राजधानी दिल्ली के तीनों निगमों को एक करने के मामले में आम आदमी पार्टी जैसे बौखला गई है। लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि आम आदमी पार्टी आखिर इतना बौखला क्यों रही है? वैसे भी देखा जाये तो दिल्ली के तीनों नगर निगम पहले भी एक रहे हैं। केन्द्र सरकार ने यह फैसला दिल्ली नगर निगम को और अधिक मजबूत करने के लिए लिया है। आम आदमी पार्टी ने अपने सात वर्षों के शासन काल में निगम को परेशान ही किया है, जिसका खामियाजा दिल्ली की जनता एवं नगर निगम के कर्मचारियों को भुगतना पड़ा है। दिल्ली सरकार ने आज भी नगर निगम का तेरह हजार करोड़ रुपया रोक रखा है, जिसके लिए तीनों निगम लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
यह बात पूरी दिल्ली को पता है कि ऐसा सरकार ने सिर्फ नगर निगम को बदनाम करने के लिए किया है। दिल्ली सरकार की मंशा यही है कि इससे न सिर्फ भाजपा शासित निगम की बदनामी होगी बल्कि चुनावों में उसको नुकसान भी उठाना पड़ेगा। दिल्ली सरकार यदि निगमों को बर्बाद करने में लगी है तो केन्द्र सरकार मूक दर्शक तो नहीं बनी रह सकती है। हालांकि, दिल्लीवासियों को सब मालूम है। तीनों निगम एक होने से खर्च भी घटेगा और नीतियां बनाने एवं उनके समन्वय में भी आसानी होगी। इससे कर्मचारियों से संबंधित मामलों में भी एकरूपता आयेगी।
– आशीष गुप्ता