![BANGLADESHI HINDUS AND INDIAN PRIME MINISTER](https://i0.wp.com/dharmwani.com/wp-content/uploads/2024/10/BANGLADESHI-HINDUS-AND-INDIAN-PRIME-MINISTER.jpg?fit=800%2C428&ssl=1)
अजय सिंह चौहान । वेद और पुराणों में लिखा है – “यदि किसी भी पड़ोसी राज्य की प्रजा पर किसी भी प्रकार का अत्याचार हो रहा हो, गाय अथवा स्त्री को सताया जा रहा हो, उन पर अत्याचार हो रहा हो तो उस राज्य की किसी भी दिशा का कोई भी सामर्थ्यवान पड़ोसी राज्य, अथवा शासक का यह कर्तव्य है की उसकी सीमा में जाकर वहां के उस अत्याचारी, डाकू अथवा स्वयं वहां के शासक को भी दंडित किया जाए और उसे बंदी बनाकर पैरों तले कुचल दिया जाय, और प्रजा को उससे मुक्त करवाया जाय। यही आर्य का धर्म है और आर्य के लिए यही धर्म की परिभाषा भी है। ऐसा करने वाले राजा अथवा राज्य को यदि कुछ धन-बल की हानि होती भी है तो भी उसे सहन करना चाहिए और स्वर्ग लोक जाने का यश प्राप्त करना चाहिए।”
यदि हम इस विषय का सटीक और एकदम आधुनिक उदाहरण देखें तो वर्ष 1971 में पश्चिमी पाकिस्तान, यानी आज के बांग्लादेश और उस समय के पाकिस्तान नामक विभाजित भाग में जब वहां के मूल निवासी हिंदुओं तथा अन्य गरीबों पर अत्याचार हो रहे थे तो हमारी प्रधान मंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी ने भी वही किया जो वेदों और पुराणों में स्पष्ट लिखा हुआ है।
इंदिरा गांधी थीं तो ठेठ कम्युनिस्ट विचारधारवादी, लेकिन, न जाने कैसे वेदों और पुराणों की उसी भाषा का सम्मान करते हुए उन्होंने वर्ष 1971 में ठीक उसी तरह जैसा की वेदों और पुराणों में लिखा हुआ है, पड़ोसी देश पर आक्रमण कर दिया और इसके दो भाग करवाकर वहां की हिंदू आबादी सहित अन्य को भी पाकिस्तान के अत्याचारों से मुक्त करवा दिया और उसकी सम्पूर्ण सेना को बंदी बनवा लिया था।
आज एक बार फिर से उसी पड़ोसी देश की उसी भूमि पर, उन्हीं मूल निवासी सनातनी धर्मियों पर उस 1971 से भी बदतर स्थिति में, उसी प्रकार से अत्याचार हो रहे हैं। फिर से वहां की वही जहरीली मानसिकता, उन्हीं असहाय हिंदुओं पर अत्याचार करके दुनिया को डरा रही है। हम फिर से हमारे अपने और स्वधर्मी कुल के लोगों को, उन्हीं कट्टरपंहियों के हाथों से खुलेआम मरते हुए सीमा पार से देख रहे हैं। वे हमारी सरकार से बार बार गुहार लगा रहे हैं कि हमे बचा लो। लेकिन क्या कारण है की इसबार तो स्व घोषित हिंदूवादी सरकार है फिर भी उनकी दर्दभरी आवाज को सुन नहीं पा रही है या सुन कर अनसुना करती जा रही है?
हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश में आज स्थिति और हालात ये हैं की एक वर्ष पहले तक जो हिंदू वहां किसी तरह नवरात्र उत्सव मना रहे थे आज उनको स्वयं वहां की सरकार के द्वारा ही रोका जा रहा है। स्वयं सरकार के ही गुर्गे मांग कर रहे हैं कि यदि दुर्गा पूजा का आयोजन करना है तो पहले पांच लाख टका का टोल देना होगा। यदि बिना लाख टका दिए दुर्गा पूजा मनाया तो छोड़ेंगे नहीं।
इस बार तो हमारे पास स्व घोषित हिंदूवादी सरकार है। इसलिए हमारे साथ ही हमारी सरकार का यही कर्तव्य बनता है की वो अपनी सेना को पड़ोसी देश में घुसा कर वहां के हिंदुओं के लिए स्थाई शांति व्यस्था के लिए उचित और आवश्यक कारवाही के साथ ही उचित समाधान भी करे और उनका भविष्य सुरक्षित करे। यही समस्त हिंदू समाज की अभिलाषा है और यही घोषित हिंदूवादी सरकार का कर्तव्य भी कहता है की शत्रु को उसके देश में, उसके घर में घुसकर मारा जाय और समूल नाश कर उनके अत्याचार्यों से आमजन को मुक्त करवाया जाय। यदि ऐसा करने में किसी भी प्रकार से कुछ भी हानि होती है तो उसके लिए सम्पूर्ण हिंदू भुगतने के लिए तैयार हैं।