और इसमें लगने वाले वक्त की तो इसके लिए ध्यान रखें कि पहलगांव वाले रास्ते से जाने पर खर्च थोड़ा ज्यादा लगता है और वक्त भी 2 से 3 दिन ज्यादा ही लग जाता है। हालांकि, खर्च में इतना ज्यादा फर्क नहीं होता है लेकिन फिर भी यहां मैं इन दोनों ही रास्तों से जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग खर्च का ब्यौरा नीचे दे रहा हूं।
तो इसमें सबसे पहले मैं आप लोगों को बता दूं कि अगर आप बालटाल के रास्ते से इस यात्रा में शामिल होने के लिए जा रहे हैं तो आप के लिए यह जान लेना बहुत ही जरूरी है कि जम्मू से बालटाल की दूरी लगभग 370 किलोमीटर है। और इसके लिए जम्मू के बस स्टैंड से या टेक्सी स्टैंड से आपको सीधे बालटाल या फिर पहलगाव दोनों ही जगहों के लिए आसानी से टेक्सी या मिनी बस की सुविधा मिल जायेगी।
और इसका किराया शेयरिंग टैक्सी या फिर मिनी बस से एक तरफ का बालटाल के लिए लगभग-लगभग 1,000 (एक हजार) से 1,100 (ग्यारह सौ) रुपये मान कर चलें। और इतना ही किराया वापसी में भी लग जाता है। यानी लगभग 2,100 (दो हजार एक सौ) रुपये जाने और आने का खर्च। यह रास्ता वाया श्रीनगर से होकर जाता है। जिसमें जम्मू से श्रीनगर के बीच की दूरी लगभग 275 किलोमीटर तक है। जबकि श्रीनगर से बालटाल की दूरी करीब 95 किलोमीटर है।
और क्योंकि यह रास्ता पूरे एक दिन का है इसलिए यहां बीच में कहीं भी रात को ठहरने की जरूरत नहीं पड़ती। यह रास्ता लगभग 9 से 10 घंटे में आसानी से पार हो जाता है। यानी अगर आप जम्मू से सुबह 5 या 6 बजे तक निकल जाते हैं तो शाम तक सीधे बालटाल या फिर पहलगाव बेसकैंप आसानी से पहुंच जाते हैं।
और रही बात जम्मू से पहलगांव तक जाने और आने की तो इसकी दूरी लगभग 270 किलोमीटर है और इस रास्ते में लगभग 8 से 9 घंटे का वक्त तो लग ही जाता है। इसमें एक तरफ का एक व्यक्ति का लगभग 1,000 (एक हजार) रुपये तक का किराया लग जाता है। यानी जम्मू से पहलगांव तक जाने-आने का किराया लगभग 2,000 (दो हजार) रुपये लग जाता है।
अब जैसा कि हमारे लिए किसी भी यात्रा में जो सबसे खास और अहम होता है वो होता है रहने और खाने-पीने का खर्च। और यहां इस यात्रा में रहने और खाने पीने के लिए कुल कितना खर्च करना पड़ता है उस बारे में मैं बता दूं कि खास तौर पर इस यात्रा में सबसे अच्छी बात यह होती है कि जब आप जम्मू से चलकर यह यात्रा पुरी करने के बाद वापस जम्मू आ जाने तक इस यात्रा के दौरान आपको यानी किसी भी श्रद्धालु को खाने-पीने के लिए बिल्कुल भी खर्च नहीं करना पड़ता। क्योंकि यहां इस पूरी सड़क और पैदल यात्रा के दौरान रास्ते में कई जगहों पर देश के कई छोटे-बड़े शहरों से आकर बहुत सारी स्वयंसेवी समितियों के द्वारा यहां शिवभक्त यात्रियों की सेवा में यह लंगर सुविधा बड़े ही आदर और श्रद्धा के साथ दी जाती है। इन लंगरों में सेवा समितियों की तरफ से गरमा-गरम चाय नाश्ता और दाल चावल, रोटी सब्जी, हलवा, खीर सभी कुछ एक दम फ्री परोसा जाता है। फिर चाहे यात्रियों की संख्या हजारों में हो या लाखों में। यहां सभी जगहों पर अमरनाथ यात्रा के लिए आने और जाने वाले श्रद्धालुओं की सेवा सच्चे दिल से की जाती है।
लेकिन, अगर हम बात करें यहां रात को ठहरने के लिए होने वाले खर्च की तो उसके लिए तो उसके लिए भी आप को बहुत ज्यादा नहीं बल्कि बहुत ही कम खर्च में या यूं कह लें कि बहुत ही मामूली खर्च में रात को ठहरने के लिए सुविधा मिल जाती है। दरअसल, यहां ना तो कोई होटल या फिर काॅटेज वगैरह बने हुए हैं और ना ही कोई धर्मशालाएं बनीं हुई हैं। इसलिए यहां आने से पहले इसकी बुकिंग की भी झंझट नहीं होती। क्योंकि यहां हर बेसकैंप के सुरक्षा घेरे के अंदर हजारों की संख्या में छोटे-छोटे वाटरप्रूफ तंबू लगे हुए होते हैं जिनके रेट भी श्री अमरनाथ श्राईन बोर्ड की तरफ से तय किये जाते हैं उसी के हिसाब से पैसे देकर पर्ची कटवानी होती है।
हालांकि, अगर कोई पहलगांव में जाकर यात्रा के सुरक्षा घेरे से बाहर किसी होटल या काॅटेज में ठहरना चाहे तो वहां इसकी सुविधा उपलब्ध है। लेकिन, पहलगांव के बेसकैंप में लगे इन तंबुओं में हर एक व्यक्ति के लिए या फिर यूं कहें कि हर एक बिस्तर के लिए लगभग 200 रुपये तक की एक पर्ची कटती है। यानी जहां भी आप रात को ठहरेंगे उस जगह आपको लगभग 200 से 250 रुपये खर्च करने होंगे।
वैसे मैं आपको एक और बात बता दूं कि अगर आप के लिए यहां यह खर्च करना भी मुश्किल है या फिर आपके पास इतना पैसा नहीं है तो ऐसे में आप कोशिश करें कि वहां के किसी भी लंगर में या भंडारे में जाकर उसके संचालक से या कर्मचारी से अनुरोध करेंगे तो हो सकता है कि उनके पास भी आम यात्रियों के लिए रात को ठहराने की कुछ सुविधा मिल जाये। क्योंकि काफी सारी लंगर समितियां भी आम श्रद्धालुओं के लिए रात को ठहराने के लिए कुछ न कुछ इंतजाम जरूर करते हैं। और इसके लिए वे लोग एक भी पैसा का चार्ज नहीं करते, या फिर बहुत ही मामुली चार्ज या कंबल का किराया ही लेते हैं।
वैसे एक बात और बता दूं कि आपको हर बेसकैंप में या हर रात आपको मुफ्त में रात को ठहरने को मिल ही जाये ऐसा थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि ऐसे कई लोग होते हैं जो इसके लिए पहले से ही अपना जगह पक्की कर लेते हैं।
इसके अलावा और भी कई सारी छोटी-छोटी बातें हैं जो खर्च को लेकर है जिनमें अगर आप सावधानी बरतें हैं तो हो सकता है कि आप अपना काफी खर्च बचा सकते हैं।
जैसे कि बता दूं कि यहां पहलगाव से गुफा तक के रास्ते में या फिर बालटाल से लेकर गुफा तक के दोनों ही रास्तों में कुछ कश्मीरी लोग या बच्चे अपनी छोटी-छोटी दूकानें लगाकर पानी की बोतले, चाय-बिस्कुट, फ्रूटी, कोल्ड ड्रिंक्स या फिर एजर्जी ड्रिंक्स जैसे कुछ जरूरी सामान को दो से तीन गुणा ज्यादा कीमत पर बेचते हुए मिल जाते हैं। क्योंकि उनको पता होता है कि यात्रा के पैदल रास्ते में कहां से कहां तक यात्री को भूख लग जाती है और पीने के पानी की या फिर एनर्जी ड्रिंग्स जैसे फ्रूटी वगैरह की सबसे अधिक जरूरत महसूस होती है। क्योंकि अधिकतर यात्रियों को यह बात पता नहीं होती। ऐसे में वे लोग यहां इन चीजों को बहुत महंगे दाम में बेचते हैं। मजबूरी में अधिकतर यात्रियों यहां आकर ये सामाना लेना पड़ जाता है।
तो ऐसी स्थिति से बचने के लिए मैं आपको एक बहुत ही काम की बात बता दूं कि अगर आप यात्रा के लिए निकल रहे हैं तो अपने साथ नाश्ते का कुछ न कुछ सूखा सामान जो कुछ दिनों तक चल सके जैसे बिस्कुट, नमकीन, भूने हुए चने या फिर मुंगफली के दाने, मट्ठी या नमकपारे वगैरह अपनी पसंद के अनुसार जरूर रख लें। ताकि रास्ते में खरीदना ना पड़े।
क्योंकि यहां जो भी यात्री पैदल चलते हैं उनको बार-बार थोड़ा-थोड़ा पानी पीना होता है। पैदल चलते वक्त बार-बार गला सूखता है और हर थोड़ी-थोड़ी देर के बाद दो-दो, तीन-तीन घूंट पानी पीना ही पड़ता है। तो इसके लिए मैं बता दूं कि आपके पास कम से कम 2 से 3 बोतल पानी की अपने बैकपेक में यानी आपके बैग में होना ही चाहिए। वर्ना आपको रास्ते में पानी की बोतल खरीदनी पड़ सकती है।
इसके अलावा अगला जो खर्च है वो है यहां रात को ठहरने का जो यहां के बेसकैंपों में देना पड़ता है। उसके लिए भी अगर आप पहलगांव वाले रास्ते से इस यात्रा में आते हैं तो इसमें आपको सबसे पहले तो यहां पहुंचकर पहली रात पहलगांव के बेसकैंप में गुजारनी होगी। इसमें जो भी बेसकैंप कह लो या पड़ाव कह लो वहां आपको रात को ठहरने के लिए उस टेंट का किराया लगभग 200 रुपये एक व्यक्ति के हिसाब से हर जगह देना होता है।
अगले दिन सुबह-सुबह यहां से आगे की यात्रा में आपको पहलगाव बेसकैंप से निकलकर लगभग 16 किलोमीटर आगे यानी चंदनवाड़ी तक शेयरिंग जीप या टैक्सियों से जाना होता है जिसमें भी कम से कम 50 से 60 रुपये एक सवारी का किराया देना पड़ता है। यहां सिर्फ चंदनवाड़ी तक ही गाड़ियों से जा सकते हैं। और चंदनवाड़ी से ही यह असली पैदल यात्रा शुरू होती है।
इसके बाद जैसे-जैसे आप आगे को चलते जायेंगे उसके हिसाब से दूसरे दिन की यात्रा में पहलगांव बेसकैंप वाले इस रास्ते में पहलगावं के बाद दूसरा बेसकैंप शेषनाग झील का बेसकैंप आता है जहां आपको रात को ठहरना ही पड़ेगा। इसके बाद तिसरे दिन की यात्रा में जो तीसरा बेसकैंप आता है वो है पंचतरणी बेसकैंप। यहां भी आपको रात को ठहरना पड़ेगा। और चैथे दिन की यात्रा में पंचतरणी बेसकैंप से निकल कर आगे जाने के बाद आती है पवित्र गुफा और इस यात्रा का चैथा बेसकैंप। यानी पवित्र श्री अमरनाथ गुफा का बेसकैंप। और इस चैथे बेसकैंप से निकलकर अगले दिन यानी पांचवे दिन गुफा के दर्शन करने के बाद लगभग सभी श्रद्धालु यहां से बालटाल के रास्ते से ही वापस आते हैं। यह रास्ता 14 किलोमीटर लंबा है और इस यात्रा का पांचवा और अंतिम बेसकैंप पड़ता है बालटाल बेसकैंप। शाम तक बालटाल पहुंचकर आपको यहीं रात गुजारनी होती है। और अगली सुबह यानी छठवें दिन सभी यात्री यहां से वापस जम्मू के लिए निकल जाते हैं और शाम तक जम्मू पहुंच जाते हैं।
यानी कि इन 6 दिनों की यात्रा में आपको कुल 5 अलग-अलग बेसकैंपों में रात को ठहरना पड़ता है। और हर एक कैंप में 200 रुपये खर्च करने के हिसाब से यह बैठता है 1,250 रुपये। और इसमें अगर हम पहलगाव बेसकैंप से निकलकर चंदनवाड़ी तक का शेयरिंग जीप या टैक्सी का किराया यानी 50 रुपये भी जोड़ दें तो यह बनता है 1,300 रुपये।
अब इसमें जम्मू से बालटाल तक का आने और जाने का 2500 रुपये किराया भी जोड़ देते हैं तो यह बनता है 3,800 रुपये। यानी जम्मू से पहलगाव तक जाना और फिर वहां से बाबा अमरनाथ जी के दर्शन करने के बाद वापसी में बालटाल होते हुए फिर से जम्मू तक आने में आपको लगभग 3800 रुपये या आप 4000 रुपये मान कर चलें। इतना तो कम से कम खर्च होता ही है।
तो अब अगर हम जम्मू से सीधे बालटाल वाले रास्ते से होकर यात्रा करने वालों के लिए खर्च की बात करें तो उसके लिए भी लगभग इतना ही खर्च हो जाता है। इसमें सबसे पहले तो जम्मू से बालटाल तक के आने और जाने के किराये में आपको लगभग 2500 रुपये का खर्च होता है।
और इसमें पहले दिन की यात्रा में आप शाम को सीधे बालटाल बेसकैंप में पहुंच कर रात गुजारेंगे। और दूसरे दिन की आगे की यात्रा में सुबह वहां से पैदल यात्रा की शुरूआत करेंगे और शाम तक सीधे गुफा तक पहुंच कर श्री अमरनाथ गुफा के बेसकैंप में रात को आराम करेंगे। तीसरे दिन अगर श्री अमरनाथ गुफा में भीड़ ज्यादा नहीं होती है और 2 से 3 घंटे में दर्शन करने के बाद आप जल्दी फ्री हो जाते हैं तो आप उसी दिन वहां से बालटाल के लिए वापस हो सकते हैं।
अगले दिन शाम तक फिर से बालटाल बेसकैंप पहुंच कर रात गुजारेंगे। इसके बाद अगली सुबह यानी चैथे दिन आपको बालटाल के बस अड्डे से उसी प्रकार से शेयरिंग वाली जीप, टेक्सी या फिर मिनी बस से शाम तक जम्मू पहुंच जायेंगे। लेकिन यहां एक खास बात ध्यान रखने वाली होती है कि अगर आप दोपहर तक भी गुफा में दर्शन नहीं कर पाते हैं तो आपको रात को वहीं रूकना चाहिए। हालांकि, ऐसा बहुत ही कम होता है। लेकिन फिर भी सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि गुफा से बालटाल के बीच का अधिकतर रास्ता खतरों से भरा हुआ है।
तो बालटाल वाले रास्ते से यात्रा करने पर आपको कुल चार दिन लगते हैं और तीन राते बेसकैंपों में गुजारनी पड़ती है। लेकिन किसी कारण से एक दिन ज्यादा भी हो सकता है। इसलिए हम यहां इस यात्रा में 4 रातों का खर्च 250 रुपये के हिसाब से लेकर चलें तो कुल 1000 रुपये बैठता है।
अब इसमें 2500 रुपये किराया और 1000 रुपये रात को रुकने का खर्च जोड़ दें तो 3500 रुपये खर्च बैठता है। लेकिन इसे भी आप मोटा-मोटी 4000 रुपये ही मान कर चल सकते हैं। इसमें एक सबसे खास बात बता दूं कि यहां जो भी खर्च मैं बता रहा हूं वो एकदम सही नहीं है बल्कि एक अनुमान है लेकिन इतना जरूर से है कि लगभग लगभग इतना ही खर्च हो जाता है।
इसके अलावा एक जो सबसे खास और जरूरी बात है वो ये कि इस कम से कम खर्च के अलावा वैसे तो कोई लीमिट नहीं है लेकिन, अगर रास्ते में आपको अगर घोड़े पर या खच्चर पर बैठने की नौबत आती है या फिर अगर आपके पास सामान ज्यादा है या आप अपने सामान को भी लेकर चलने में परेशानी महसूस कर रहे हें तो वहां आप एक कुली भी हायर कर सकते हैं जो आपका सामान लेकर आपके साथ-साथ चलेगा। उसके लिए यह कोई जरूरी नहीं कि आप उसे पूरी यात्रा में साथ चलने के लिए हायर करें। आप चाहें तो किसी भी एक बेसकैंप से दूसरे बेसकैंप तक उसकी मदद ले सकते हैं। उसके लिए भी यहां कुछ रेट्स या किराया तय किया हुआ होता है। लेकिन आप चाहे तो उससे भी मोलभाव भी कर सकते हैं।
यानी ये जो बाकी आॅप्शन्स में कुली या घोड़ा या खच्चर का खर्च है ये खर्च आपको बहुत ही ज्यादा अखर सकता है। लेकिन मैं तो यही कहूंगा कि अगर आप पैदल चलने में माहिर हैं तभी आप इस यात्रा में जायें। या फिर अगर इस यात्रा के लिए आपका बजट अच्छा-खास है और आप घोड़े से या पालकी से या फिर हेलीकाॅप्टर से इस यात्रा को करने का खर्च उठा सकते हैं तो ही यहां जायें। वर्ना आप किसी परेशानी में पड़ सकते हैं।
(कृपया ध्यान दें : ऊपर दिए गए यात्रा के खर्च में समय-समय पर बदवाल होते रहते हैं. इसलिए खर्च का यह निश्चित अनुमान नहीं कहा जा सकता है.)