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भगवान् राम की प्रतिमा के लिए नेपाल से पौराणिक और धार्मिक पत्थर लाया गया

admin 29 January 2023
RAM MANDIR KE PATTHAR
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अयोध्या में बन रहे भगवान श्री राम के मन्दिर में रामलला के बाल स्वरूप की मूर्ति जिस पत्थर से बनाई जाएगी वह कोई आम पत्थर नहीं है बल्कि उसका ऐतिहासिक, पौराणिक, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। नेपाल के म्याग्दी जिला के बेनी से पूरे विधि विधान और हजारों लोगों की श्रद्धा के बीच उस पवित्र पत्थर को अयोध्या ले जाया जा रहा है।

म्याग्दी में पहले शास्त्र सम्मत क्षमापूजा की गई, फिर जियोलॉजिकल और आर्किलॉजिकल विशेषज्ञों की देखरेख में पत्थर की खुदाई की गई। अब उसे बड़े ट्रक में लादकर पूरे राजकीय सम्मान के साथ ले जाया जा रहा है, जहां-जहां से यह शिला यात्रा गुजर रही है, पूरे रास्ते भर भक्तजन और श्रद्धालुओं के द्वारा इसका दर्शन और पूजा किया जा रहा है। शिला को 26-01-2023 गुरुवार के दिन गलेश्वर महादेव मन्दिर में रूद्राभिषेक किया गया।

करीब सात महीने पहले नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री बिमलेन्द्र निधि ने राम मन्दिर निर्माण ट्रस्ट के समक्ष यह प्रस्ताव रखा था, उसी समय से इसकी तैयारी शुरू कर दी गई थी। सांसद निधि ने ट्रस्ट के सामने यह प्रस्ताव रखा कि अयोध्याधाम में जब भगवान श्रीराम का इतना भव्य मन्दिर का निर्माण हो ही रहा है तो जनकपुर के तरफ से और नेपाल के तरफ से इसमें कुछ ना कुछ योगदान होना ही चाहिए।

मिथिला में बेटियों की शादी में ही कुछ देने की परम्परा नहीं है, बल्कि शादी के बाद भी अगर बेटी के घर में कोई शुभ कार्य हो रहा हो या कोई पर्व त्यौहार हो रहा हो तो आज भी मायके से हर पर्व त्यौहार और शुभ कार्य में कुछ ना कुछ संदेश किसी ना किसी रूप में दिया जाता है। इसी परम्परा के तहत बिमलेन्द्र निधि ने भारत सरकार के समक्ष भी यह इच्छा जताई और अयोध्या में बनने वाले राममंदिर में जनकपुर का और नेपाल का कोई अंश रहे इसके लिए प्रयास किया।

भारत सरकार और राममंदिर ट्रस्ट की तरफ से हरी झण्डी मिलते ही हिन्दू स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद नेपाल के साथ समन्वय करते हुए यह तय किया गया कि चूंकि अयोध्या के राम मंदिर का निर्माण हजारों वर्षों के लिए किया जा रहा है तो इसमें लगने वाली मूर्ति उससे अधिक चले उस तरह का पत्थर, जिसका धार्मिक, पौराणिक, आध्यात्मिक महत्व हो… उसको अयोध्या भेजा जाए।

नेपाल सरकार ने कैबिनेट बैठक से काली गण्डकी नदी के किनारे रहे शालीग्राम के पत्थर को भेजने के लिए अपनी स्वीकृति दी है।

– साभार

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