मैं कुछ तथ्य रखना चाहता हूं ताकि स्पष्ट हो कि ‘म्लेच्छों’ के पास 2014 के पहले कितनी ताकत थी, और 2014 के बाद उन्हें कितनी ताकत मिली? साथ ही 2014 से पहले और बाद में हिंदुओं के विनाश के कितने कार्य हुए?
2014 से पहले | 2014 के बाद –
१) सरकारी नौकरी में मुस्लिम – 5% अब 10% से ऊपर।
२) सिविल सर्विस में मुस्लिम – 2.5%, अब 5%
3) तकनीकी सरकारी जॉब में मुस्लिम- 20,000, अब 21.5 लाख
4) मुस्लिमों को स्कॉलरशिप- 3.20 करोड़, अब 5.20 करोड़ करोड़।
5) 21000 मुस्लिम छात्रों के स्कॉलरशिप पर खर्च- पहले की अपेक्षा 280 करोड़ ज्यादा।
6) सरकारी संसाधनों पर मुस्लिमों का अधिकार- 15-25 %, अब 30-35%
7) कांग्रेस द्वारा 2005-06 में मुस्लिमों के लिए ‘सच्चर कमेटी’ का निर्माण, जिसका सुप्रीम कोर्ट में 2013 में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा विरोध। अब चौगुने वेग से मोदी सरकार द्वारा सच्चर कमेटी लागू। 31.03.2019 को संसद के अंदर सच्चर कमेटी के क्रियान्वयन की मोदी सरकार ने पेश की रिपोर्ट।
8) हिंदुओं के मंदिरों का विध्वंश- स्वतंत्रता के बाद इतने बड़े पैमाने पर पहले कभी नहीं हुआ मंदिरों का विध्वंश। 2014 के बाद काशी, महाकाल, अयोध्या, कर्नाटक में सैंकड़ों पुरातात्विक व पौराणिक मंदिर सहित अनेक मंदिरों का विध्वंश, जैसे:- काशी में 7 स्वयंमभू शिवलिंग तोड़े गये, 56 विनायक में से पांच विनायक की मूर्ति तोड़ी गई, अक्षय वट वृक्ष उखाड़ा गया, मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा को क्रसर से तोड़ा गया, तुलसीदास जी द्वारा निर्मित आदि संकट मोचन मंदिर तोड़ कर हनुमान जी को कबाड़ में फेंका गया। अयोध्या में सीता रसोई और उज्जैन में काल भैरव मंदिर तोड़ा गया। कर्नाटक में भाजपा सरकार द्वारा 2600 मंदिर तोड़े गये, जबकि 6500 मंदिरों को तोड़ने का लक्ष्य कर्नाटक की तत्कालीन भाजपा सरकार ने रखा था!
9) पहले NEET में मुस्लिम प्रतिनिधित्व कम, 2022 में 1200 मुस्लिम निकले, जिसमें असम के गजवा-ए-हिंद के पैरोकार सांसद बदरुद्दीन अजमल के NGO सहित तीन कट्टरपंथी NGO को केंद्र सरकार द्वारा इसके लिए किया गया फंड।
10) 2003 के नदीमर्ग हिंदू संहार के बाद J&k में सबसे बड़ा हिंदू संहार 2022 के टारगेट कीलिंग में कुल 19 हिंदुओं की हत्या। 2023 में 2 हिंदू को टारगेट कर अभी तक मारा जा चुका है। (May2023 तक)
11) स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार 2022 में हिंदुओं का बड़े पैमाने पर गला रेत कर हत्या जिसमें 6-8 हिंदुओं का गला काटा गया।
12) 1990 के दशक में कश्मीर के बाद भारत के अंदर ही सबसे बड़ा हिंदू पलायन बंगाल से 2021 में हुआ। 80 हजार से 1 लाख बंगाली हिंदू बंगाल से आसाम में पलायित हुए। इसके अलावा मई 2023 में मणिपुर से 50,000 से ऊपर मैतेई हिंदुओं का पलायन हुआ और 74 लोग मारे गये।
13) 1984 के दंगे के बाद दिल्ली में दंगा 2020 में हुआ। 1984 के दंगे में दिल्ली में केवल एक हिंदू की मौत हुई थी, 2020 में 13 हिंदुओं की मौत हुई।
14) दिल्ली दंगे में दिल्ली पुलिस जो गृहमंत्रालय के अधीन आती है, ने ऐसा केस तैयार किया कि सभी बड़े मुस्लिम आरोपी जमानत पर या फिर बरी होते गये, यहां तक की शफूरा जरगर की जमानत का केंद्र सरकार ने विरोध तक नहीं किया। वहीं पहली सजा एक गरीब हिंदू दिनेश यादव को मिली।
15) देश में राजीव गांधी के बाद सबसे ज्यादा दंगा (करीब 3400) दंगा 2014-2022 के बीच हुआ, जिसमें हिंदुओं का सर्वाधिक नुकसान हुआ।
16) अल्पसंख्यक राजनीति का विरोध करने वाली गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार ने केंद्र में आते ही सुप्रीम में कहा, चूंकि हिंदू बहुसंख्यक और दबंग है इसलिए अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिमों को कमजोर माना जाए और साक्ष्य के रूप में SC में अगस्त 2021 को अवैध सच्चर कमेटी की रिपोर्ट पेश कर दी।
17) हिंदुओं की दीवाली में पटाखे पर प्रतिबंध के लिए मोदी सरकार में पूर्व मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने व भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा की पत्नी मल्लिका नड्डा व भाजपा उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे वाला NGO गया था।
18) 2013 में मोदी जी का नारा था, ‘विकास सबका, तुष्टिकरण किसी का नहीं।’ आज नारा है- पासमांदाकरण, तृप्तीकरण।
19) 2013 तक मोदी ‘पिंक रिवोल्यूशन’ कह कर गो-हत्या पर मनमोहन सरकार पर हमला कर रहे थे, 2014 के बाद बीफ एक्सपोर्ट में भारत दुनिया से होड़ ले रहा है और नारा बदल कर हो गया- ‘गो-रक्षक गुंडे हैं’!
अभी और बहुत उदाहरण बांकी है। हिंदुओं का संस्थागत अहित जितना इस सरकार ने किया है, उतना अतीत में किसी सरकार में नहीं हुआ था। ताज्जुब यह कि हिंदुओं को निरीह मानकर आंकड़े देते हुए गर्व के साथ संसद से लेकर मीडिया तक यह घोषणा सरकार के मंत्री ही कर कर रहे हैं! हमने यहां जो भी आंकड़े दिए हैं, सब सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।
साभार – संदीप देव
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