Skip to content
13 June 2025
  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

DHARMWANI.COM

Religion, History & Social Concern in Hindi

Categories

  • Uncategorized
  • अध्यात्म
  • अपराध
  • अवसरवाद
  • आधुनिक इतिहास
  • इतिहास
  • ऐतिहासिक नगर
  • कला-संस्कृति
  • कृषि जगत
  • टेक्नोलॉजी
  • टेलीविज़न
  • तीर्थ यात्रा
  • देश
  • धर्म
  • धर्मस्थल
  • नारी जगत
  • पर्यटन
  • पर्यावरण
  • प्रिंट मीडिया
  • फिल्म जगत
  • भाषा-साहित्य
  • भ्रष्टाचार
  • मन की बात
  • मीडिया
  • राजनीति
  • राजनीतिक दल
  • राजनीतिक व्यक्तित्व
  • लाइफस्टाइल
  • वंशवाद
  • विज्ञान-तकनीकी
  • विदेश
  • विदेश
  • विशेष
  • विश्व-इतिहास
  • शिक्षा-जगत
  • श्रद्धा-भक्ति
  • षड़यंत्र
  • समाचार
  • सम्प्रदायवाद
  • सोशल मीडिया
  • स्वास्थ्य
  • हमारे प्रहरी
  • हिन्दू राष्ट्र
Primary Menu
  • समाचार
    • देश
    • विदेश
  • राजनीति
    • राजनीतिक दल
    • नेताजी
    • अवसरवाद
    • वंशवाद
    • सम्प्रदायवाद
  • विविध
    • कला-संस्कृति
    • भाषा-साहित्य
    • पर्यटन
    • कृषि जगत
    • टेक्नोलॉजी
    • नारी जगत
    • पर्यावरण
    • मन की बात
    • लाइफस्टाइल
    • शिक्षा-जगत
    • स्वास्थ्य
  • इतिहास
    • विश्व-इतिहास
    • प्राचीन नगर
    • ऐतिहासिक व्यक्तित्व
  • मीडिया
    • सोशल मीडिया
    • टेलीविज़न
    • प्रिंट मीडिया
    • फिल्म जगत
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • तीर्थ यात्रा
    • धर्मस्थल
    • श्रद्धा-भक्ति
  • विशेष
  • लेख भेजें
  • dharmwani.com
    • About us
    • Disclamar
    • Terms & Conditions
    • Contact us
Live
  • विशेष

जासूसी की प्राचीनता का महत्व और उद्देश्य

admin 19 August 2021
Detective in India
Spread the love

सृष्टि की उत्पत्ति के साथ ही जब इस पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति हुई और मानव जीवन अस्तित्व में आया तभी से विशेष इंद्रियों से सृष्टि ने मानव को सुशोभित किया, ताकि यह मानव सोचने, समझने, परखने और अभिव्यक्त करने में सक्षम हो सके। तभी तो प्राचीन काल से ही मानव में अपने प्रतिद्वंद्वियों और विरोधियों के बारे में विशिष्ट जानकारियां प्राप्त करने के लिए जिज्ञासु प्रवृत्ति देखी जा रही है। इसी जिज्ञासा की प्रवृत्ति और लालसा के चलते आज जासूसी शब्द प्रचलन में आया है।

जासूसी या गुप्तचरी, की प्राचीनता और महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हमारे वेदों में भी गोपनीय और गुप्तचरी जैसे शब्दों का न केवल उल्लेख मिलता है बल्कि उनका कई प्रकार से विवरण और व्याख्या भी पढ़ने को मिलती है। ऋग्वेद में तो वरुण देवता को गुप्तचरों के अधिष्ठाता के रूप में दर्शाया गया है। अर्थववेद में तो वरुण देवता को सहस्त्र नेत्र धारक कहा गया।

– किसी भी व्यक्ति से गुप्त जानकारी एकत्र करने का आसान और सीधा माध्यम था महिला आकर्षण, धन, बदला या शक्ति। इस प्रकार की कमजोरियों का फायदा उठाते हुए अधिकतम गोपनीय जानकारियां साझा करने के लिए प्राचीन भारत के जासूस अन्य राज्यों के नागरिकों का खुब शोषण किया करते थे।
– आचार्य चाणक्य ने अपने गुप्त एजेंटों को विशेष लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने को प्रोत्साहित किया।
– जो अपने शासकों से असंतुष्ट होते थे या उन्हें अपमानित या निर्वासित किया जाता था चाणक्य उन्हीं की सहायता से गुप्तचरी करवाते थे।
– बलपूर्वक जिन महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की जाती थी या शोषण किया जाता था उन महिलाओं को गुप्तचर के रूप में इस्तमाल किया जाता था।
– जिनकी संपत्ति को जब्त कर लिया गया हो या फिर जिनको गलत या झूठे आरोपों में कैद किया जाता हो उन्हें भी गुप्तचरी के माध्यम बनाया जाता था।
– डबल-एजेंट आपरेशनः डबल एजेंट वह जासूस होते हैं जो विपक्ष के लिए भी काम करते हैं और सरकार के लिए भी। जबकि उनको नियुक्त करने वाले लोगों के प्रति निष्ठा का दिखावा करना होता है।

जासूसी का नजरिया उचित या अनुचित | espionage appropriate or inappropriate

– प्राचीन भारत में जासूसों को विशेष सम्मान, या कुछ अलग प्रकार के उपहार और प्रोत्साहन देने की आवश्यकता होती थी।
– चाणक्य का मानना था कि गुप्तचरों के संदेशों में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि कई बार गुप्तचरों की सूचना उचित और विशिष्ट होने पर भी महत्वहीन हो जाती है। यदि उसके आधार पर तुरंत और सशक्त कार्रवाई न की जाये।
– गुप्तचरी की प्रसंशा में ‘‘शिशुपालवधम’’ नामक एक महाकाव्य में लिखा है जिसके अनुसार जिस प्रकार से व्याकरणविहीन भाषा प्राणहीन होती है, उसी प्रकार गुप्तचरों से रहित राजा या राजनीति निर्जीव होती है।

मौर्य काल में जासूसी तंत्र
– मौर्य साम्राज्य की एक बात, जो उसको और उस समय के साम्राज्यों से अलग बनाती है वो उसकी अभूतपूर्व गुप्तचरों का जाल जो उसके राज्य में होने वाले बाहरी आक्रमण या आंतरिक विद्रोहों के बारे में राज्य तक पूरी जानकारी पहुंचाता था। उस समय में शासन प्रणाली कैसी चल रही है, इसकी जानकारी शासक तक पहंुचाने का काम गुप्तचरों का होता था।
– सर्वप्रथम मौर्य वंश के शासन काल में ही राष्ट्रीय राजनीतिक एकता भारत में स्थापित हो पाया था। इस साम्राज्य में प्रशासन में सत्ता का मजबूत केंद्रीयकरण था। हालांकि, मौर्य काल में गणतंत्र का हरास हुआ और राजतंत्रात्मक व्यवस्था सुदृढ़ की गयी।

– अशोक सिंह, गाजियाबाद (उप्र)

About The Author

admin

See author's posts

1,771

Related

Continue Reading

Previous: तालिबान की लूट से भीख का कटोरा भरेगा पाकिस्तान | taliban vs pakistan
Next: सन्तों को भी मिले सम्मान

Related Stories

Natural Calamities
  • विशेष
  • षड़यंत्र

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

admin 28 May 2025
  • विशेष
  • षड़यंत्र

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

admin 27 May 2025
Teasing to Girl
  • विशेष
  • षड़यंत्र

आसान है इस षडयंत्र को समझना

admin 27 May 2025

Trending News

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास Natural Calamities 1

वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास

28 May 2025
मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है? 2

मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?

27 May 2025
आसान है इस षडयंत्र को समझना Teasing to Girl 3

आसान है इस षडयंत्र को समझना

27 May 2025
नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह Nave Word Medal 4

नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह

26 May 2025
युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है? war-and-environment-in-hindi 5

युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

23 May 2025

Total Visitor

077979
Total views : 142031

Recent Posts

  • वैश्विक स्तर पर आपातकाल जैसे हालातों का आभास
  • मुर्गा लड़ाई यानी टीवी डिबेट को कौन देखता है?
  • आसान है इस षडयंत्र को समझना
  • नार्वे वर्ल्ड गोल्ड मेडल जीत कर दिल्ली आने पर तनिष्क गर्ग का भव्य स्वागत समारोह
  • युद्धो और युद्धाभ्यासों से पर्यावरण को कितना खतरा है?

  • Facebook
  • Twitter
  • Youtube
  • Instagram

Copyright ©  2019 dharmwani. All rights reserved