वैसे तो भारत में नशों एवं सोने की तस्करी का काम लंबे समय से चल रहा है किन्तु अब समय आ गया है कि इस पर सख्ती से रोक लगाई जाये। नशों एवं सोने की तस्करी की जो खेप आये दिन पकड़ी जा रही है, वह निहायत ही चिंताजनक है। 10 नवंबर को कस्टम विभाग ने चंडीगढ़ हवाई अड्डे पर एक यात्री से दुबई से अवैध रूप से लाया गया 8.44 लाख रुपये मूल्य का 160.5 ग्राम सोना जब्त किया गया जो उसने ट्राली बैग के प्रत्येक टावर में रखे 8 छोटे आकार के चांदी रंग की धातु के टुकड़ों में छुपाया था।
11 नवंबर को मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर राजस्व खुफिया निदेशालय के अधिकारियों ने एक यात्री को 35 करोड़ की 4.98 किलो हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया। एक दूसरी घटना के अंतर्गत 11 नवंबर को ही मुंबई हवाई अड्डे पर सिंगापुर से तस्करी करके लाया गया चार किलो सोना पकड़ा गया। इस प्रकार की तमाम ऐसे घटनाएं देखने एवं सुनने को मिलती रहती हैं। नशों एवं सोने की तस्करी का सबसे अधिक दुष्प्रभाव युवाओं पर पड़ता है। ऐसी घटनाओं में जब कोई युवा शामिल होता है तो उसका दुष्प्रभाव अन्य युवाओं पर भी पड़ता है। अतः इस प्रकार के कार्यों पर किसी भी कीमत पर रोक लगनी ही चाहिए।
युवाओं को संस्कारी बनाना समय की मांग –
जब कभी सुनने को मिलता है कि किसी लड़की ने स्कूल-काॅलेज जाना इसलिए छोड़ दिया कि मनचले लड़के उसे परेशान करते हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? इसकी तह में जाया जाये तो निश्चित रूप से देखने में यही मिलता है कि युवाओं में लगातार संस्कारों की कमी होती जा रही है। ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए आवश्यकता इस बात की है कि युवाओं को संस्कारी बनाया जाये। इसके साथ-साथ उनमें कानून का भय भी पैदा किया जाये। ऐसा करना अत्यंत आवश्यक हो गया है। भारत की सनातन संस्कृति में संयुक्त परिवारों को महत्वपूर्ण इसलिए बताया गया है कि बच्चे परिवार के सभी सदस्यों से कुछ न कुछ सीखते हैं।
– अनूप सिंह चौहान